व्हाट्सएप, स्काइप, गूगल टॉक और वाइबर के लिए चुकानी होगी कीमत
वर्तमान में आप शायद ही अपनी जिंदगी व्हाट्सएप, गूगल टॉक, वाइबर और स्काइप के बिना कल्पना कर सकें। इस प्रकार की सेवा देने वाली कंपनियां ‘ओवर द टॉप’ कहलती हैं।
नई दिल्ली। वर्तमान में आप शायद ही अपनी जिंदगी व्हाट्सएप, गूगल टॉक, वाइबर और स्काइप के बिना कल्पना कर सकें। इस प्रकार की सेवा देने वाली कंपनियां ‘ओवर द टॉप’ कहलती हैं। आज की भागदौ़ड़ भरी जिंदगी में जब आप अपने परिजनों और दोस्तों से मीलों दूर बैठे हो। ऐसे में ये इंटरनेट आधारित सेवाएं रिश्तों के तार जोड़ने का माध्यम बन गई हैं, लेकिन अब ट्राई ने उपभोक्ताओं के बीच बढ़ती इन इंटरनेट आधारित सेवाओं के कॉलिंग और मैसेज एप्लिकेशन के लिए एक नियामकीय मसौदा तैयार कर लिया है।
ट्राई सैक्रेटरी सुधीर गुप्ता ने जानकारी दी कि विश्वभर में सरकारों, उद्दोगों, ग्राहकों के बीच ओटीटी सोवाओं और इंटरनेट की निष्पक्षता के विषय में एक बहस जारी है। इसी परिप्रेक्ष्य में ट्राई ने ओटीटी सेवाओं के लिए नियामकीय मसौदे पर एक विचार-विमर्श पत्र जारी किया है।
आजकल उपभोक्ता मोबाइल एप्लिकेशन और कंप्यूटर के द्वारा इंटरनेट कनेक्शन का प्रयोग कर फोन कॉल्स करते और संदेश भेजते हैं, इसके लिए उन्हें केवल इंटरनेट के उपयोग का पैसा देना पड़ता हैं, लेकिन कुछ भी प्रति कॉल या संदेश के लिए नहीं अदा करना पड़ता। इस मुद्दे पर दूरसंचार ऑपरेटर्स और वीओआईपी सर्विस प्रदाताओं या ओटीटी इकाइयों के बीच विवाद हैं।
दूरसंचार कंपनियों का कहना है कि स्काईप, व्हाट्स एप, वाइबर आदि जैसी ओटीटी कंपनियां बिना नेटवर्क में निवेश किए उनका मुनाफा खा रही है।
वहीं दूसरी तरफ, ओटीटी कंपनियों ने यह कहकर अपना बचाव किया कि वे देश और समुदाय की उन्नति के लिए बिना किसी बाधा के इंटरनेट या वेब आधारित सेवाओं तक पहुंच की मांग कर रही हैं। इससे पहले ट्राई के चेयरमैन राहुल खुल्लर ने संकेत दिया था कि वो ओटीटी सेवाओं पर नियमन बनाने की प्रक्रिया शुरु करेंगें, इस संकेत के पीछे कारण था कि एयरटेल द्वारा वीओआईपी कॉल के लिए अलग से शुल्क लेने की योजना को लेकर बहुत आलोचना हुई थी।
इंटरनेट निष्पक्षता नियम के तहत, टेलीकॉम और इंटरनेट कंपनियों को सभी वेब बेस्ड सेवाओं को एक समान समझना होगा और वहां किसी भी प्रकार के विरोधाभासी कीमतें नहीं वसूली जाएंगी, जिससे लोग सर्विस को एक्सेस करने में हतोत्साहित हो।
नियामक ने इस मुद्दे पर रुचि रखने वाले लोगों से 24 अप्रैल तक और इस पर जवाबी प्रतिक्रिया 8 मई तक मांगी हैं।
वैसे वर्तमान में भारत में इंटरनेट निष्पक्षता पर कोई कानून नहीं हैं।