कंजूसी में न फंस जाए सीता जी का डोला
जागरण संवाददाता, आगरा: जनकपुरी महोत्सव में प्रशासन की 'कंजूसी' आयोजन का रंग फीका कर सकती है। आयोजन समिति को आशंका है कि प्रशासन ने बजट बचाने के चक्कर में चुन-चुन कर विकास कार्य कराए, तो हो सकता है कि सीता जी का डोला या गणेश पूजन यात्रा गड्ढों से हिचकोले लेते निकले या कहीं फंस न जाए। लिहाजा, समिति ने प्रशासन के सात-आठ करोड़ के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।
जनकपुरी उत्तर भारत का प्रमुख धार्मिक आयोजन है। इस बार यह दयालबाग क्षेत्र में सजाई जा रही है, जो क्षेत्रफल में अब तक सजती रही जनकपुरी से बड़ी है। यह धार्मिक आयोजन जहां होता है, उस क्षेत्र को विकास की सौगात मिलती है। प्रशासन और विभिन्न विभागों द्वारा वहां विकास कार्य कराए जाते हैं। दयालबाग में आयोजन का मौका आया तो आयोजन समिति ने प्रशासन को विकास कार्यो के प्रस्ताव दे दिए। यह अनुमानित 18 से बीस करोड़ रुपये के थे। जिला प्रशासन, आगरा विकास प्राधिकरण, नगर निगम आदि विभागों के अधिकारियों ने 18 करोड़ के प्रस्तावों को अधिक बताया। समिति के अध्यक्ष जेएस फौजदार, संयोजक अनिल चौधरी, स्वागताध्यक्ष सतीश अरोड़ा, आलोक सिंह आदि को बुला कर प्राथमिकता बताने को कहा। अधिकारियों की मंशा थी कि सात- आठ करोड़ के ही प्रस्ताव मंजूर किए जाएं।
मगर समिति पदाधिकारियों ने इससे इंकार कर दिया है। गुरुवार को एडीए और नगर निगम की टीम क्षेत्र में प्रस्ताव के आधार पर एस्टीमेट बनाने में जुटी रही। वहीं, जनकपुरी समिति ने और प्रस्ताव भी बनाकर प्रशासन को थमा दिए हैं। संयोजक अनिल चौधरी ने बताया कि पहले ही अनुमानित बजट 18- 20 करोड़ बताया गया था। 25 प्रस्ताव पहले दिए थे और गुरुवार को 20 नए दिए हैं। इतने बजट में यह सारे काम हो जाएंगे। मगर इनमें कटौती की कोई गुंजाइश नहीं है। सड़कों की हालत खराब है। सीता जी का डोला या अन्य यात्राओं में मुश्किल आएगी।
60 कॉलोनियों के हैं 45 प्रस्ताव
समिति पदाधिकारियों ने बताया कि जनकपुरी आयोजन के दायरे में दयालबाग की 80 कॉलोनियां आ रही हैं। विकास के जो 45 प्रस्ताव दिए हैं, वे 60 कॉलोनियों के हैं। अभी बीस कॉलोनी बची हैं। आयोजन इस तरह से किया जाएगा कि कोई क्षेत्र इससे अलग- थलग नजर न आए। विकास से भी कोई अछूता नहीं रहना चाहिए। समिति का कहना है कि अन्य क्षेत्रों में पहले भी जनकपुरी सजती रही है, लेकिन दयालबाग में यह आयोजन पहली बार हो रहा है।
एडीए और निगम की टीम प्रस्तावों का एस्टीमेट तैयार कर रही है। समिति पदाधिकारियों से बात हुई है। आला अधिकारियों के साथ बैठक कर फिर से प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा।
रवींद्र कुमार, सचिव, एडीए