नवजात के लिए खतरनाक मां का मधुमेह
जागरण संवाददाता, आगरा: मधुमेह आज आम बीमारी बन चुकी है, लेकिन नुकसान के लिहाज से यह आम नहीं है। इलाज के दौरान दवा लेने में लापरवाही खतरनाक हो सकती है। गर्भवती स्त्रियों को और भी सचेत रहना चाहिए।
यह बातें रविवार को देश भर से आए विशेषज्ञों ने होटल क्लार्क शीराज में आयोजित रिसर्च सोसायटी फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया (आरएसएसडीआइ) यूपीकॉन में कही। दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस के अंतिम दिन लखनऊ से आए डॉ. अनुज माहेश्वरी ने बताया कि मधुमेह अगर पहले से है, तो गर्भावस्था में मरीज को डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। विभिन्न दवाओं के समायोजन के साथ ही बच्चे को जन्म देने की तैयारी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मां के खून में बढ़ा हुआ शुगर बच्चे को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। जयपुर के डॉ. एसके शर्मा ने पैरों में होने वाली विभिन्न बीमारियों और उनकी देखभाल पर चर्चा की। उनका कहना था कि प्रतिवर्ष एक लाख मरीजों के पैर काटने की नौबत आ जाती है। मरीजों को अपने पैरों की नियमित देखभाल करनी चाहिए। नंगे पैर चलने से बचना चाहिए।
डॉ. अजय कुमार ने नई प्रकार की दवाओं के बारे में बता कर मधुमेह को नियंत्रित करने की विधियों के बारे में बताया। गाजियाबाद से आए डॉ. पंकज अग्रवाल का कहना था कि शुगर को नियंत्रित कर लें, तो चालीस फीसद तक मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। डॉ. विपिन मिश्रा ने 'सिंपल लिविंग, हाई थिंकिंग' की विचारधारा पर विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर आयोजन अध्यक्ष डॉ. एके गुप्ता, डॉ. वीएन कौशल, आयोजन सचिव डॉ. अतुल कुलश्रेष्ठ, आगरा डायबिटिक फोरम के सचिव डॉ. सुनील बंसल आदि मौजूद थे।