स्थिति सुधारने को महिलाएं हों जागरूक
जागरण संवाददाता, आगरा: महिलाएं पहले पुरुषों के साथ शिकार करती थी। उसके बाद वे खेती करने लगीं। मगध राज्य के शासकों द्वारा महिलाओं को अंगरक्षक भी रखा जाता था। उत्तर वैदिक काल के बाद महिलाओं का अर्थ व्यवस्था में योगदान कम होने से सामाजिक स्तर गिरने लगा। वहीं वर्तमान समय में महिलाएं अपना अस्तित्व बचाने को जूझ रही हैं। अपनी स्थिति सुधारने को महिलाओं को खुद जागरूक होना होगा।
अलीगढ़ मुस्लिम विवि के इतिहास विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.शीरीन मूसवी ने महिलाओं की आदि काल से वर्तमान काल तक की स्थिति पर प्रकाश डाला। वे डॉ. बीआर अंबेडकर विवि के इतिहास विभाग द्वारा आयोजित प्रो. प्रतिमा अस्थाना स्मृति अखिल भारतीय व्याख्यान श्रंखला में बतौर मुख्य वक्ता मौजूद रहीं। उन्होंने वीमेन एंड सोसाइटी इन हिस्ट्री विषय पर व्याख्यान दिया। प्रो.मूसवी ने बताया कि भारत में 1931 में कांग्रेस के करांची अधिवेशन में महिलाओं को पुरुषों के समान वोट देने का अधिकार मिला। जबकि ब्रिटेन ने 1937 में महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया। उनका कहना था कि प्रो. अस्थाना ने न केवल महिला इतिहास लेखन की स्थापना की, बल्कि उसे सुदृढ़ भी किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. मोहम्मद मुजम्मिल का कहना था कि विकसित और विकासशील सभी देशों में महिलाओं को उनके कार्य का प्रतिफल नहीं मिल पा रहा है। पूरे विश्व में महिलाओं को संपत्ति का अधिकार कुल दो फीसद ही है। प्रो. मुजम्मिल का कहना था कि किसी इतिहास पर मंथन कर समाज के उत्थान में उसका योगदान लेना ही प्रो. अस्थाना को श्रद्धांजलि होगी। डॉ. अनिल वर्मा ने प्रो. अस्थाना की कृतियों व शोध ग्रंथों के बारे में बताया। इस अवसर पर अंबेडकर चेयर के अध्यक्ष प्रो. सुगम आनंद, प्रो. एके सिंह, प्रो.राजेंद्र शर्मा, प्रो. राजेश धाकरे, प्रो. हरिमोहन शर्मा, प्रो. प्रदीप श्रीधर, प्रो. पीएन सक्सेना, प्रो. आशा अग्रवाल, प्रो. मीनाक्षी श्रीवास्तव, प्रो. दीपमाला श्रीवास्तव, डॉ. मनोज उपाध्याय, डॉ. वीपी सिंह, डॉ. वीके सारस्तव, डॉ. लवकुश मिश्रा, डॉ. बृजेश रावत, डॉ. बीडी शुक्ला, डॉ. हेमा पाठक आदि मौजूद रहीं।