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नए साल की पहली सुबह की रोमानियत

By Edited By: Published: Wed, 05 Dec 2012 05:36 PM (IST)Updated: Wed, 05 Dec 2012 05:36 PM (IST)
नए साल की पहली सुबह की रोमानियत

हिमालय की गोद में: यूं तो हिमालय में किसी भी जगह से बर्फीले पहाड़ों के पीछे से या घाटी में फैले बादलों में से उगते सूरज को देखना बेहद रोमांचकारी अनुभव होता है। लेकिन बहुत ही कम जगहों को इसके लिए उतनी ख्याति मिलती है जितनी दार्जीलिंग में टाइगर हिल को मिली है। टाइगर हिल दार्जीलिंग शहर से 11 किलोमीटर दूर है। दार्जीलिंग से यहां या तो जीप से पहुंचा जा सकता है या फिर चौरास्ता, आलूबारी होते हुए पैदल, लेकिन इसमें दो घंटे का समय लग सकता है। टाइगर हिल से सूर्योदय देखने की ख्याति इतनी ज्यादा है कि अल्लसुबह दार्जीलिंग से हर जीप सैलानियों को लेकर टाइगर हिल की ओर दौड़ लगाती नजर आती है ताकि वहां चोटी पर बने प्लोटफार्म पर सूर्योदय कानजारा देखने के लिए अच्छी जगह खड़े होने को मिल सके। हैरत की बात नहीं कि देर से पहुंचने वाले सैलानियों को यहां मायूस रह जाना पड़ता है। सूरज की पहली किरण जब सामने खड़ी कंचनजंघा चोटी पर पड़ती है तो सफेद बर्फ गुलाबी रंग ले लेती है। धीरे-धीरे यह नारंगी रंग में तब्दील हो जाती है। टाइगर हिल से मकालू पर्वत और उसकी ओट में थोड़ी छाया माउंट एवरेस्ट की भी दिखाई देती है। 1 जनवरी को बेशक थोड़ी सर्दी होगी, लेकिन टाइगर हिल से साल की पहली सुबह को प्रणाम करना एक बड़ा ही रोमांचक अनुभव होगा।

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कन्याकुमारी का संगम: कन्याकुमारी हमारे देश की मुख्यभूमि का आखिरी सिरा है। यहां अद्भुत समुद्री संगम है। यहां पर बंगाल की खाड़ी, हिंद महासागर और अरब सागर मिलते हैं। इसीलिए इसकी महत्ता किसी तीर्थ से कम नहीं। अंग्रेज इसे केप कोमोरिन के नाम से जानते थे। तमिलनाडु में नागरकोइल व केरल में तिरुवनंतपुरम यहां के सबसे नजदीकी शहर हैं। देश का आखिरी सिरा होने का भाव भी इसे देशभर के सैलानियों में खासा लोकप्रिय बना देता है। लेकिन यहां की सबसे अनूठी बात यह है कि यहां आप एक ही जगह खड़े होकर पूरब से समुद्र में सूरज को उगता हुआ भी देख सकते हैं और पश्चिम में समुद्र में ही सूरज को डूबता हुआ भी देख सकते हैं। यह अद्भुत संयोग आपको देश में और कहीं नहीं मिलेगा। इसीलिए हर साल 31 दिसंबर को बहुत सैलानी जुटते हैं। साल की आखिरी किरण को विदा करने और नए साल की पहली किरण का स्वागत करने के लिए। मौका मिले तो आप भी नहीं चूकिएगा अपने साथी के साथ यहां जाने से।

गोवा में गोता: निर्विवाद रूप से गोवा देश का सबसे लोकप्रिय तटीय डेस्टिनेशन है। दुनियाभर से सैलानी पूरे सालभर यहां जुटते हैं। गोवा की मौजमस्ती व खुलापन प्रेमी युगलों और नवदंपतियों को भी खासा लुभाता है। चूंकि गोवा पश्चिमी तट पर है इसलिए यहां आप अरब सागर में साल के आखिरी सूरत को सलाम कह सकते हैं। गोवा में कई लोकप्रिय बीच हैं और आप उनमें से किसी पर भी रेत पर पसर कर सूरज को धीरे-धीरे गहरे समुद्र में धंसता देख सकते हैं। और यकीन मानिए, गोवा के हर बीच पर आपको इस नजारे की खूबसूरती और उसके रंग अलग-अलग मिलेंगे। हर जगह समुद्र नई रंगत में होगा। पुर्तगाली संस्कृति का प्रभाव होने के कारण क्रिसमस व नया साल वैसे भी गोवा में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। उत्तर भारत में उन दिनों सर्दियां होने के कारण भी गोवा में सैलानी खुशनुमा मौसम का मजा लेने ज्यादा आते हैं। इसलिए वहां जाने या रुकने की तैयारी अभी से कर लेनी होगी, देर की तो हो सकता है जगह ना मिले।

नंदा देवी का नजारा: बात सूरज के उगने या डूबने की हो तो उसकी किरणों से फैलते रंगों का जो खेल पानी में या बर्फीले पहाड़ पर देखने को मिलता है, वो कहीं और नहीं मिलता। इसीलिए सूर्योदय या सूर्यास्त देखने के सबसे लोकप्रिय स्थान या तो समुद्र (नदी व झील भी) के किनारे हैं या फिर ऊंचे पहाड़ों में। उत्तराखंड के कुमाऊं इलाके में नैनीताल जिले में सोनापानी भी उन जगहों में से है जहां से आप नंदा देवी का खूबसूरत नजारा देख सकते हैं। सोनापानी गांव पहाड़ के ढलान पर है और सामने बुरांश के पेड़ों से लकदक दूर तक फैली घाटी है। घाटी के उस पार हिमालय की श्रृंखलाएं इस तरह ऊंची सामने खड़ी हैं, मानो यकायक कोई ऊंची दीवार सामने आ जाए। इन्हीं में भारत की दूसरी सबसे ऊंची चोटी नंदा देवी भी है। यहां आपको पर्वत के पीछे से उगता सूरज तो नजर नहीं आएगा, लेकिन खुले मौसम में सुबह की पहली किरण में नंदा देवी और बाकी चोटियों के बदलते रंगों में आप खो जाएंगे। कमोबेश ऐसी ही रंगत डूबते सूरज के समय भी रहेगी। दिसंबर-जनवरी में आप सामने के पहाड़ों की ठंडक महसूस कर सकेंगे, हो सकता है कि कभी बर्फबारी से भी दो-चार हो जाएं, लेकिन रूमानियत भरपूर रहेगी। सोनापानी में शानदार कॉटेज हैं, करने व घूमने को बहुत कुछ है और कुछ न करना चाहें तो भी यहां बोर नहीं होंगे। संगीत सुनाती मदमस्त पहाड़ी हवा है और गीत गाते पंछी। अल्मोड़ा व मुक्तेश्वर जैसे सैलानी स्थल भी निकट ही हैं। सर्दी से डर न लगता हो और हनीमून व नया साल,दोनों साथ मनाना चाहें तो इससे बेहतर जगह कोई नहीं। बाकी दुनिया के हो-हल्ले से बहुत दूर- थोड़ा रोमांच और पूरा रोमांस। एक नई शुरुआत के लिए एकदम माफिक जगह है यह।

अंडमान की पहली लालिमा: सुदूर दक्षिण-पूर्व में अंडमान व निकोबार द्वीप समूह के बीच भारत के सबसे खूबसूरत बीचों में गिने जाते हैं। अंडमान के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यही है कि वे समुद्र के भीतर इतना दूर हैं कि वहां केवल जहाज से पहुंचा जा सकता है- चाहे वो हवा का हो या पानी का। चेन्नई व कोलकाता से सीधी उड़ान हैं और जहाज भी। नए साल की पहली सुबह को भारत में सबसे पहले समुद्र से उगते देखने का आनंद ही कुछ और है

चिलिका का अस्ताचल: ओडिशा के तीन जिलों- पुरी, खुर्दा व गंजम में फैली चिलिका झील भारत का सबसे बड़ा तटीय लैगून और दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा लैगून है। इसके अलावा भारतीय उपमहाद्वीप में सर्दियों में आने वाले प्रवासी पक्षियों का सबसे बड़ा बसेरा है। कई पक्षी तो सुदूर रूस व मंगोलिया से 12 हजार किलोमीटर तक का सफर तय करके यहां पहुंचते हैं। झील दुर्लभ इरावडी डॉल्फिनों का भी घर है। बेहद खूबसूरत झील में पुरी या सातपाड़ा से नाव से जाया जा सकता है। कहने को यह झील है, लेकिन बीच झील में कई बार आपको चारों तरफ केवल समुद्र दिखाई देगा। चिलिका के सूर्यास्त की बात ही कुछ और है। नाव पर आप अपने साथी के साथ हों, चारों तरफ पक्षियों का कोलाहल हो और साल का आखिरी सूर्य पानी में लाल रंग भर रहा हो तो क्या नजारा होगा। जरूर सोचिएगा।

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