इथोपियन रीति रिवाज से किया जाता है यहां कस्टमर्स का स्वागत
इथियोपियन संस्कृति और सुस्वाद की अनूठी परंपराओं से मुलाकात करना चाहते हैं तो नीति मार्ग पर इथियोपियन कल्चर सेंटर चले आइये। चार साल पहले ही शुरू हुआ यह सेंटर लोगों के दिल में रच बस गया है। .
इथियोपियन जायकों और मेहमाननवाजी के अनोखे अंदाज से रूबरू होंगे :
जैसे ही सेंटर में प्रवेश करेंगे तो द्वार के ठीक बाईं ओर इथियोपिया ग्रामीण अंचल में रचे बसे वाद्य यंत्र सजे हैं। आपको बेहद सादगी और मेल मिलाप की संस्कृति की अनुभूति होगी। दुनिया की सबसे पुरानी यानी 32 लाख साल पुरानी लूसी नाम की एक महिला के कंकाल की तस्वीर, अन्य पुरानी सभ्यता के किस्से कहती तस्वीरें इतिहास के रोचक पहलुओं को जानने की जिज्ञासा को बढ़ाएंगी। अब चलते हैं लॉन की तरफ जहां सुस्वाद की दुनिया बसी है। पारंपरिक जायके उन्हें पकाने से लेकर परोसने तक के हर दिल को लुभा लेने वाले रिवाज। इस सेंटर में वैसे तो प्रवेश यहां के सदस्यों के साथ ही मुमकिन है लेकिन विशेष अनुरोध पर मौका मिल जाता है। सेंटर के एडवाइजर संजय ढींगरा बताते हैं, कि भले रेस्त्रां इथियोपियन व्यंजनों के लिए है लेकिन यहां भारतीय जायकों का सुस्वाद भी लिया जा सकता है। साथ ही समय समय पर यहां इथियोपियन संस्कृति का समागम भी रचता है। गीत संगीत, नृत्य तरह-तरह के आयोजन कराए जाते हैं।
परोसने का जुदा अंदाज
यहां के जायकों में खट्टेपन के साथ सॉस और मसालों का स्वाद बेहद लजीज होता है। भले इसमें मसालों का इस्तेमाल होता है लेकिन दिल्ली के जायकों सा तीखा स्वाद नहीं रखा जाता। वहीं, इन जायकों को परोसने का भी अंदाज भी जुदा है। बड़े से थाल में एक बेत से बनी टोकरी जैसी टेबल में सर्व किया जाता है। शाकाहारी खाने वालों के लिए कई तरह की सब्जियां एक समय पर पकाई जाती हैं। वेज थाली में मिसिर किक, डेफिन मेसिल, अजिफा (काली दाल), बेनितू (सब्जियां), फसोलिया बेकारुत (हरी फलियां) गोमेन (इथियोपियन पालक), गोमेन अलीचा (आलू की खास सब्जी) के साथ जीरा ब्रेड। वहीं, नॉनवेज थाली में डोरोवाट (चिली चिकन), बेगवॉट (मटन), बेग अलीचा और बेग टिप्स के साथ जीरा ब्रेड। इथियोपियन लोग खाने के साथ खास तरह की वाइन भी लेना पसंद करते हैं। शेफ मैकेडिश बताती हैं इथियोपिया में परंपरा है परिवार के सभी लोग आज भी एक साथ बैठकर ही खाना खाते हैं। हर घर में टोकरीनुमा टेबल होता है। हर टेबल के इर्द गिर्द चार छह छोटे स्टूल रखे जाते हैं। टेबल पर एक ही थाली रखी जाती है जिसमें चार से छह लोग एक साथ आराम से खाना मिलजुल कर खा लेते हैं। यही अंदाज इस सेंटर में भी है।
कलाप्रेमियों के लिए खास ठिकाना
इस सेंटर में कई फिल्म निर्माता और निर्देशक अकसर आते हैं और यहां की काली कॉफी का स्वाद लेते हैं। राजनयिकों के साथ यहां केन्द्रीय मंत्री भी अक्सर कॉफी पर चर्चा करते दिखाई देते हैं।
अफ्रीकन देशों में से एक इथियोपिया की कॉफी बेहद मशहूर है। इसके पीछे कॉफी की ताजगी व खास पारंपरिक वजहें भी हैं। यहां के लोग काफी पीने-पिलाने का शौक रखते हैं। इस परंपरा को कॉफी सेरेमनी कहा जाता है। इथियोपियन कल्चर सेंटर में भी कॉफी सेरेमनी की जाती है। इस खास परंपरा से दिल्ली वासी भी रूबरू हो रहे हैं। शेफ मोलूनिशा बताती हैं कि इथियोपिया के हर घर में एक साथ बैठ कर कॉफी पीने का रिवाज है। लोग अपने सुख दुख की चर्चा कॉफी सेरेमनी पर कर लेते हैं। इस परंपरा को रीति रिवाज के साथ आज भी रोजाना निभाया जाता है। हर घर में एक खास कॉफी टेबल होता है। टेबल के इर्द गिर्द अंगीठी जलाई जाती है। छोटी अंगीठी में खुशबू वाली लकड़ियों के भूरे को डाला जाता है। इससे कमरे में खुशबू बनी रहती है। वहीं, दूसरी अंगीठी पर कॉफी के बीज को ताजा भूना जाता है। कॉफी बीज को पीस कर जेबिना नाम के पारंपरिक कांसे के बर्तन में डाला जाता है। इस कॉफी को प्याली में भर कर पिलाया जाता है। इस कॉफी को लोग काली ही पीना पसंद करते हैं। कुछ ऐसा ही इंटीरियर यहां सेंटर में भी दिया गया है।
- विजयालक्ष्मी, नई दिल्ली