अब धड़ल्ले से चलेगा फेसबुक पर गैरकानूनी कंटेंट!
प्राप्त मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फेसबुक अब भारत में गैरकानूनी कंटेंट को केवल तभी रिमूव करेगा जब उसे सरकार या कोर्ट से कोई कानूनी ऑर्डर मिलेगा कि फलां कंटेंट को हटा दिया जाएं क्योंकि वह गैरकानूनी है।
फेसबुक ने हाल ही में बताया है कि उसने भारत में गैरकानूनी कंटेंट को हटाने की रिक्वेस्ट को हैंडल करने के तरीके में बदलाव किया है। प्राप्त मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फेसबुक अब भारत में गैरकानूनी कंटेंट को केवल तभी रिमूव करेगा जब उसे सरकार या कोर्ट से कोई कानूनी ऑर्डर मिलेगा कि फलां कंटेंट को हटा दिया जाएं क्योंकि वह गैरकानूनी है।
इस नई पॉलिसी के तहत, जो कंटेंट किसी कम्युनिटी के माप-दंडों का उल्लंघन करते है, फेसबुक उन्हें रिमूव करेगा और जो कंटेंट अपनी कम्युनिटी के नीति-नियमों का उल्लंघन तो नहीं करते लेकिन स्थानीय कानून का उल्लंघन करते है, फेसबुक ऐसे कंटेंट को बिना सरकार या कोर्ट के ऑर्डर के नहीं हटाएगा।
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दरअसल फेसबुक ने अपनी पॉलिसी में यह बदलाव सुप्रीम कोर्ट के उस जजमेंट को देखकर किया है जोकि वर्ष 2015 में श्रेया सिंगल वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया के केस में दिया गया था। इंफॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के सेक्शन 66 ए के तहत इसे सबसे प्रसिद्ध केस के रूप में जाना जाता है।
क्या भारतीय कानून कंटेंट को हटाने के योग्य है?
आईटी एक्ट 2000 की धारा 69ए के तहत सरकार को यह अधिकार है कि वह किसी भी गैरकानूनी कंटेंट को सार्वजनिक इस्तेमाल से रोक के निर्देश दे सकती है। जैसे- भारत में किसी वेबसाइट को ब्लॉक करना है, तो इस सेक्शन के तहत ऐसा किया जा सकता है। इस सेक्शन के तहत यह निर्देश दिए जा सकते है कि सुरक्षा पर खतरा है या फिर कंटेंट किसी समुदाय की भावनाओं को आहत करता है।