Move to Jagran APP

जो इस संसार में आया है, उसका जाना भी निश्चित है

सार्थक जीवन मनुष्य जन्म कुछ अच्छा करने के लिए मिला है। इसलिए आज से ही सजग हो जाएं कि यह कहीं व्यर्थ न चला जाए। परमात्मा भी तभी प्रसन्न होता है, जब हम प्रयत्न-पुरुषार्थ और श्रम को एक साथ लेकर जीवन में सद्कार्य करते हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 26 Aug 2015 02:18 PM (IST)Updated: Wed, 26 Aug 2015 02:22 PM (IST)
जो इस संसार में आया है, उसका जाना भी निश्चित है
जो इस संसार में आया है, उसका जाना भी निश्चित है

सार्थक जीवन मनुष्य जन्म कुछ अच्छा करने के लिए मिला है। इसलिए आज से ही सजग हो जाएं कि यह कहीं व्यर्थ न चला जाए। परमात्मा भी तभी प्रसन्न होता है, जब हम प्रयत्न-पुरुषार्थ और श्रम को एक साथ लेकर जीवन में सद्कार्य करते हैं। जीव, जगत और ब्रrा के भेद को समझते हैं, परंतु अफसोस आज का मानव विषयों के बंधन में फंसकर अपनी कश्ती डुबो रहा है। आदि शंकरचार्य ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इस जीवन के रहते हुए यदि तुमने परमात्मा के नाम का सिमरन नहीं किया, तो तुमसे बड़ा मूर्ख कोई नहीं है।
नानक देव जी भी कहते हैं कि ऐ मेरे प्यारे बंदों, यदि अब नहीं जगे, तो कब जागोगे? एक बार पांव पसर गए, तो फिर कुछ नहीं हो सकता है। सच तो यह है कि वह परमपिता परमेश्वर हर प्रात: हमारे हृदय मंदिर में शंखनाद करता है कि हे मनुष्य! उठ और उसे प्राप्त कर जिसे प्राप्त करने के लिए मैंने तुङो इस संसार में भेजा है। लेकिन आज का मानव सत्ता, संपत्ति और सत्कार के मद में इतना चूर है कि उसे उसकी ये बात सुनाई नहीं पड़ती हैं। मैं एक निवेदन जरूर करना चाहूंगा कि इस दुनिया में हर कोई अकेला आया है, और अकेला ही जाएगा भी। इसलिए परमात्मा के बही खाते में सबका हिसाब भी अलग-अलग है। ध्यान रखें कि उसे निर्मल और भोले मन वाले लोग ही पसंद हैं। वहां कोई चालाकी या कूटनीति काम नहीं करती। यदि आज आपका कुछ अच्छा हो रहा है, तो इसमें आपके पिछले जन्मों के बोए हुए बीज हैं। आज आप जो बोएंगे, उसे कल काटेंगे। किए हुए शुभ या अशुभ कमोर्ं का फल अवश्य भुगतना पड़ता है।
जो इस संसार में आया है, उसका जाना भी निश्चित है। यहां कुछ भी शाश्वत नहीं है, सब कुछ क्षणभंगुर है, परिवर्तनशील है। इसलिए इसकी अनित्यता को समङों। यह संसार भोर के टिमटिमाते हुए तारे की तरह है, देखते-देखते नष्ट हो जाता है। मानव जीवन की भी यही स्थिति है। यदि मनुष्य काल रूपी मृत्यु को समङो, तो मुङो विश्वास है कि वह गलतियां कम करेगा। आइए, एक संकल्प लें झूठी अकड़ को छोड़ने का। ऐसा इसलिए क्योंकि बड़ी से बड़ी सफलता मनुष्य को असफलता की खाई में अंतत: पटकेगी। बस, साथ जाएगा तो किया हुआ हमारा सद्कार्य। सेवा की तरफ मानवीयता की रक्षा के लिए यदि हमारे हाथ बढ़ सकेंगे, तो यही हमारी सच्ची पूंजी होगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.