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यरकॉड को दक्षिण का गहना यूं ही नहीं कहते

तमिलनाडु के सेलम जिले में स्‍थित यरकॉड का अर्थ है झील और जंगल इसीलिए इसे लेक फॉरेस्‍ट कहते हैं। इसका एक नाम सेवन फॉरेस्‍ट भी है। आइये जाने इस अनजाने से हिल स्‍टेशन के बारे में।

By molly.sethEdited By: Published: Tue, 23 May 2017 11:27 AM (IST)Updated: Tue, 23 May 2017 01:45 PM (IST)
यरकॉड को दक्षिण का गहना यूं ही नहीं कहते
यरकॉड को दक्षिण का गहना यूं ही नहीं कहते

कम चर्चित है यरकॉड

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तमिल नाडु का एक पर्वतीय पर्यटक स्थल यरकॉड पूर्वी घाट पर सर्वरायन पर्वत श्रृंखला पर स्थित है। ऊटी और कोडाईकनाल जैसे अन्य हिल्स स्टेशनों से सस्ता यह स्थान अभी उतना लोकप्रिय नहीं है। इसीलिए यहां उतनी भीड़ भी नहीं है। प्रकृति को करीब से महसूस करने की इच्‍छा रखने वाले लोगों के लिए यह एक परफेक्‍ट टूरिस्‍ट डेस्‍टिनेशन है। यहां के कई दर्शनीय स्‍थल आपको अपना दीवाना बना सकते हैं। 

यरकॉड झील और अन्ना पार्क

यरकॉड का सबसे बड़ा आकर्षण है यहां की झील है। इसकी ठंडी हवा आपको तरोताजा कर देगी। झील के पास ही अन्ना पार्क है जहां फूल की कई आकर्षक प्रजातियां है, इनकी मई के महीने में प्रदर्शनी भी होती है जब यहां ग्रीष्म महोत्सव का आयोजन किया जाता है। झील के बीच में एक द्वीप है जिस पर ओवरब्रिज द्वारा जाया जा सकता है। इस द्वीप पर हिरन और मोर की बहुतायत है। यहां बोटिंग भी की जा सकती है पर आपको सावधान रहने की जरुरत है।

शेवाराय मंदिर और भालू की गुफा

सर्वरायन पहाड़ी पर समुद्रतल से 5326 फीट ऊपर शेवाराय मंदिर है। यह यरकौड की सबसे ऊंची जगह है। यह स्थानीय देवता सरवरन और उनकी पत्नी कवरिअम्मा का मंदिर है। यहां रहने वाली जनजाति प्रतिवर्ष मई में अपना वार्षिकोत्सव मनाती है तब इस मंदिर पर भव्‍य उत्‍सव का आयोजन होता है। मंदिर के रास्ते में ही नोर्टन बंगले के पास भालू की गुफा है। कहते हैं बहुत समय पहले यह एक राजा की गुप्त सुरंग का प्रवेश द्वार था। करीब 60 फीट लम्बी यह गुफा इतनी नीची है कि इसमें आपको घुटनों के बल चलना पड़ता है।

किलियुर जलप्रपात

यरकॉड से 3 किलोमीटर दूर एक जलप्रपात है। 300 फीट ऊंचे इस प्रपात का नाम किलियुर जलप्रपात है। यहां तक पहुंचने का रास्ता बहुत रोमांचक है। हालाकि बुजुर्गों को यहां जाने में कठिनाई हो सकती है।

लेडीज सीट

इस स्‍थान से घाट रोड का नजारा दिखाई देता है। रात को यहां से रोशनी में जगमगाता सालेम शहर बहुत ही खूबसूरत नजर आता है। लेडीज सीट पर एक टेलीस्कोप है जिसके जरिए मैदानी इलाके को देखने में बड़ा मजा आता है। यहां से बाएं ओर जाने पर कावेरी नदी पर बना मेत्तूर बांध भी दिखाई देगा।

बोटेनिकल गार्डन

यरकॉड के इस वनस्पति उद्यान में पिचर प्लांट जैसी दुर्लभ प्रजातियों सहित पौधों की अनेक प्रजातियां मौजूद हैं। इस गार्डन में कुरिंजी फूल भी देखा जा सकता है, कहते हैं कि यह बारह साल में एक बार उगता है। यहां भारत का तीसरा सबसे बड़ा ऑर्किडेरिअम भी है। इसमें ऑर्किड की सौ से ज्यादा किस्में देखने को मिलती हैं। इनमें से कुछ तो इतनी रेयर है कि दुनिया में और कहीं नहीं मिलतीं। 

आसपास के दर्शनीय स्‍थल

सलेम:  यरकॉड से 30 किलोमीटर दूर यह इस क्षेत्र का सबसे बड़ा नगर सेलम है। यहां कुछ प्राचीन मंदिर हैं। लेकिन इसकी मुख्य पहचान यहां के उद्योगों से है। जिनमे स्टील, साबूदाना और हस्त करघा उद्योग प्रमुख हैं।

नमक्कल: वहीं 48 किलोमीटर दूर एक छोटी सी पहाड़ी के नीचे स्थित है नमक्कल। इस पहाड़ी के ऊपर एक किला है। जहां चट्टानों को काटकर बनाए गए नरसिम्हास्वामी और रंगनाथस्वामी को समर्पित दो गुफा मंदिर हैं। इस स्थान पर हनुमान जी की 20 फीट ऊंची प्रतिमा भी है जो एक ही पत्थर को काटकर बनाई गई है।

अरंगलूर: यरकॉड से 74 किलोमीटर की दूरी पर अरंगलूर गांव है जहां एकंबरा मुदलियार नामक राजा का शासन था। यहां भी दो प्रमुख मंदिर हैं। एक मंदिर श्री कामेश्वर का और दूसरा करिवरडपेरुमल का है। अरंमलूर के बाहरी हिस्से में बने तिसंगनूर गांव में भगवान बुद्ध की एक विशाल प्रतिमा है।

कैसे जायें

यरकॉड पहुंचना कतई मुश्‍किल नहीं है। यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा तिरुचिरापल्ली है। इसके अलावा कोयंबटूर और बैंगलोर हवाई अड्डों से भी यहां पहुंचा जा सकता है। रेल मार्ग से भी यहां आया जा सकता है इसके लिए आपको  यहां से 31 किलोमीटर दूर सलेम जंक्शन पर आना होगा। सलेम से बस और टैक्सी के जरिए यहां पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा चैन्नई, त्रिची, मदुरै, बैंगलोर और कोयंबटूर भी सड़क मार्ग से यरकौड से जुड़ा हुआ है।


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