आज ही के दिन 32 वर्ष पहले अस्तित्व में आया था ई-मेल
अब न अंतर्देशीय पत्र की झंझट, न लिफाफे की और न ही स्टांप की और सबसे अच्छी बात की पलक झपकते ही आप किसी को भी अपना खत भेज सकते हैं। समझ ही गए होंगे कि यहां ई-मेल की बात हो रही है। 'इलेक्ट्रॉनिक मेल सिस्टम (इमेल)' के लिए कंप्यूटर प्रोग्राम की खोज करने में भारतीय अमेरिकी वी.ए. शिवा अय्यदुरै का नाम ही अग्रणी है। 30 अगस्त 1982 को अमेरिकी सरकार द्वारा यह आधिकारिक रूप से घोषणा की गई।
वाशिंगटन। अब न अंतर्देशीय पत्र की झंझट, न लिफाफे की और न ही स्टांप की और सबसे अच्छी बात की पलक झपकते ही आप किसी को भी अपना खत भेज सकते हैं। समझ ही गए होंगे कि यहां ई-मेल की बात हो रही है। 'इलेक्ट्रॉनिक मेल सिस्टम (इमेल)' के लिए कंप्यूटर प्रोग्राम की खोज करने में भारतीय अमेरिकी वी.ए. शिवा अय्यदुरै का नाम ही अग्रणी है। 30 अगस्त 1982 को अमेरिकी सरकार द्वारा यह आधिकारिक रूप से घोषणा की गई।
न्यू जर्सी में अपने पढ़ाई के दौरान अय्यादुरै ने यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसीन एंड डेंटिस्टी्र के लिए इमेल सिस्टम पर काम करना शुरू किया। उस वक्त वे मात्र 14 वर्ष के थे जब उन्होंने इमेल का आविष्कार किया और वर्ष 1982 में उन्हें इसके लिए कॉपीराइट भी मिल गया। उस वक्त सॉफ्टवेयर की खोज के सुरक्षा का एकमात्र उपाय कॉपीराइट ही था जो पेटेंट के समतुल्य माना जाता था।
इसके लिए उन्हें वेस्टिंहाउस साइंस टैलेंट सर्च अवार्ड फॉर हाई स्कूल सीनियर्स का अवार्ड भी दिया गया।
हालांकि अय्यादुरै के इस खोज पर काफी विवाद भी पैदा हुआ क्योंकि कुछ और लोगों का भी दावा था कि इमेल की खोज अय्यादुरै ने नहीं बल्कि उन लोगों ने किया है।
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