बच्चों को सर्दी, सांस लेने में तकलीफ
जागरण, संवाददाता, आगरा: अगर आपके बच्चे को हल्का जुकाम है और रात में खांसी परेशान करती है, तो इसे हल्
जागरण, संवाददाता, आगरा: अगर आपके बच्चे को हल्का जुकाम है और रात में खांसी परेशान करती है, तो इसे हल्के में न लें। तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं। हो सकता है कि यह ब्रोंकोलाइटिस का लक्षण हो। हल्के जुकाम से शुरू होने वाली यह बीमारी शहर के अनेक बच्चों को अपनी गिरफ्त में ले चुकी है।
इलाज न कराने पर बीमारी इतनी बढ़ जाती है कि बच्चे के शरीर में ऑक्सीजन ठीक मात्रा में नहीं बन पाती। वह सांस नहीं ले पाता, ऐसे में उसे हॉस्पिटल में एडमिट कराना पड़ता है। खासतौर से नौ माह से पांच साल तक के बच्चे इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। एसएन मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में इन दिनों पचास फीसदी मरीज ब्रोंकोलाइटिस के आ रहे हैं। इस बीमारी में बच्चों को दिन में हल्का बुखार रहता है और रात में खांसी उठती है। साथ ही बेचैनी रहती है। नाक बहने के साथ आंखों से पानी भी आता है।
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सैकड़ों वायरस कर रहे अटैक
इलाज के लिए आने वाले बच्चों के माता-पिता का कहना था कि बच्चे का बुखार उतरे दो दिन भी नहीं हुए कि दूसरी बार बुखार चढ़ गया। इसका कारण कई वायरस का एक साथ अटैक है। एसएन मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नीरज यादव कहते हैं कि इन दिनों कई वायरस बच्चों पर अटैक कर रहे हैं। इनमें इन्फ्लुएंजा, पैरा इन्फ्लुएंजा, कॉकसैमी, रेसपिरेटरी सिन्सियल वायरस प्रमुख हैं। इन सभी के लक्षण अलग हैं, तथा दवा भी अलग दी जाती है।
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इलाज में न बरतें लापरवाही
आगरा। बाल रोग विशेषज्ञ डा. पीयूष प्रसाद कहते हैं कि सर्दी में नमी कम होने के कारण बच्चों को सांस लेने में ज्यादा दिक्कत होती है। पसलियों में खिंचाव होने लगता है। जिन बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, वे बार-बार बीमार पड़ते हैं। वायरल इन्फेक्शन में एंटी बायोटिक दवाएं काम नहीं करतीं, एंटी एलर्जिक दवाएं दी जाती हैं। कई बच्चों में वायरल डायरिया भी देखने को मिल रहा है। इसमें बच्चे को बुखार नहीं आता पर लूज मोशन की शिकायत हो जाती है, जिससे डिहाइड्रेशन हो जाता है।
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अभिभावक बरतें एहतियात
- पुराने पर्चे पर लिखी हुई दवा न दें, भले ही बीमारी के लक्षण पहले जैसे हों।
- बीमारी की शुरुआत में ही इलाज कराएं, देर करने पर बीमारी बढ़ सकती है।
- केमिस्ट की सलाह पर कफ सीरप न खरीदें, ये दवाएं बीमारी को कुछ दिन के लिए दबाती हैं, पूरी तरह ठीक नहीं करतीं।