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लालटेन की 'रोशनी' में होटलों का कानून

By Edited By: Published: Wed, 24 Apr 2013 11:02 PM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2013 11:03 PM (IST)
लालटेन की 'रोशनी' में होटलों का कानून

जागरण संवाददाता, आगरा: जगह-जगह मुसाफिरखाना। शाम होते ही दरवाजे पर रोशनी बिखेरती लालटेन। लंबा सफर करके आये थके-हारे घोड़ों के लिए अस्तबल। राहगीरों की प्यास बुझाने को कुआं और पानी निकालने को रस्सी-बाल्टी। ये सब पुराने जमाने की बातें हैं। अब गगनचुंबी इमारतों में बने होटल और यहां पर ठहरने के इंतजाम तक पूरी तरह बदल चुके हैं। परंतु इनके लिए लागू होने वाला कानून अब भी लालटेन की 'रोशनी' में ही चल रहा है। अब तक 146 साल पुराने कायदे ही लागू हैं।

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भारत के लिए पर्यटन उद्योग भले ही विदेशी मुद्रा की आय का बड़ा जरिया बन चुका है, परंतु होटलों को लेकर नियम-कानून नहीं बदले। सितारा होटलों से लेकर लॉज तक के पंजीकरण और नियंत्रण के लिए ब्रिटिश शासन के दौरान सन् 1867 में बना सराय एक्ट ही है। इस अधिनियम के हिसाब से सराय के नजदीक ऐसे पेड़ नहीं होने चाहिए। जिनके जरिए चोर या अवांछनीय तत्व सराय में प्रवेश कर सकें या भाग सकें। सराय में पेयजल के लिए कुएं और पानी खींचने के लिए रस्सी व बाल्टी, प्रकाश के लिए लालटेन, पशुओं को बांधने और चारा-पानी की व्यवस्थाएं आदि का प्रावधान हैं। जो वर्तमान में प्रासंगिक ही नहीं हैं। हालांकि आगुंतक का विवरण रजिस्टर वर्तमान स्थितियों में भी आवश्यक हैं।

अधिनियम की सबसे बड़ी कमजोरी नियमों के उल्लंघन के लिए किया गया सजा का प्रावधान है। सराय एक्ट के मुताबिक यदि कहीं बिना पंजीकरण के सराय का संचालन हो रहा है या फिर नियमों का उल्लंघन हो रहा है, तो 20 रुपये का जुर्माना किया जाएगा। इसके बाद भी यदि नियमों का उल्लंघन जारी रहता है, तो एक रुपये प्रतिदिन का जुर्माना होगा। इस मामूली जुर्माने के चलते अवैध होटलों के संचालन पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।

दिलचस्प यह है कि ताजनगरी में बीते कई साल से किसी भी होटल पर यह जुर्माना भी नहीं लगाया गया। उप्र पर्यटन विभाग की मानें, तो पूरे प्रदेश में कार्रवाई का यही प्रतिशत है। ऐसे में अब उद्यमी इसमें बदलाव की मांग उठा रहे हैं।

दो साल पहले हुई थी बदलाव की कोशिश

दो साल पहले इस एक्ट में बदलाव के लिए होटल उद्यमियों से सुझाव मांगे गए थे। तब तत्कालीन महानिदेशक उप्र पर्यटन मनोज कुमार सिंह ने सभी होटल एसोसिएशन व उद्यमियों को पत्र भेज सुझाव मांगे थे।

यह हैं बदलाव के प्रमुख सुझाव

- वर्तमान में अप्रासंगिक प्रावधान समाप्त हों।

- होटल स्वामी के चरित्र सत्यापन का प्रावधान बहाल रहे।

- सराय एक्ट को होटल एक्ट बनाया जाए।

- लॉज, गेस्ट हाउस, रेस्ट हाउस, बजट क्लास होटलों (20 कमरों तक) के लिए अलग और सितारा होटलों के लिए अलग एक्ट बने।

- होटल, लॉज आदि के लिए कमरों, शौचालय आदि का आकार तय हो।

- यात्रियों की सूचना दर्ज करने के लिए सरकार एक प्रोफार्मा तैयार करे।

- विदेशियों की सूचना के लिए फॉर्म-सी की तरह भारतीयों के विवरण के लिए ऐसा ही प्रावधान हो।

-यात्रियों के ठहरने की अधिकतम सीमा निर्धारित की जाए।

-यात्री के गलत आचरण पर होटल स्वामी को एक घंटे के नोटिस पर कमरा खाली कराने का अधिकार मिले।

- पंजीकरण न कराने पर लगने वाली पेनाल्टी की धनराशि बढ़ाई जाए और सख्त सजा का प्रावधान हो।

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