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उदयपुर की खूबसूरती यहां का हर इलाका पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है

समुद्रतल से 598 मीटर की ऊंचाई पर बसे उदयपुर को ‘पूर्व का वेनिस’ कहा जाता है, झीलों से घिरा होने के कारण इसे झीलों का शहर की संज्ञा से भी नवाजा जाता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 02 Jun 2016 02:02 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jun 2016 02:14 PM (IST)
उदयपुर की खूबसूरती यहां का हर इलाका पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है
उदयपुर की खूबसूरती यहां का हर इलाका पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है

राजस्थान की ऐतिहासिकता और इसकी खूबसूरती किसी से छिपी नहीं है। यहां का हर इलाका पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इन्हीं में से एक है अरावली पर्वतश्रृंखला में बसा बेहद ही सुंदर और रमणीय स्थल उदयपुर। उदयपुर को 1568 में महाराजा उदय सिंह ने उदयपुर रियासत की राजधानी बना दिया गया था। समुद्रतल से 598 मीटर की ऊंचाई पर बसे उदयपुर को जहां ‘पूर्व का वेनिस’ कहा जाता है, वहीं झीलों से घिरा होने के कारण इसे ‘झीलों का शहर’ की संज्ञा से भी नवाजा जाता है।

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कैसे जाएं

पक्की सड़क सुविधा के चलते उदयपुर तक आप किसी भी वाहन द्वारा पहुंच सकते हैं। दिल्ली से उदयपुर की दूरी लगभग 665 किलोमीटर है। नजदीक का रेलवे स्टेशन उदयपुर और एयरपोर्ट महाराणा प्रताप हवाई अड्डा है।

कब जाएं

सितम्बर से मार्च का समय उदयपुर घूमने के लिए सबसे अच्छा है।

कहाँ जाएँ: प्रमुख दर्शनीय स्थल:

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पिछोला झील :

1362 ईसवी में बनी यह एक कृत्रिम झील है। इस झील का नामकरण पास ही स्थित पिछोली गांव के कारण पड़ा है। झील को महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने बनवाया था। यह झील 4 किलोमीटर लंबी और 3 किलोमीटर चौड़ी है। झील की खूबसूरती देखते ही बनती है। इसके चार प्रमुख द्वीप हैं- जग निवास, जग मंदिर, मोहन मंदिर और आरसी विलास, जो झील की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। इसमें बोटिंग के साथ-साथ ऐतिहासिक स्थलों को निहारना एक अलग ही अनुभव प्रदान करता है।

जग मंदिर :

सिटी पैलेस से 150 मीटर की दूरी पर इंडो-आर्यन भवन निर्माण शैली में बना यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इसका निर्माण महाराजा कर्ण सिंह ने करवाया था। संगमरमर से सजा यह एक भव्य मंदिर है। कहा जाता है कि 1623-24 में जब बादशाह जहांगीर यहां रुके थे, तो इस मंदिर की बनावट और सुंदरता को देखकर ही उनके मन में ताजमहल बनाने का विचार जगा था।

जग निवास (लेक पैलेस):

यह अन्य दर्शनीय द्वीप है जहां झील महल निर्मित है। यह महल संगमरमर से बनी नायाब रचना है। इसकी खूबसूरती के क्या कहने! इसका निर्माण 1743-1746 में हुआ है। यह महल अब आधुनिक सुविधाओं से लैस एक होटल का रूप ले चुका है।

सहेलियों की बाड़ी :

इसका निर्माण महाराजा भोपाल सिंह ने करवाया गया है। सहेलियों की बाड़ी का अर्थ है- ‘दासियों का बाग’। शहर के उत्तरी क्षेत्र में स्थित यह स्थान बहुत ही खूबसूरत है। यहां के संगीतमय फव्वारे, कमल का तालाब, संगमरमर का हाथी मुख्य आकर्षणों में हैं। यहां स्थित एक छोटा म्यूजियम भी है। यह बाड़ी उन औरतों के लिए बनाई गई थी जो दहेज के रूप में रानी के साथ उदयपुर आई थीं।

फतेह सागर झील :

इस झील की सुंदरता से एक बार जरूर रू- ब-रू होना चाहिए। पिछोला झील के उत्तर में स्थित इस झील का निर्माण महाराणा जय सिंह ने 1678 में करवाया था। बाद में जब भारी बारिश के चलते इस झील को काफी नुकसान हुआ तो इसका फिर से निर्माण और विस्तार महाराणा फतेह सिंह ने करवाया।

सिटी पैलेस म्यूजियम :

महल के मुख्य द्वार पर उभरी कलाकृतियों के कारण महल के द्वार को भी म्यूजियम के तौर पर संरक्षित किया गया है। इस जगह आप राजशाही ठाट-बाट और इसकी ऐतिहासिकता को निहार सकते हैं। यह राजस्थान का सबसे बड़ा महल और उदयपुर का अभिन्न अंग है। इस महल का निर्माण महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने करवाया था। इसकी ऐतिहासिकता देखते ही बनती है। यह पैलेस छोटे-बड़े महलों का कॉम्प्लेक्स है। इस महल में उत्तर की ओर से बड़ी पोल और त्रिपोलिया द्वार द्वारा अंदर जाया जा सकता है।

गुलाब बाग और चिड़ियाघर :

पिछोला झील के पूर्व में महल के पास एक खूबसूरत बाग है जिसे ‘गुलाब बाग’ के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण महाराजा सज्जन सिंह ने करवाया था। बाग में स्थित पुस्तकालय में प्राचीन हस्तलेख और किताबें संग्रहीत हैं। बाग के अंदर ही एक चिड़ियाघर है जहां मौजूद बाघ, चीता, चिंकारा और बहुत से अन्य जंगली जानवरों को निहारना एक अलग ही अहसास करवाता है। यहां का अन्य आकर्षण मिनी ट्रेन है जिसमें बैठकर बच्चे खूब मजे कर सकते हैं। इस ट्रेन का ट्रैक बाग और चिड़ियाघर के बीचोंबीच से गुजरता है।

शिल्पग्राम शिल्प मेला :

यह मेला उदयपुर शहर के पश्चिम में हर वर्ष नवम्बर-दिसम्बर के महीने में मनाया जाता है। कपड़े, कढ़ाई, शीशे का काम और दस्तकारी की चीजों की खरीदारी के लिए यह बेहतरीन जगह है।


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