ना पुलिस का डर, ना लोगों की फब्तियां...अकेले में समय बिताने यहां जाएं मोहब्बत के दीवाने
साथी के साथ कुछ वक्त गुजारना हो तो अक्सर मांग लिया जाता है शादी का सबूत। अविवाहित जोड़ों के इसी असमंजस का समाधान बन रहे हैं नए दौर के स्टार्टअप वेंचर...
आप अपने साथी के साथ कुछ वक्त गुजारना चाहते हैं मगर यह समझ नहीं पा रहे हैं कि कहां जाएं। कौन सी
जगह का चुनाव करें जहां सुकून के कुछ पल बिता सकें, साथ ही वह निजी पल सुरक्षित भी हों। तो अब आपको ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं। ऐसी मुश्किलों को सुलझाने के लिए भी कुछ स्टार्टअप आ गए हैं। ऐसे स्टार्टअप, जो एकाकी लम्हे गुजारने के लिए स्थान उपलब्ध करा रहे हैं।
संशय से निकला समाधान
दरअसल, हिंदुस्तानी समाज में अविवाहित जोड़ों को तमाम तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। कभी प्यार के लिए उन्हें समाज से लड़ना पड़ता है, तो कभी एकांत की तलाश में भटकना पड़ता है। इसकी खोज में वे सिनेमाघर, पार्क, मॉल्स, समंदर के किनारे आदि पहुंचते हैं लेकिन सामाजिक भय और सुरक्षा का खतरा इतना ज्यादा होता है कि यहां भी चंद पल बिताना आसान नहीं होता। इसी संशय को समझते हुए एक स्टार्टअप कंपनी ‘स्टे अंकल’ ने अविवाहित जोड़ों के लिए होटल में कमरे बुक करने की सुविधा शुरू की है। इसके लिए कंपनी ने होटलों के साथ अनुबंध किया है। वेबसाइट पर लॉगइन करके इससे जुड़े किसी भी होटल में कुछ घंटों के लिए कमरा बुक किया जा सकता है। इसके लिए जोड़ों को सिर्फ पहचान पत्र दिखाने होंगे।
इश्क है कोई गुनाह नहीं
अमूमन जब भी प्रेमी-प्रेमिका किसी सार्वजनिक जगह पर मिलते-जुलते हैं, तो वहां मौजूद लोग उन्हें ऐसी नजरों से देखते (या कहें कि घूरते) हैं कि न चाहते हुए भी लड़के-लड़कियों की नजरें झुक जाती हैं। वे मन मसोसकर लोगों से छिपने-छिपाने का प्रयास करते हैं या फिर परेशान होकर वहां से चले जाते हैं। अगर कुछ जोड़े हिम्मत जुटाकर
वहां बैठे भी रहें तो आस-पास गुजरने वालों की निगाहें, ताने और फब्तियां ऐसी होती हैं, जो उनकी रूह तक हिला
देती हैं। स्टे अंकल के सीईओ संचित सेठी कहते हैं, ‘इस तरह के व्यवहार से प्रेमी जोड़ों को यह अहसास होने लगता है मानो वे प्रेम नहीं, कोई अपराध कर रहे हैं।’
जमाने की नजरों से बचकर अकेले में
ट्रैवलर्स के लिए था मॉडल
मूल रूप से स्टे अंकल का बिजनेस मॉडल प्रेमी जोड़ों को ध्यान में रखकर शुरू नहीं किया गया था। संचित तो ऐसे यात्रियों को कमरे उपलब्ध कराना चाहते थे, जो बहुत कम समय के लिए किसी दूसरे शहर में जाते थे। उन्हें कुछ घंटों के लिए कमरे की जरूरत होती थी। संचित बताते हैं कि उनके पास 99 प्रतिशत कॉल्स अविवाहित लोगों की आती थीं, जिन्हें कुछ समय के लिए एकांत चाहिए था। इस मांग को देखते हुए उन्होंने होटलों को इस दिशा में मनाने का प्रयास किया।
दुर्व्यवहार-उगाही से मिलेगी निजात
सार्वजनिक जगहों पर प्रेमियों को अक्सर दुव्र्यवहार और उगाही का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी तो डराया-धमकाया भी जाता है। समाज और संस्कृति के रक्षक कहे जाने वाले लोग परेशान करते हैं। साइकोलॉजिस्ट डॉ. आरती आनंद कहती हैं, ‘पुलिसवाले भी प्रेमी जोड़ों से तमाम तरह के सवाल पूछते हैं और उनसे पैसे ऐंठने के लिए धमकियां तक देते हैं। इस तरह की पहल से इन मुसीबतों से छुटकारा मिल सकेगा।’ अक्सर प्रेमी जोड़ों की राह
में सुरक्षा भी अहम मुद्दा होती है। अनजानी जगहों पर अनहोनी, उगाही, एमएमएस या ब्लैकमेलिंग की आशंका बढ़ जाती है। समाजशास्त्री प्रोफेसर सुरेश कुमार कहते हैं, ‘इन परिस्थितियों में फंसने के बाद कई बार युवाओं का
आगे का जीवन बुरी तरह प्रभावित होता है। ऐसे में प्रेमी जोड़ों की सुरक्षा बेहद अहम है।’
मुश्किल था यह सफर
स्टे अंकल का सफर आसान नहीं था। हमें सिर्फ बिजनेस स्थापित नहीं करना था बल्कि समाज की मानसिकता में बदलाव भी लाना था। लोगों को यह अहसास कराना था कि समाज की बदलती सच्चाई को स्वीकार करना पड़ेगा। यह अलग बात है कि इसके लिए मुझे अपने ही घर में काफी आलोचना झेलनी पड़ी लेकिन मेरा और मेरी टीम का भरोसा था कि हम प्रेमी जोड़ों के प्रति समाज की इस सोच को बदलने की एक पहल तो करेंगे ही। शुरुआत में होटलों को मनाने में भी बहुत मुश्किलें हुईं। कोई भी होटल इस बात के लिए तैयार नहीं था लेकिन धीरे-धीरे हम होटल संचालकों को समझाने में कामयाब रहे। फिलहाल यह कंपनी महानगरों के अलावा कई शहरों में अपनी सेवाएं दे रही है।
संचित सेठी, सीईओ, स्टे अंकल
बदलाव हो सकारात्मक
आज समाज में बदलाव की बयार तेजी से बह रही है। हर कोई जिंदादिली के साथ अपनी हर ख्वाहिश पूरी करना चाहता है। इसके लिए वह समय का इंतजार भी नहीं करना चाहता। इसी का परिणाम है कि जोड़ों के लिए इस तरह के अवसर सामने आ रहे हैं। इन प्रयासों से युवाओं के भीतर से ग्लानि का भाव खत्म हो सकता है और समाज का अनावश्यक दबाव भी उनकी परेशानी का सबब नहीं बनेगा लेकिन परिर्वतन की इस आंधी में यह भी जरूरी है कि युवा संतुलित रहें, जिससे यह परिर्वतन उनके जीवन में सकारात्मकता लेकर आए।
कुमार सुरेश
समाजशास्त्री एवं प्रोफेसर, नेशनल यूनिवर्सिटी एजुकेशनल प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन, दिल्ली
सावधानी भी है जरूरी
अगर अविवाहित जोड़ों को आजादी मिल रही है, तो इसमें जोखिम भी हो सकते हैं। अतिरिक्त आजादी में भटकाव के साथ-साथ मुसीबत में फंसने की आशंका भी रहती है। ऐसी किसी जगह पर जाने से पहले वहां की चुनौतियों से वाकिफ रहें। खासतौर पर लड़कियां और महिलाएं। जैसे- उनका साथी कितना भरोसमंद है, उसकी नीयत में कोई खोट तो नहीं, कहीं वह आपके भरोसे का अतिरिक्त फायदा तो नहीं उठाएगा, उन्हें ब्लैकमेल तो नहीं करेगा। हालांकि किसी भी शख्स के धोखे की नीयत को भांपना आसान नहीं, फिर भी विश्वास की डोर कितनी मजबूत है, यह सिर्फ और सिर्फ आपको परखना और तय करना होगा। ऐसी किसी भी जगह जाने से पहले अपने किसी भरोसे के एक शख्स को जरूर बताकर जाएं, जिससे आप सुरक्षित रह सकें।
डॉ. आरती आनंद
साइकोलॉजिस्ट, सर गंगाराम हॉस्पिटल
जागरण फीचर
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