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विदेशी पर्यटक भी यहां लेते हैं कुल्फी का स्वाद

पुरानी दिल्ली में कई ऐसी जगह हैं जहां सिर्फ कुल्फी, रबड़ी-फलूदा , और आइसक्रीम के लिए मशहूर है। एक दो स्थानों पर तो मुगल जमाने से ही कुल्फी और आइसक्रीम बनाई जाती हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 12 Apr 2016 12:53 PM (IST)Updated: Tue, 12 Apr 2016 04:09 PM (IST)
विदेशी पर्यटक भी यहां लेते हैं कुल्फी का स्वाद
विदेशी पर्यटक भी यहां लेते हैं कुल्फी का स्वाद

पुरानी दिल्ली में कई ऐसी जगह हैं जहां सिर्फ कुल्फी, रबड़ी-फलूदा , और आइसक्रीम के लिए मशहूर है। एक दो स्थानों पर तो मुगल जमाने से ही कुल्फी और आइसक्रीम बनाई जाती हैं। कुल्फी और आइसक्रीम जिस तरह आज भी लोगों की पसंद में सवरेपरि हैं वैसे ही बादशाहों की भी पहली पसंद यही हुआ करती थीं।
उनकी कुल्फी खाने की तलब कुछ इस कदर थी कि वे इसके लिए बर्फ का इंतजाम पहाड़ी इलाकों से किया करते थे। आइने-ए-अकबरी में इस बात का जिक्र है कि बादशाह अकबर आइसक्रीम बनाने के लिए हिमालय से बर्फ मंगाया करते थे। जाहिर है कई दिन लग जाते होंगे बर्फ को महल तक पहुंचने में। अब बादशाहों का जमाना गुजरे भी भी जमाना हो गया लेकिन कुल्फी का जमाना पुराने स्वाद के साथ नए कलेवर में आज भी बरकरार है। इसी मीठे और ठंडे जायके के सफर की शुरुआत फतेहपुरी से होती है।
भीड़ बता देगी यहां है कुछ खास
फतेहपुरी चौक से चर्च मिशन रोड की तरफ जा रहे हैं तो ज्ञानी की कुल्फी और फलूदा की दुकान के आगे जुटी भीड़ से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां कुछ खास है। दरअसल भारत पाकिस्तान के विभाजन के बाद ज्ञानी गुरचरण सिंह दिल्ली आए। पाकिस्तान के लालपुर में आइसक्रीम के जमे जमाए व्यापार को छोड़कर परिवार के साथ 1956 में दिल्ली आ गए। दिल्ली में कोई दुकान तो थी नहीं इसलिए ज्ञानी गुरचरण सिंह ने शीशगंज गुरुद्वारे के सामने रेहड़ी लगाई। वहां लोगों को रबड़ी-फलूदा का स्वाद इतना पसंद आया की बाद में दुकान खरीद ली। उनके बेटे पदमजीत सिंह बताते हैं कि बंटवारे ने बहुत दुख दिया परिवार दिल्ली आया और उनके पिताजी ने छोटी उम्र में ही खानदानी व्यापार रबड़ी-फलूदा बनाना और बेचना शुरू किया। जब से रबड़ी-फलूदा बेचना शुरू किया है तब से कांच के इतने बड़े ही गिलास का इस्तेमाल किया जा रहा है। स्वाद भी वही है।
गिलास में कॉर्न से बने स्टार्च के बारीक नूडलस्, फिर रबड़ी व बर्फ और चाशनी डाल कर मिलाते हुए पदमजीत कहते हैं यह तरीका पीढ़ियों से चला आ रहा है। आइसक्रीम का भी काम है करीब 70 से ज्यादा किस्म की आइसक्रीम बेची जा रही हैं। इस दुकान में अभिनेता अक्षय कुमार, सलमान खान और राजेश खन्ना अकसर आते थे। राजेश खन्ना बेलजियम चॉकलेट आइसक्रीम बेहद पसंद किया करते थे।
बच्चन को पसंद हापुस कुल्फी
चावड़ी बाजार के कूचा पाती राम में करीब सौ साल पुरानी कुरेमल मोहनलाल की कुल्फी की दुकान भी ठंडक का अहसास कराती है। यहां कुल्फी की ठंडक के साथ मौसमी फलों का भी स्वाद लिया जा सकता है। वैसे इस ठंडक के दीवाने विदेशी और खासोआम भी हैं। सेब, अंगूर, मलाई, रबड़ी, आम, केला, जामुन, केसर पिस्ता और न जाने कौन कौन से फलों की कुल्फी का स्वाद एक ही दुकान पर चखा जा सकता है। कुल्फी के बनाने के अलग अंदाज और बेहतरीन स्वाद के चलते कुल्फी को देश में ही नहीं विदेश में भी काफी पसंद की जाती है।
विदेशी पर्यटक यहां तो कुल्फी का सुस्वाद लेते ही हैं पैक कराना भी नहीं भूलते। कुरेमल मोहनलाल कुल्फी की दुकान से कई बड़ी हस्तियों का भी जुड़ाव है। दुकान के मालिक अनिल कुरेमल ने बताया कि पुराने स्वाद को बरकरार रखने के कारण ही उनकी अलग पहचान है। उनके परदादा ने यह दुकान शुरू की थी, तब अंग्रेज दुकान में कुल्फी खाने आया करते थे। परदादा पहले अंग्रेजों की ही किसी कंपनी में कुल्फी बनाने का भी काम किया करते थे। बाद में उन्होंने अपनी दुकान शुरू की। वो आज तक चल रही है। नमक और बर्फ के बीच जमाई जाने वाली कुल्फी का स्वाद ऐसा है कि लोग भूल ही नहीं पाते और जब भी यहां से गुजरते हैं तो इस दुकान पर जरूर आते हैं। अब तो कुल्फी की पैकिंग की भी व्यवस्था की गई है। कई विदेशी पर्यटक अपने देश जाने से पहले हापुस आम और जामुन की कुल्फी पैक कराना नहीं भूलते। इसे थर्माकोल में पैक किया जाता है जिससे कुल्फी दस घंटे तक पिघलती नहीं है।
उन्होंने बताया कि कुल्फी बनाने की इस कला के चलते ही लंदन और दूसरे देशों के कार्यक्रमों में कुल्फी बनाने का काम मिला है। लक्ष्मी मित्तल, अभिताभ बच्चन जैसी हस्तियों के घरों में भी कुल्फी बनाई है। अनिल बताते हैं कि अमिताभ बच्चन हापुस आम की कुल्फी बेहद पसंद करते हैं इसलिए जब भी उनके घर में कोई कार्यक्रम होता है उनके लिए खासतौर पर हापुस आम मंगाया जाता है। पहले एक आने में कुल्फी बिका करती थी और अब कुल्फी की एक प्लेट सत्तर रुपए में मिलती है।


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