अभ्यास किसी भी कार्य की कुशलता के लिए परमावश्यक है
अभ्यास किसी भी कार्य की कुशलता के लिए परमावश्यक है। जीवन की सभी परीक्षाओं में सफल होने के लिए अभ्यास सबसे महत्वपूर्ण घटक है। किसी कार्य में विशेषज्ञता, कला में पारंगतता तब प्राप्त होती है जब कार्य व कलाएं ज्ञान के स्वरूप को छोड़कर व्यवहारिकता धारण करती हैं।
अभ्यास किसी भी कार्य की कुशलता के लिए परमावश्यक है। जीवन की सभी परीक्षाओं में सफल होने के लिए अभ्यास सबसे महत्वपूर्ण घटक है। किसी कार्य में विशेषज्ञता, कला में पारंगतता तब प्राप्त होती है जब कार्य व कलाएं ज्ञान के स्वरूप को छोड़कर व्यवहारिकता धारण करती हैं।
ज्ञान संबंधी विशेषताओं को कार्य में बदलकर कार्य का निरंतर अभ्यास करना यही ज्ञान की उपयोगिता है। कार्य-निष्पादन दशाओं में सुधार, अपेक्षित संशोधन कर कार्यरूप को विशेष बनाना भी अभ्यास से ही संभव है। क्रियाओं-प्रक्रियाओं में उत्पन्न होने वाली भौतिक और भाव आधारित समस्याओं को पहचान कर उन्हें सुलझाने की समझ केवल कार्याभ्यास से ही विकसित हो सकती है।
हमारे जीवन का प्रत्येक उपक्रम सामान्य अभ्यास की सहायता से संपन्न होना चाहिए। यदि कोई किसी को कहे कि वह एक अच्छा व कुशल अध्यापक है, परंतु अध्यापक अध्यापन का निरंतर अभ्यास न करे, तो उसकी ज्ञान-विज्ञान की जानकारियां प्रकटीकरण व प्रयोग के अभाव में पहले तो आधी-अधूरी रह जाएंगी और एक दिन भुलावे की भेंट चढ़ जाएंगी। इसी तरह किसी को तरह-तरह के भोजन बनाने की विधियां भले ही ज्ञात हों, लेकिन वह प्रतिदिन भोजन बनाने का अभ्यास न करे, तो एक दिन वह भोजन बनाना ही भूल जाएगा। शिक्षण, संगीत, पाकशास्त्र और किसी भी अन्य विषय का पुस्तकीय ज्ञान इन विषयों का परिचय भर कराता है, जबकि विषयगत ज्ञान को फलीभूत कर किसी समाज कल्याण कार्य में बदलना ही मौलिकता है और यह तभी संभव है, जब विषय-ज्ञान बारंबार अभ्यास से व्यवहार में तब्दील हो। संपूर्ण मानव जीवन को सुगम, सोद्देश्यपूर्ण बनाने के लिए विभिन्न कार्यो को सदैव सकारात्मक दृष्टि से टटोलने की जरूरत है। रोजगारों से संबंधित कार्र्यो को अभ्यास के जरिये अच्छी तरह करने से ज्ञान बढ़ता है और कार्य-निष्पादन के नए व सरल उपायों तक पहुंच बनती है। अभ्यास को अनुशासन बनाने वाले तो कार्यसंस्कृति का एक समग्र समुचित साहित्य तक रच डालते हैं। जिस प्रकार शारीरिक व्यायाम का दैनिक अभ्यास शरीर को स्वस्थ रखता है, योगाभ्यास मन-मस्तिष्क के साथ-साथ आत्मगौरव में वृद्धि करता है।