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आंसुओं का निकलना भी स्वाभाविक है

अक्सर आंखों में आंसू देखकर लोगों को लगता है कि यह कमजोरी की निशानी हैं। पुरुषों में बचपन से ही यह भावना घर कर जाती है कि आंसू केवल लाचार लोग या फिर महिलाएं ही बहाती हैं। इसलिए अत्यंत परेशानी, पीड़ा और तनाव में वे जबरदस्ती अपने आंसुओं को रोककर

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2015 10:43 AM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2015 10:52 AM (IST)
आंसुओं का निकलना भी स्वाभाविक है
आंसुओं का निकलना भी स्वाभाविक है

अक्सर आंखों में आंसू देखकर लोगों को लगता है कि यह कमजोरी की निशानी हैं। पुरुषों में बचपन से ही यह भावना घर कर जाती है कि आंसू केवल लाचार लोग या फिर महिलाएं ही बहाती हैं। इसलिए अत्यंत परेशानी, पीड़ा और तनाव में वे जबरदस्ती अपने आंसुओं को रोककर रखते हैं और अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं। कई बार यह पीड़ा इतनी अधिक अवसादग्रस्त हो जाती है कि वे आत्मघातक कदम तक उठा लेते हैं। जबकि जिस तरह प्रसन्नता, क्रोध, भय आदि स्वाभाविक हैं, उसी तरह आंसुओं का निकलना भी स्वाभाविक है।
यह ईश्वर का दिया हुआ एक अत्यंत अनमोल उपहार हैं, हमारे शरीर का एक सेफ्टी वॉल्व हैं। इसलिए आंसू निकलने पर शमिर्ंदा होने की जरूरत नहीं है। आध्यात्मिक भावना में बहकर जब आंखों से आंसू निकलते हैं तो शरीर की आंतरिक और बाहरी संरचना स्वच्छ हो जाती है। आंसू शरीर की आंतरिक प्रणाली को स्वस्थ रखने में भी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कुदरत ने आंसू का उपहार स्त्री व पुरुष दोनों को समान रूप से प्रदान किया है । केवल पीड़ा या तकलीफ के समय ही आंसू नहीं निकलते, बल्कि अत्यंत खुशी और बड़ी कामयाबी मिलने पर भी स्वत: ही आंसू आंखों से निकल आते हैं।
कवि रॉबर्ट हैरिक ने आंसुओं को ‘आंख की उदात्त भाषा’ कहा है। इस भाषा का जीवन में बहुत महत्व है। आंसू बड़ी से बड़ी परेशानी को अपने साथ बहा ले जाते हैं और व्यक्ति को अनुभवी बना जाते हैं। आंसुओं की महत्ता को मनोवैज्ञानिक भी समझ चुके हैं। आजकल लोगों के हृदय से संवदेनाएं खत्म होती जा रही हैं। आए दिन छोटी-छोटी बातों पर एक-दूसरे की जान ले लेना आम बात हो गई है। जीवन में यह जरूरी है कि लोग कभी-कभी आंसू के माध्यम से अपनी पीड़ा, परेशानी और क्रोध को बाहर निकालें। जिस तरह जल में रेत लगी या मैली वस्तु धुल कर स्वच्छ हो जाती है, इसी तरह आंसुओं के माध्यम से ईष्र्या, परेशानी और क्रोध बहकर समाप्त हो जाता है। जब व्यक्ति एक-दूसरे से ईष्र्या करता है, मन-मुटाव रखता है तो उनमें झगड़ा हो जाता है और शत्रुता उत्पन्न हो जाती है। वहीं यदि ऐसे समय आंखों से आंसू निकल आए तो सारे मन के मैल उसके रास्ते बह जाते हैं।


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