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छिपते सूरज से निकली भक्ति की किरणें

जागरण संवाददाता, आगरा: यमुना के घाटों पर दिखा लोक संस्कृति, परंपरा, शक्ति के साथ भक्ति के प्रेरक समा

By Edited By: Published: Wed, 29 Oct 2014 11:39 PM (IST)Updated: Wed, 29 Oct 2014 11:39 PM (IST)
छिपते सूरज से निकली भक्ति की किरणें

जागरण संवाददाता, आगरा: यमुना के घाटों पर दिखा लोक संस्कृति, परंपरा, शक्ति के साथ भक्ति के प्रेरक समागम। हजारों श्रद्धालुओं ने अस्त होते सूर्य की सामूहिक उपासना की। परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की गई। गुरुवार को उगते सूरज का पूजन किया जाएगा। उसके बाद ही महिलाओं का 48 घंटे का निर्जल व्रत पूर्ण होगा। छठ महापर्व पर दिन ढलते ही हजारों श्रद्धालु हाथों में पूजा के थाल, मन में आस्था, दिल में अटूट निष्ठा के साथ यमुना के घाटों पर पहुंच गए। वहां अपनी आस्था की प्रतीक छठी मैया को स्थापित कर उनके ऊपर ईख का मंडप बनाकर पूजन किया। ऋतु के फल, फूल आदि अर्पित करके दीप जलाए और आरती की। धुंधले उजाले में सामूहिक आरती के दीप सितारों की भांति झिलमिलाते उठे। इस दौरान शंख ध्वनि गूंज उठी, बैंड बाजों पर भक्ति गीतों की धुनें बजी और आतिशबाजी की गई।

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बल्केश्वर घाट पर महाआरती

बल्केश्वर घाट पर भी दिन छिपने से पहले ही महिला और पुरुषों की भीड़ पहुंचनी शुरू हो गई। यहां भी बैंड बाजों के साथ भी कई परिवार आए थे। सभी ने यमुना में उतर कर छिपते सूर्य का पूजन किया। महिलाओं ने सूरज की उपासना और छठी मैया की श्रद्धा में पारंपरिक गीत प्रस्तुत किए। जिसमें प्रमुख गीत रहा-कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगि के करा के जाए, का तु आन्हरे हुह ये बटोहिया, बहंगि छठि मैया के जाए।

अन्य घाटों के मुकाबले इस घाट पर यमुना का पानी सीढि़यों से लगा हुआ था, इसलिए यहां महिलाओं ने आसानी से पूजन किया। पं.वाईके शर्मा के मंत्रोच्चारण के साथ उपासना की गयी। उसके बाद यमुना की महाआरती उतारी गई। घंटे, घड़ियाल और शंख ध्वनि से माहौल भक्तिमय हो गया।

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हाथी घाट पर उमड़ी भीड़

हाथी घाट पर यमुना काफी दूर थी। इसके अलावा गणेश चतुर्थी पर बनाए गए कुंडों की वजह से यहां से यमुना पहुंचना कठिन था। लेकिन गुरु वशिष्ठ सेवा समिति और प्रशासन के प्रयास से यहां यमुना तक पहुंचने का रास्ता आसान हो गया था। हालांकि चारों तरफ भीषण गंदगी रही। जिसे पार करके सैकड़ों महिला और पुरुष यमुना के तट पर पहुंचे और पूजन किया।

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दंडौती करते पहुंचे कई श्रद्धालु

आस्था के इस पर्व पर कई श्रद्धालु दंडौती करते घाटों पर पहुंचे। जिनके प्रति अन्य सभी की आस्था दिखाई दी। बल्केश्वर घाट पर प्रोफेसर कॉलोनी, कमला नगर निवासी महेश सिंह आए। उन्होंने बताया कि छठी मैया की कृपा से ही उनके बेटा जीएलए में पढ़ रहा है। बेटियों की शादी हो गयी। उनके साथ उनकी पत्नी पुष्पा सिंह भी थी। उनका कहना था छठी मैया की कृपा से ही उनका परिवार फल-फूल रहा है। इस प्रकार हाथी घाट पर भी कई महिला पुरुष दंडवत करते हुए आए।

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नाक तक लगाया टीका

ज्यादातर महिलाओं के मस्तक से लेकर नाक तक टीका लगाया हुआ था। रश्मि सिन्हा ने बताया कि लंबा टीका महिला की शक्ति और पति की समृद्धि के लिए लगाया जाता है।

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सामाजिक संगठनों के जुटे पदाधिकारी

बल्केश्वर घाट पर अपर जिलाधिकारी (वित्त) राजकुमार ने अपने परिवार सहित पूजन किया। उन्होंने बताया कि इस बार उन्हें शहर से बाहर जाना था, लेकिन छठी मैया की ऐसी कृपा से कार्यक्रम स्थगित हो गया और पूजन के लिए यहां आ गए। इनके अलावा पार्षद डॉ.कुंदनिका शर्मा, लायंस क्लब की बबिता चौहान, रोटरी क्लब के दिगंबर सिंह धाकरे, इनरह्वील क्लब की नीलू धाकरे, जन हित चेतना मंच की सोनी जैन आदि ने भी पूजन किया।

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पैरों में लगी कीलें

यमुना की सफाई के बावजूद वहां काफी गंदगी थी। बल्केश्वर घाट पर यमुना में पूजन के लिए उतरे कई श्रद्धालुओं के पैरों में कीलें घुस गई, लेकिन ज्यादा चोट नहीं लगी। इस प्रकार घाट पर कांच की टूटी हुई बोतलें भी पड़ी थीं।

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आकर्षक रही 30 फुट ऊंची ध्वजा

हाथी घाट पर 30 फुट ऊंची एक ध्वजा वहां लगायी गयी थी, जिसे रंग-बिरंगी पतंगों से सजाया गया था।

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यमुना में गंगा जल से अ‌र्ध्य

बहुत सी महिलाओं ने यमुना में गंगाजल का अ‌र्ध्य दिया। पं.अश्विनी मिश्र के अनुसार यह पूजा की पुरानी परंपरा है। जो लोग गंगा जल लेकर नहीं आए, उन्होंने यमुना के जल को ही अंजुली में लेकर उसका अ‌र्ध्य दिया। उगते सूर्य को गाय के दूध से अ‌र्ध्य दिया जाएगा।

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सेवा के भाव

65 वर्ष की महिला रामकली बल्केश्वर घाट पर आयीं। वे बचपन से ही व्रत करती आ रही हैं। उनके परिवार के लोग उनकी सेवा में जुटे थे। उनका कहना था कि उनके व्रत और पूजन का फल उन्हें सेवा करने से मिल जाएगा।

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रामबाग घाट पर यमुना को शुद्ध करने के संकल्प

इसी प्रकार रामबाग घाट पर भी विशेष पूजन किया। यहां भी श्रद्धा और भक्ति का सैलाब उमड़ता रहा। यहां 101 दीपकों की आरती हुई। वहां सभी मौजूद लोगों ने सामूहिक रूप यमुना के शुद्धिकरण का संकल्प लिया। यहां अभिमन्यु सिंह, अर्जुन, सुनील चौधरी, नंदलाल यादव, विजय गौतम रहे।

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इन्होंने संभाली व्यवस्था

बल्केश्वर घाट पर पूजा की व्यवस्था पूर्वाचल सांस्कृतिक सेवा समिति की ओर से की गयी थी। कार्यकारी अध्यक्ष अशोक चौबे के साथ मुन्ना मिश्रा, अखिलेश सिंह, देवेंद्रनाथ दुबे, ओमप्रकाश गुप्ता आदि ने व्यवस्था संभाली। वहीं हाथी घाट पं.अश्विनी मिश्रा के निर्देशन में व्यवस्था रहीं। वहीं रामबाग घाट की जिम्मेदारी अभिमन्यु सिंह ने व्यवस्था संभाली।

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(बाक्स)--बल्केश्वर घाट पर विवाद

आगरा: बल्केश्वर घाट पर दो गुटों में जमकर विवाद हुआ और उसके बाद मारपीट हुई। जिसे मुश्किल से शांत किया गया।

घाट पर पिछले साल की अपेक्षा इस बार अधिक भीड़ थी। दयालबाग के एक व्रती की पूजन की डलिया पर दूसरे व्रती का पैर पड़ गया, जिससे डलिया अपवित्र हो गई और व्रत टूट गया। जिससे दोनों में पहले बहस हुई और वाद-विवाद हुआ। इसके बाद दो गुट बन गए और मारपीट हो गयी। जिससे वहां भगदड़ मच गयी। मुश्किल से कमेटी के लोगों ने उस पर नियंत्रण किया। इतने बड़े आयोजन के बावजूद भी वहां पुलिस की कोई व्यवस्था नहीं थी। जब विवाद करने वाले वहां से चले गए तब कुछ सिपाही वहां पहुंचे थे।


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