सितारे उतर आए अंधेरी धरा पर
जागरण संवाददाता, आगरा: हर ओर अद्भुत नजारा। झिलमिलाते नन्हे- नन्हे बल्बों की झालरें, टिमटिमाते दीपक औ
जागरण संवाददाता, आगरा: हर ओर अद्भुत नजारा। झिलमिलाते नन्हे- नन्हे बल्बों की झालरें, टिमटिमाते दीपक और आकाश को भेदती आतिशबाजी। इनसे फूटती थी खुशियों की फुलझड़ी, नरक चतुर्दशी पर ऐसा ही माहौल दिखाई दिया। इसके साथ सभी महालक्ष्मी के आगमन की तैयारियों में जुट गए।
पंचोत्सव पर्व के दूसरे दिन बुधवार को नरक चतुर्दशी यानी छोटी दीपावली मनाई गई। दिन छिपते ही घर-घर में दीप झिलमिलाने लगे। घर के आंगन और द्वार दीपकों से सज गए। किसी ने सात तो किसी ने 11 दीप जलाए। द्वार पर चौमुखा दीपक जलाकर यम की उपासना की गई। उनसे प्रार्थना की कि वे सभी को पूर्ण आयु और उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करें।
नरक चतुर्दशी के बाद सभी गुरुवार को महालक्ष्मी पूजन की तैयारियों में जुट गए। इस दिन घर का हर कोना दीपकों से जगमग होगा। कोशिश होगी कि धरा पर अंधेरा कहीं रह न जाए। दीपकों का यह पर्व उल्लास लेकर आया है। ये दीप दिलों से दूरियां भी मिटाएंगे। अज्ञानता ही नहीं, द्वेष-विद्वेष, मतभेद का अंधकार भी दूर होगा। त्योहार से पहले बुधवार को बाजारों में जबरदस्त रौनक दिखाई दी। दुकानों पर बिजली की झालरों से हर तरफ जगमग थी, वहीं बाजार में मिंट्टी के दीपक भी बिक रहे थे। लक्ष्मी के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां, रुई, बत्ती, खील आदि की जमकर बिक्री हुई।
वास्तु के हिसाब से करें पूजन
पूजा स्थल तैयार करते समय दिशाओं का समन्वय रखना जरूरी है। पूजा का स्थान ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) होना चाहिए। इस दिशा के स्वामी भगवान शिव हैं, जो ज्ञान एवं विद्या के अधिष्ठाता हैं। पूजा स्थल सफेद या हल्के पीले रंग का होना चाहिए। ये रंग शाति, पवित्रता के प्रतीक हैं। देवी-देवताओं की मूर्तिया तथा चित्र पूर्व-उत्तर दीवाल पर इस प्रकार लगाएं कि उनका मुख दक्षिण या पश्चिम दिशा की ओर रहे। पूजन के लिए उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना लाभ दायक है।
ये है मंत्र
लक्ष्मीजी के मंत्रों का जाप कमलगट्टे की माला से किया जाता है। इस पूजन काल में लक्ष्मी, गायत्री मंत्र का निरंतर जाप करने से मनोरथ पूरे होते हैं। मंत्र यह है- ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात।
कमल पर विराजी हों लक्ष्मी
सभी को हमेशा कमलासन पर विराजमान लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। देवी भागवत में कहा है कि कमलासना लक्ष्मी की आराधना से इंद्र ने देवाधिराज होने का गौरव प्राप्त किया था। इंद्र ने लक्ष्मी की आराधना 'ॐ कमलवासिन्यै नम:' मंत्र से की थी। यह मंत्र आज भी अचूक है।
पूजन विधि
दो थालों में छह चौमुखे और छब्बीस छोटे दीपक सजाएं। इन सबको जलाकर जल, रोली, खील बताशे, चावल, धूप आदि से पूजन करें। इसमें सबसे पहले गणपति की उपासना की जाए। उसके बाद महालक्ष्मी, सरस्वती और अन्य का पूजन करें। व्यापारी अपनी दुकान की गद्दी पर गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा रखकर पूजा करें। इसके बाद घर आकर पूजन करें। पति पत्नी एक साथ पूजन करें। पूजा करने के बाद दीपकों को घर में जगह-जगह रखें। महालक्ष्मी की मूर्ति के समक्ष देसी घी का चौमुखा दीपकरखें। उससे पहले वहां एक मुट्ठी चावल रखें। उन्हें गुलाब की पंखुडियों से ढक दें। छह छोटे दीपक गणेशजी, लक्ष्मीजी की मूर्ति के समक्षरखें। कनक धारा स्त्रोत पाठ करें। लक्ष्मीजी को लाल रंग के आसन पर विराजमान कराएं, कमल गंट्टे की माला पहना कर कमल का फूल अर्पित करें। मिट्टी के साथ-साथ चांदी के लक्ष्मी गणेशजी का पूजन किया जाए।
महालक्ष्मी पूजन के बाद दूसरे दिन सुबह 4 बजे सरस्वती पूजन किया जाए, जिससे लक्ष्मी सद्बुद्धि लेकर आएं।
ज्योतिषाचार्य डॉ. किरन जेटली के अनुसार गुरुवार को चित्रा नक्षत्र रहेगा, जो कार्य सिद्धि दायक योग है। चित्रा नक्षत्र में पूजन करने से स्थाई लाभ मिलता है। इसलिए यह व्यापारियों के लिए लाभदायक रहेगा।
राहु काल में करें पूजन
गुरुवार को दिन में दोपहर 1.30 बजे 3 बजे तक राहु काल है। इस समय कोई पूजा नहीं की जानी चाहिए।
ग्रहण है, लेकिन प्रभावी नहीं
दीपावली पर सूर्य ग्रहण है, लेकिन वह भारत में प्रभावी नहीं है। डॉ. जेटली के अनुसार यह सूर्यग्रहण गुरुवार रात 1 बज कर 7 मिनट पर शुरू होगा। शुक्रवार को सुबह 5 बजकर 21 मिनट पर पूर्ण होगा। यह मैक्सिको, संयुक्त गणराज्य अमेरिका, उत्तरी अमेरिका, कनाडा, यूनाइटेड स्टेट में प्रभावी होगा।