दोषारोपण एक मानसिक रुग्णता है
कभी-कभी कुछ लोग ऐसे होते हैं जो जानबूझकर गलत काम करते हैं, लेकिन अपने गुनाह को दूसरों पर थोप देते हैं। इस स्थिति का प्रतिकार करना चाहिए।
दोषारोपण एक मानसिक रुग्णता है, जिससे चाहने पर भी हम अपना बचाव नहीं कर पाते और उसके जाल में बुरी तरह उलझ जाते हैं। वास्तव में जब हम दोष दूसरों के सिर पर मढ़ते हैं, तो कई क्रियाएं एक साथ होती हैं। सर्वप्रथम यह कि दोष दूसरों पर मढ़ते ही स्वयं हमारी दृष्टि में हम दोषमुक्त हो जाते हैं और दोष दूसरे पर आ जाता है। और जब दोषी सामने हो तो हम फौरन स्वयं को सामने वाले से योग्य व श्रेष्ठ मान बेठते हैं।
दूसरा हमारी नजर में बौना हो जाता है और अक्सर तो देखने में यह आता है कि हिंसक तरीके से हम उसे उसकी नजरों में गिराने का प्रयास करते हुए स्वयं श्रेष्ठता के सोपान पर चढ़ते चले जाते हैं। हममें से कई सज्जन तो ऐसे होते हैं, जो दूसरों का मनोबल गिराने व हावी होने के लिए दोषारोपण को एक नायाब हथियार समझते हैं और स्वयं के भीतर झांकने के बजाय दोषी को ढ़ूंढ़कर दोषारोपण करते ही चले जाते हैं। बगैर इस बात की परवाह किए कि अगर सामने वाला व्यक्ति थोड़ा समझदार हुआ तो उसकी नजरों में दोषारोपण करने वाले की स्थिति हास्यास्पद हो जाती है।
स्मरण रहे, योग्यता व श्रेष्ठता दूसरों में दोष नहीं ढूंढ़ती, बल्कि अपने दोषों को तलाशती है। खुले दिल से स्वीकार करती है। यही स्वीकार हमें आत्मसुधार का अवसर देता है और श्रेष्ठता के द्वार स्वयं खुल जाते हैं। जबकि अस्वीकार हमारे अहंकार को मजबूत और मूर्खता को बढ़ावा देता है और हम अपनी ही गलतियों के प्रति आंखें मूंद लेते हैं, जो सुबूत है इस बात का कि हम सुधरना नहीं चाहते। स्पष्ट है कि अगर हमने दोषारोपण के सम्मोहक जाल को समझने व तोड़ने के प्रति जागरूकता नहीं अपनाई, निश्चित रूप से एक दिन हम शोषक वर्ग की हिंसक नीति का एक हिस्सा बनकर रह जाएंगे। 1किसी को दबाना, मानसिक शोषण भी एक खतरनाक हिंसा है। स्वतंत्रता प्रत्येक व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। दूसरों को ये अधिकार और सम्मान देकर ही हम सच्चा सम्मान पा सकते हैं। अन्यथा हम स्वयं को चाहे जो समझते रहें, हमारी स्थिति कभी न कभी हास्यापद होगी ही, ये सुनिश्चित है। इस संदर्भ में हमें दूसरे पहलू पर भी विचार करना होगा। कभी-कभी कुछ लोग ऐसे होते हैं जो जानबूझकर गलत काम करते हैं, लेकिन अपने गुनाह को दूसरों पर थोप देते हैं। इस स्थिति का प्रतिकार करना चाहिए।