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जिंदगी की वास्तविक समझ अनुभव से पैदा होती है

जिंदगी की वास्तविक समझ अनुभव से पैदा होती है। हम अपनी क्षमताओं का समुचित आकलन कर सकते हैं। अनुभव किए बगैर न तो हम अपनी जिंदगी जी सकते है और न ही अपने अंदर समाई दिव्य क्षमताओं का परिचय पा सकते हैं

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 27 Apr 2016 09:07 AM (IST)Updated: Wed, 27 Apr 2016 09:11 AM (IST)
जिंदगी की वास्तविक समझ अनुभव से पैदा होती है
जिंदगी की वास्तविक समझ अनुभव से पैदा होती है

जिंदगी की वास्तविक समझ अनुभव से पैदा होती है। हम अपनी क्षमताओं का समुचित आकलन कर सकते हैं। अनुभव किए बगैर न तो हम अपनी जिंदगी जी सकते है और न ही अपने अंदर समाई दिव्य क्षमताओं का परिचय पा सकते हैं। इस सबको जानने, समझने और सही नियोजन करने के लिए हमें उसी रूप में उन्हें महसूस करना चाहिए। हम आखिर हैं कौन और हमारे अंदर क्या है, जो बाहर फूटकर आना चाहता है? वे हमारी वास्तविक क्षमताएं होती हैं।
क्षमताएं अंदर सुप्त रूप में पड़ी रहती हैं। इन्हंे तभी जगाया और जगाकर निर्दिष्ट कार्य में नियोजित किया जा सकता है, जब हम इन्हें गहराई से महसूस करेंगे। इन्हें हम जितना महसूस करेंगे, उनकी पहचान उतनी ही अधिक होगी। जीवन में असीम क्षमताएं समाई हुई हैं, परंतु ये सोई पड़ी हैं। ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है, जो इन दिव्य विभूतियों से वंचित होगा। सभी में ऐसी महान विभूतियां समाई हुई हैं कि उनके एक अंश उभरकर सामने आने पर मनुष्य कहां से कहां पहुंच सकता है। जीवन अनुभवों का जखीरा है। सिर्फ बातें बनाने वाला जिंदगी में कुछ भी सार्थक नहीं कर सकता है। वह कल्पना से जिंदगी को बड़ा सुखद मानता है, परंतु जीवन की राहें कंटीले कांटों से अटी पड़ी हैं और इन कांटों को भेदकर गुलाब का सुखद स्पर्श किया जा सकता है। एक ने जिंदगी के बारे में कल्पना की, तर्क किया, परंतु दूसरे ने उसका यथार्थ अनुभव किया और उसने अनुभव के लिए अपनी समस्त कुशलता को झोंक दिया।
क्षमता को सतत प्रक्रिया से उभारा जा सकता है। निरंतर प्रयास से क्षमता निखरती है, परंतु इससे ठीक विपरीत रुक जाने से यह छिप जाती है, ढक जाती है। क्षमताओं के आकलन से परिस्थितियों का आकलन हो जाता है। क्षमता की सही समझ और परिस्थितियों के सही नियोजन से विकास की ऐसी अविरल धारा फूट पड़ती है, जिसे हम ‘प्रतिभा’ कहते हैं। प्रतिभा कुछ नहीं है, बल्कि हमारी क्षमताओं और परिस्थितियों के बीच सामंजस्य स्थापित कर श्रेष्ठ और नया करने के लिए सतत अवसर तलाशने और कर गुजरने के हौसले का नाम है। हम अपनी क्षमताओं को जितना अनुभव करेंगे, हमारी प्रतिभा उतनी ही विकसित होगी।


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