मनुष्य की सबसे बड़ी पूंजी सदगुण है
जीवन की सार्थकता इसी बात में है कि सद्गुण जीते और दुगरुण हारे। जब हमारे मन में रावण हारता है और राम जीतते हैं तब हमारा जीवन आनंदमयी हो जाता है।
मनुष्य की सबसे बड़ी पूंजी सदगुण है। जिसके पास जितने सद्गुण हैं, वह उतना ही बड़ा धनवान है। हमारे जीवन की सार्थकता इसी बात में है कि सद्गुण जीते और दुगरुण हारे। जब हमारे मन में रावण हारता है और राम जीतते हैं तब हमारा जीवन आनंदमयी हो जाता है। यह हम पर निर्भर करता है कि हम क्या ग्रहण और किसका त्याग करते हैं। इस ओर भगवान महावीर ने सरल राह दिखाई है कि जो मार्ग तुम्हारे लिए श्रेयस्कर हो उसी पर चलो। हर व्यक्ति के जीवन में अच्छे-बुरे प्रसंग आते हैं, लेकिन अनुकूल-प्रतिकूल हर परिस्थिति में जो व्यक्ति सद्गुणों का साथ नहीं छोड़ता उसे सफलता जरूर मिलती है। जितने भी युग-पुरुष हुए हैं, उन्होंने श्रेष्ठ को ही ग्रहण किया, इसलिए वे महान कहलाए।
एक महात्मा एक मार्ग से जा रहे थे कि एक महिला ने उनके ऊपर कूड़ा फेंक दिया। महात्मा ने अपना शरीर साफ किया और आगे बढ़ गए। उन्होंने उस महिला से कुछ भी नहीं कहा। दूसरे दिन जब वह पुन: उसी मार्ग से गुजरे तो उसी महिला ने उनके ऊपर फिर से कूड़ा फेंका। इस बार भी महात्मा चुप रहे, लेकिन यह नजारा देख रहे लोगों ने उनसे उनकी चुप्पी का कारण पूछा। महात्मा बोले कि कूड़ा फेंकना उस महिला का गुण है, लेकिन आवेश में न आना मेरा गुण है, उस पर गुस्सा करके मैं उसके गुण को क्यों अपनाऊं? आज ज्यादातर लोग महात्मा के बजाय उस महिला के अवगुणों को आत्मसात कर रहे हैं। यही वजह है कि वर्तमान में एक का रोना दूसरे का मनोरंजन है और एक का हंसना दूसरे को रुलाता है।
आज स्वार्थ इतना प्रबल हो गया है कि व्यक्ति को सिर्फ अपना हित साधते हुए दिखना चाहिए, भले ही उससे दूसरे का कितना ही अहित क्यों न हो जाए। ज्यादातर लोग यह बात भूलते जा रहे हैं कि जहां एक-दूसरे के लिए सद्भावना और प्रेम होगा, वहीं मानवीय मूल्य पैदा होंगे, जबकि जहां घृणा और दुर्भावना होगी, वहां दुख के सिवाय कुछ नहीं होगा। सच्चाई यही है कि सद्गुणों से सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है, जबकि गुणहीन व्यक्ति अपनी व्यर्थता और निर्थकता के कारण सबकी दृष्टि में हीन और हेय बन जाता है। अपने सद्गुणों की वजह से मनुष्य मृत्यु के बाद भी यश के रूप में जीवित रहता है। इसलिए जो व्यक्ति अपने सद्गुणों को बढ़ाने में सावधान और तत्पर नहीं हैं, वे गलत हैं।