कुदरती खूबसूरती का खजाना है ये नेशनल पार्क, यहां की सैर आपके लिए होगी पैसा वसूल
अगर द्वीपों की कुदरती खूबसूरती का लुत्फ उठाना चाहते हैं, तो एक बार जरूर इस नेशनल पार्क घूम आइए। वाकई में यहां की सैर आपके लिए पैसा वसूल साबित होगी...
भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्थित साउथ बुटोन नेशनल पार्क की कुदरती खूबसूरती बेमिसाल है। यह जैव विविधता से भरपूर है, लेकिन आज भी कम लोगों को ही इस टूरिस्ट डेस्टिनेशन के बारे में पता है, जबकि घूमने-फिरने वालों के लिए यह एक बेहतरीन जगह है। यह पूरा पार्क रेतीले समुद्री तटों से घिरा हुआ है। चारों ओर हरियाली ही हरियाली है। अगर स्कूबा डाइविंग करनी हो, तो इससे अच्छी जगह और क्या हो सकती है। यहां हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक स्कूबा डाइविंग और स्नोर्कलिंग के लिए आते हैं।
अब वैसे तो यहां देखने के लिए वन्यजीवों से लेकर इतना कुछ है कि इसकी अनुभूति यहां आने पर ही मिल सकती है। दरअसल, बुटोन नेशनल पार्क अंडमान और निकोबार द्वीप समूहों का हिस्सा होने के कारण भी इसकी कुदरती खूबसूरती और ज्यादा है। यह पूरा क्षेत्र करीब 5 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। पास में ही इसके बैरेन आइलैंड, लॉन्ग आइलैंड, हैवलॉक आइलैंड आदि भी हैं।
भौगोलिक नजारे
इस नेशनल पार्क की स्थापना वर्ष 1987 में हुई थी। इसका पूर्वी हिस्सा बहुमूल्य कोरल पत्थरों का भंडार है। सुकून भरे पल बिताने के लिए यहां शानदार बगीचे हैं। इस जगह की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां का मौसम पूरे साल खुशनुमा रहता है। तापमान आमतौर पर 20 से 30 डिग्री के बीच रहता है। सिर्फ मानसून के दौरान वातावरण थोड़ा अलग होता है। यहां जून से अक्टूबर के दौरान बहुत बारिश होती है। पार्क का पूरा एरिया वन्य जीवों से समृद्ध और बायोडायवर्सिटी के कारण प्रतिबंधित है। इस कारण यहां कोई भी विकास कार्य करना या फिर जानवरों के शिकार करने पर रोक है। इसलिए पार्क चारों तरफ से पूरी तरह घिरा हुआ है। लोग यहां स्कूबा डाइविंग का मजा लेने के साथ-साथ नीले पानी की धाराओं में तैरती रंगबिरंगी मछलियों और अन्य समुद्री जीवों को करीब से देखने का लुत्फ उठाने आते हैं। यहां के स्थानीय लोगों का व्यवहार भी पर्यटकों के प्रति काफी दोस्ताना होता है। यहां के स्थानीय लोग कई भाषाएं भी बोलना जानते हैं, जैसे कि हिंदी, अंग्रेजी, बंगाली, तमिल, मलयालम और तेलुगू इत्यादि।
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महत्वपूर्ण संपदाएं
बुटोन पार्क सिर्फ अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए ही मशहूर नहीं है, बल्कि यहां के कोरल भी दुनियाभर में खूब पसंद किए जाते हैं। कोरल की इतनी किस्में यहां आपको देखने को मिलगी, जो शायद ही कहीं और देखने को मिले। वन्यजीव भी यहां एक से बढ़कर एक हैं, जैसे कि पानी की छिपकली, समुद्री टर्टल, डॉल्फिन, लॉयन फिश, एजेंल फिश, बटरफ्लाई फिश, आक्टोपस, तेंदुआ और समुद्री गिद्ध इत्यादि।
कैसे पहुंचे
यह नेशनल पार्क पर्यटकों के लिए पूरे साल खुला रहता है। वैसे घूमने के लिए यह जगह दिसंबर से अप्रैल के बीच अच्छी मानी जाती है। इस पार्क तक आप पोर्ट ब्लेयर के रास्ते आ सकते हैं। दिल्ली, कोलकाता और चेन्नई एयरपोर्ट से पोर्ट ब्लेयर के लिए हवाई सेवाएं हैं। चाहें, तो पानी के जहाजों के जरिए भी इस डेस्टिनेशन तक पहुंच सकते हैं। जलपोत से आना चाहते हैं, तो पोर्ट ब्लेयर तक विशाखापट्टनम, कोलकाता और चेन्नई से होकर आ सकते हैं। फिलहाल इस द्वीप तक आने के लिए कोई ट्रेन सर्विस नहीं है। इस डेस्टिनेशन से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन चेन्नई का है। इस पार्क तक सड़क मार्ग से आने के लिए भी कोई सुविधा नहीं है। पर्यटक यहां पहुंचने के बाद पार्क अथॉरिटी से एंट्री फीस, नाव की फीस और अन्य शुल्कों के बारे में जानकारी के लिए संपर्क कर सकते हैं।
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ठहरने के इंतजाम
नेशनल पार्क के एरिया में पर्यटकों के लिए ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है। हां, लेकिन इसके आसपास आप लॉन्ग आइलैंड, हैवलॉक आइलैंड और पोर्ट ब्लेयर में ठहर सकते हैं। साउथ बुटोन नेशनल पार्क अथॉरिटी भी अपने पर्यटकों को जरूरी वांछित सुविधाएं उपलब्ध कराती है।
- जागरण फीचर