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अंगुली पर नाचे इंटरनेट

आज का दौर ऐसा है कि आप टेक्नोलॉजी से अछूते नहीं रह सकते। तकनीक की थोड़ी सी जानकारी आपकी जिंदगी बदल सकती है। वक्त की जरूरत है कि आप 'इंटरनेट लिटरेट' बनें। इसके लिए आपको नॉलेज, अवेयरनेस और एक्सेस की जरूरत होगी। ऑनलाइन काम शुरू करके न केवल आर्थिक रूप स

By Edited By: Published: Sat, 12 Apr 2014 12:40 PM (IST)Updated: Sat, 12 Apr 2014 12:40 PM (IST)
अंगुली पर नाचे इंटरनेट

आज का दौर ऐसा है कि आप टेक्नोलॉजी से अछूते नहीं रह सकते। तकनीक की थोड़ी सी जानकारी आपकी जिंदगी बदल सकती है। वक्त की जरूरत है कि आप 'इंटरनेट लिटरेट' बनें। इसके लिए आपको नॉलेज, अवेयरनेस और एक्सेस की जरूरत होगी। ऑनलाइन काम शुरू करके न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकती हैं, बल्कि दूसरी महिलाओं को रोजगार भी मुहैया करा सकती हैं। अगर कोई काम न भी करें तो भी दुनिया की गतिविधियों से जुड़ सकती हैं। 'ग्लोबल सिटीजन' बन सकती हैं। हर दिन नई जानकारी से रूबरू हो सकती हैं। इससे आपके व्यक्तित्व व विचारों में सुखद बदलाव आएगा और कुछ नहीं तो अपने घर-परिवार की बेहतरी के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकती हैं। अपने बच्चों की सेहत से जुड़ी जानकारियां हासिल कर सकती हैं। अच्छी रेसिपीज जानकर घर वालों को अपने पकवानों से खुश कर सकती हैं। संगीत सुनना है, पुरानी सहेली से गपशप करनी है, किसी का पता जानना है, व्रत-त्योहार के बारे में जानना है, उनकी विधि या कहानी के बारे में जानना है, बेटी के लिए वर ढूंढ़ना है तो इंटरनेट खोलकर अपना मकसद पूरा कर सकती हैं। इंटरनेट आपके लिए कितना फायदेमंद है, यह आपको पता ही नहीं है, क्योंकि अभी आपने इसमें छिपे रहस्यों को जाना ही नहीं है।

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एफर्ट से ही होंगे सपने पूरे

'अगर हम कुछ करते हैं, तभी हमें मंजिल मिल पाती है, जो डर जाते हैं, वे नई शुरुआत नहीं कर पाते। अगर हम सोच लें कि हम कर लेंगी और काम शुरू कर दें तो हमें मंजिल जरूर मिलेगी' कहती हैं वेजिटेरियन रेसिपीज की खास वेबसाइट बनाने वाली यू-ट्यूब शेफ निशा मधुलिका, जिनके कुकिंग वीडियोज को रिकॉर्ड हिट मिलते हैं। हर दिन 65,000 के करीब दर्शक उनके वीडियोज देखते हैं, लेकिन यह मुकाम उन्हें यूं ही नहीं मिला। वह कहती हैं, 'बहुत मेहनत की है मैंने। धीरे-धीरे ही सफलता मिली है। जब हमारा नया घर पति के ऑफिस से दूर हो गया और मेरा उनके साथ जाना मुश्किल हो गया तो मेरे पास करने के लिए कुछ भी नहीं था। मेड के बच्चों को पढ़ाती थी, लेकिन लगता था कि कुछ ऐसा करूं कि चार-पांच घंटे इन्वॉल्व हो जाऊं और काम का सैटिस्फैक्शन भी मिले। कुकिंग का पैशन था और सिर्फ कुकिंग करना ही आता था। इसलिए कुकिंग पर लिखना शुरू किया और रीडर्स की मांग पर वीडियो बनाकर इंटरनेट पर डालने लगी। मुश्किलें तो आई, लेकिन पति और बेटे ने हर कदम पर मदद की। पहले ब्लॉग बनाया और फिर वेबसाइट।' निशा के पति भी अपनी पत्नी की पहचान से खासे उत्साहित रहते हैं। वह कहते हैं, 'मुझे गर्व है इन पर। कोई निशा के पति के रूप में जानता है तो खुशी होती है। अगर हम एफर्ट करते हैं तो सपने जरूर पूरे होते हैं।' निशा काफी खुश हैं अपनी सफलता से। जैसे ही उनके व्यूवर्स उनसे किसी रेसिपी की डिमांड करते हैं, वे जुट जाती हैं उसे सर्च करने, तैयार करने और टेस्ट करके कमियां सुधारने में। अभी बहुत आगे जाना है उन्हें। वेजिटेरियन फूड में भारत के सभी राज्यों को कवर करके वे इंटरनेशनल रेसिपीज की ओर रुख करेंगी।

इंफॉर्मेशन है एंपावरमेंट

गुड़गांव मॉम्स ऑनलाइन के जरिए इंटरनेट पर एक्टिव रहने वाली नीला कौशिक की जिंदगी कुछ समय पहले तक अपने बेटे की परवरिश और उसके होमवर्क तक सीमित थी, लेकिन अब उन्होंने अपने जैसी अनेक हाउसवाइव्ज को इंटरनेट मॉम्स बनाकर एक नया प्लेटफॉर्म दे दिया है। उनके दिल्ली एनसीआर में चार हजार मेंबर हैं। हर मॉम को सपनों का पीछा करने की नसीहत देती हुई कहती हैं, 'इंफॉरमेशन का मतलब ही है एंपावरमेंट। आप इन्फॉ‌र्म्ड होंगी तो कॉन्फिडेंट होंगी। इंटरनेट के जरिए मॉम्स के लिए नए काम के अवसर खुले हैं। अपने बच्चों को समय देते हुए इंटरनेट मॉम अपना बिजनेस कर सकती हैं, चैरिटी के लिए फंड जुटा सकती हैं। सोशल मीडिया से जुड़ सकती है। अपनी पहचान बना सकती हैं। पहले मैं भी आदित्य की मॉम के नाम से ही जानी जाती थी, लेकिन अब मुझे नीला कौशिक की पहचान मिली है।'

कर लें कोशिश

'अगर आप छोटे शहर से हैं और सोचती हैं कि मुझे इंटरनेट प्रयोग करना है और कैसे करूं तो आपके लिए गूगल ने हिंदी और अंग्रेजी में वीडियो अपलोड किए हैं, जो ऑनलाइन स्टार्ट के बेसिक्स समझा सकते हैं, लेकिन सिर्फ वेबसाइट बनाने और वीडियो अपलोड करने से ही काम पूरा नहीं हो जाता। इन्हें जानने के लिए कॉलसेंटर भी बनाया है हमने, जहां फोन करके महिलाएं पूरा प्रॉसेस जान सकती हैं।' कहते हैं गूगल के कंट्री मार्केटिंग मैनेजर संदीप मेनन। अपनी पहल को रेखांकित करते हुए वह कहते हैं, 'हमने महिलाओं को ऑनलाइन लाने की पहल करने से पहले जो रिसर्च की थी, उससे हमें तीन चीजें समझ में आई हैं। पहली तो यह कि उनमें इंटरनेट को लेकर डर है, उन्हें नॉलेज ही नहीं है कि कंप्यूटर को कैसे ऑपरेट करें। दूसरा, उनके पास इंटरनेट एक्सेस ही नहीं है। साइबर कैफे में नहीं जाती, क्योंकि सेफ नहीं महसूस करतीं। तीसरी, वे यह समझती हैं कि इंटरनेट उनके लिए रिलेवेंट नहीं है। घर में इंटरनेट होने के बावजूद यूज नहीं करती हैं। इन तीनों मुश्किलों को दूर करने के लिए ही हमने कॉलसेंटर बनाया है और वेबसाइट लांच की है।'

तकनीक से बदलेगी तस्वीर

राजस्थान की युवा सरपंच राखी पालीवाल ने तो इंटरनेट की मदद से अपने गांव की महिलाओं को जोड़ लिया है। ग्रामीण महिलाओं को इंटरनेट लिटरेट बनाने वाली राखी कहती हैं, 'जब गांव की औरतें पहली बार कंप्यूटर देखती हैं, तो उन्हें अच्छा लगता है। जब मैं उन्हें बताती हूं कि ये बटन दबाओ, कंप्यूटर ऐसे चलाओ तो उनमें सीखने का और उत्साह जागता है।' छठी कक्षा से ही राजनीति में रुचि जाग गई थी राखी की। मात्र 23 साल की राखी राजस्थान के राजसमंद जिले के छोटे से गांव उपली-ओदन की उप-सरपंच और बदलते भारत का उभरता हुआ चेहरा हैं। स्थानीय स्तर पर इंटरनेट का प्रयोग कर वे अपने गांव को डिजिटली एंपावर करने में लगी हैं। उनके गांव की औरतें अब इंटरनेट से सिलाई के डिजाइन सीखती हैं। लॉ कर रही राखी सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं। तकनीक से अपने इलाके की तस्वीर बदलने का प्रण लेने वाली राखी कहती हैं, 'साइबर क्राइम

के कारण लड़कियां इंटरनेट पर आने से झिझकती थीं, लेकिन मैंने उन्हें समझाया कि यहां सिर्फ क्राइम नहीं और भी बहुत चीजें हैं। अब वे अपने काम और जानकारी के लिए इंटरनेट सर्च करने में रुचि दिखाने लगी हैं।'

बदलना होगा सभी का

'मैं 20 साल से ग्रामीण महिलाओं के साथ डेयरी का काम कर रही हूं, जो पढ़ी-लिखी नहीं हैं, उनकी बेटियों और बहुओं को मैंने इंटरनेट सिखाया। आज वे सक्षम हो गई हैं तो कहती हैं कि मां को पता ही नहीं कि प्रोडक्शन कैसे बढ़ाया जाए। मैं खुद भी पहले इंटरनेट नहीं जानती थी। फील्ड में रहती हूं इसलिए बेटे ने स्मार्टफोन लाकर दिया। इंटरनेट सर्च करना सिखाया और मैंने को-ऑपरेटिव्स के बारे में सर्च किया तो जाना कि हम कितनी महिलाओं को इनसे जोड़ सकते हैं।' कहती हैं भीलवाड़ा डेयरी की डिप्टी मैनेजर आशा शर्मा। उनके साथ हजारों महिलाएं जुड़ी हैं। वह कहती हैं, 'जब ज्यादा से ज्यादा महिलाएं बदलेंगी, तभी बदलाव आएगा। इंटरनेट से हम खुद को एंपावर कर सकते हैं। विकास के लिए काम कर सकते हैं। इंटरनेट इतना यूजफुल है कि हम अपनी सोसायटी से जुड़े हर गांव में स्मार्टफोन देने की सोच रहे हैं।' इंटरनेट ट्रेनर नेहा भी जब महिलाओं को इंटरनेट सिखाती हैं और ऑनलाइन खरीद के बारे में बताती हैं तो उन्हें कई रोचक प्रश्नों का सामना करना पड़ता है, लेकिन वह कहती हैं, 'जिन महिलाओं को मैं पहली बार ऑनलाइन आने के लिए प्रेरित करती हूं, उन्हें कंप्यूटर को ऑपरेट करना अच्छा लगता है। डर नहीं, उत्सुकता जागती है उनमें।'

(यशा माथुर)


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