समय पर इलाज से बच जाती सिपाही की आंख
जागरण संवाददाता, आगरा: सपाइयों की पिटाई घायल सिपाही की आंख की रोशनी अफसरों की नासमझी से चली गई। कुर्सी बचाने की कवायद में जुटे अफसरों ने उसे इलाज के लिए महत्वपूर्ण शुरुआती घंटों को मुंह बंद रखने की हिदायत देने में ही गुजार दिया। अब सिपाही की आंख की रोशनी जाने पर अफसर परिजनों को दबाव में ले लिया है। इसलिए वे खुलकर कुछ भी बोलने के बजाए दबी जुबां में कार्रवाई की बात कर रहे हैं।
बाह के बटेश्वर में शनिवार शाम को चेकिंग कर रही स्टेटिक टीम पर सपाइयों ने इसलिए हमला बोल दिया कि उन्होंने गाड़ियों पर लगे झंडों की अनुमति मांग ली थी। इस हमले में सिपाही राजेंद्र जोशी की आंख में गंभीर और वीडियोग्राफर विष्णु के कानों में चोट लगी थी। बाह स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सकों ने आंख का प्राथमिक उपचार किया, तभी उसकी आंख की गंभीर हालत दिखाई दे गई थी। घायल सिपाही को तत्काल किसी बड़े अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत थी। मगर, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने ऐसा नहीं होने दिया। शाम 4.05 बजे हुए हमले में सिपाही घायल हुआ। बाह में प्राथमिक उपचार के बाद उसे जिला अस्पताल नहीं भेजा गया। बल्कि अधिकारियों ने उसे समझाने के लिए बंगले पर बुला लिया। यहां जिले के बड़े-बड़े पुलिस प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे। हमले के पीछे सपा का इतना बड़ा नेता था कि अफसर उसका नाम भी अपनी जुबां से नहीं ले रहे थे। हां, कुर्सी बचाने के लिए सिपाही को समझाने में उन्होंने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी गई। करीब दो घंटे तक उसे समझाया गया। फिर कहीं जाकर उसे अस्पताल ले जाया गया। अब उसकी आंख की रोशनी चली गई। बुधवार को उसकी आंख की पट्टी खुलने के बाद इसकी औपचारिक घोषणा बाकी है। सूत्रों के अनुसार अधिकारियों ने परिजनों को भी दबाव में ले लिया। इसलिए वे भी कुछ नहीं बोल रहे। चिकित्सकों का कहना है कि अगर आंख में चोट लगने के बाद समय से राजेंद्र जोशी को इलाज मिल जाता तो उसकी आंख की रोशनी बचाई जा सकती थी।