मनुष्य शिक्षित है इसलिए पृथ्वी पर उसे सभी जीवों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है
क शिक्षित आदमी भीड़ से अलग अपनी एक नई पहचान बनाता है। शिक्षा हमें सही और गलत सोचने की शक्ति देती है।
मनुष्य शिक्षित है। इसलिए इस पृथ्वी पर उसे सभी जीवों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। हर व्यक्ति के लिए शिक्षा अति आवश्यक है। मनुष्य को अपने जीवन लक्ष्य की पूर्ति के लिए शिक्षा अवश्य ग्रहण करनी चाहिए। एक शिक्षित आदमी भीड़ से अलग अपनी एक नई पहचान बनाता है। शिक्षा हमें सही और गलत सोचने की शक्ति देती है।
शिक्षा से हमारी तर्कशक्ति बढ़ती है, शिक्षा से हम गरीबी और अज्ञानता को मिटा सकते हैं। शिक्षा से ही हम अपने आस-पास शांति और भाईचारे का माहौल बना सकते हैं। शिक्षा समृद्धि में हमारा आभूषण, विपत्ति में शरण स्थान और समस्त कालों में आनंद स्थान होती है।
महान दार्शनिक और शिक्षाविद् डॉ. राधाकृष्णन भी मनुष्य को सही अर्थो में मनुष्य बनाने के लिए शिक्षा को सर्वाधिक आवश्यक मानते थे। उनके अनुसार शिक्षा वह है जो मनुष्य को ज्ञान प्रदान करने के साथ-साथ उसके हृदय और आत्मा का विकास करती है। शिक्षा व्यक्ति को स्वयं के विकास के साथ-साथ समाज और राष्ट्र के विकास के लिए भी प्रेरित करती है। वास्तव में केवल लिखना-पढ़ना ही शिक्षा नहीं है, बल्कि नैतिक भावनाओं को विकसित करके चरित्र का निर्माण करना परम आवश्यक है। मनुस्मृति में लिखा है कि ऐसा व्यक्ति जो सद्चरित्र हो, भले ही उसे वेदों का ज्ञान कम हो, उस व्यक्ति से कहीं अच्छा है, जो वेदों का पंडित होते हुए भी नैतिक मूल्यों पर आधारित जीवन व्यतीत न करता हो।
इसी तरह स्वामी विवेकानंद कहते हैं, जिस शिक्षा से हम अपना जीवन निर्माण कर सकें, मनुष्य बन सकें, चरित्र गठन कर सकें और विचारों का सामंजस्य स्थापित कर सकें, यथार्थ में वही वास्तविक शिक्षा होगी। स्वामी जी कहना था कि लोगों को आत्मनिर्भर बनना अति आवश्यक है, वरना सारे संसार की दौलत से भी देश के एक गांव की सहायता नहीं की जा सकती। इसलिए नैतिक और बौद्धिक दोनों ही प्रकार की शिक्षा प्रदान करना देश और समाज का पहला कार्य होना चाहिए। वैसे शिक्षा में सबसे महत्वपूर्ण स्थान गुरु का होता है।
कबीर दास ने गुरु को भगवान से बड़ा बताया है, क्योंकि शिक्षक हमें सही मार्गदर्शन देते हैं। शिक्षा को सभी धनों में श्रेष्ठ माना गया है, क्योंकि यही वह धन है जो देने पर न केवल बढ़ता है, बल्कि ख्याति भी दिलाता है।