Move to Jagran APP

...तो क्‍या हनुमान जी की मृत्यु हुई

हनुमान जी की आयु के रहस्य का विवेचन करना एक समस्या है, ऐसे तो ये अश्व्थामा , बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, क्रिपाचार्य, परशुराम और मार्कंडेय -- इन आठ चिरजिवियो में एकतम है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 12 Sep 2016 12:31 PM (IST)Updated: Tue, 13 Sep 2016 12:14 PM (IST)
...तो क्‍या हनुमान जी की मृत्यु  हुई

हनुमान जी की आयु के रहस्य का विवेचन करना एक समस्या है, ऐसे तो ये अश्व्थामा , बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, क्रिपाचार्य, परशुराम और मार्कंडेय -- इन आठ चिरजिवियो में एकतम है। पर हनुमान जी को केवल चिरजीवी कहना पर्याप्त नहीं है - इन्हें नित्याजिवी अथवा अजर-अमर कहना भी असंगत नहीं, क्यों की लंका - विजय के पश्चात् हनुमान जी ने एकमात्र श्रीराम में सदा के लिए अपनी निश्छल भक्ति की याचना की थी और श्रीराम ने इन्हें ह्रदय से लगाकर कहा था।

loksabha election banner

संसार में मेरी कथा जबतक प्रचलित रहेगी, तब तक तुम्हारी कीर्ति भी अमित रहेगी और तुम्हारे शरीर में प्राण भी रहेंगे तुमने मुझपर जो उपकार किये है, उनका बदला मै नहीं चूका सकता। इस प्रकार जब श्रीराम ने चिरकालतक संसार में प्रसन्नचित्त होकर जीवित रहने का इन्हें आशीर्वाद दिया।

इंद्र से भी हनुमान जी को वरदान मिला था की इनकी मृत्यु तबतक नहीं होगी.। जब तक स्वयं इन्हें मृत्यु की इच्छा नहीं होगी ।श्रीराम ने कहा , तुम जीवन्मुक्त होकर संसार में सुखपूर्वक रहो. कल्प का अंत होने पर तुम्हे मेरे सायुज्य की प्राप्ति होगी. इसमें संदेह नहीं.श्री राम जी के समान ही भगवती जानकी जी ने भी अपने सच्चे भक्त हनुमान जी को आशीर्वाद देते हुए कहा - मारुते! तुम जहाँ कही भी रहोगे, वही मेरी आज्ञा से सम्पूर्ण भोग तुम्हारे पास उपस्थित हो जायेंगे.इन प्रमाणों से ज्ञात होता है की हनुमान जी ना केवल चिरजीवी ही है , अपितु नित्याजिवी, इच्छा-मृत्यु तथा अजर-अमर भी है, भगवान श्रीराम उन्हें कल्प के अंत में सायुज्य मुक्ति का वरदान प्राप्त है, अत: उनकी अजरता-अमरता में कोई संशेय नहीं ।

प्रभु राम के बारे में महर्षि वाल्मीकि द्वारा अनेक कथाएं लिखी गई हैं, जिन्हें पढ़कर कलयुग के मनुष्य को श्रीराम के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। वाल्मीकि के अलावा प्रसिद्ध महाकवि तुलसीदास ने भी अनगिनत कविताओं द्वारा कलियुग के मानव को श्री राम की तस्वीर जाहिर करने की कोशिश की है। भारत में उत्तर से लेकर दक्षिण तथा पूर्व से पश्चिम तक, सभी जगहों पर भगवान राम के मंदिर स्थापित किये गए हैं। इनमें से कई मंदिर ऐतिहासिक दृष्टि से बनाए गए हैं। भगवान श्री राम की मुक्ति से पूर्व यदि हम उनके जीवनकाल पर नजर डालें तो प्रभु राम ने पृथ्वी पर 10 हजार से भी ज्यादा वर्षों तक राज किया है। अपने इस लम्बे परिमित समय में भगवान राम ने ऐसे कई महान कार्य किए हैं, जिन्होंने हिन्दू धर्म को एक गौरवमयी इतिहास प्रदान किया है।

भगवान राम का पृथ्वी लोक से विष्णु लोक में जाना कठिन हो जाता यदि भगवान हनुमान को इस बात की आशंका हो जाती। भगवान हनुमान जो हर समय श्री राम की सेवा और रक्षा की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाते थे, यदि उन्हें इस बात का अंदाजा होता कि विष्णु लोक से श्री राम को लेने काल देव आने वाले हैं तो वे उन्हें अयोध्या में कदम भी ना रखने देते,।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.