इस बार 16 के बदले 15 दिन का होगा पितृपक्ष व नवरात्र पूरे 10 दिन के होंगे
पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और तर्पण का महापर्व पितृपक्ष शुक्रवार से शुरू हो चुका है। इस बार 16 दिन के बजाए 15 दिन का होगा पितृपक्ष व नवरात्रे 9 दिन की बजाय 10 दिन के होंगे।
पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और तर्पण का महापर्व पितृपक्ष शुक्रवार से शुरू हो चुका है। इस बार 16 दिन के बजाए 15 दिन का होगा पितृपक्ष व नवरात्रे 9 दिन की बजाय 10 दिन के होंगे। जानकारों के मुताबिक पितृपक्ष में पंचमी और षष्ठी तिथि एक साथ होने के कारण एक दिन की कमी आई है। वहीं नवरात्रे 9 दिन की बजाय 10 दिन के होंगे। शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में सूर्य दक्षिणायन होता है, जो इस दौरान श्राद्ध तृप्त पितरों की आत्माओं को मुक्ति का मार्ग देता है। पितृ श्राद्ध का यह त्योहार इस बार 16 दिन के बजाए 15 दिन का ही होगा।
जानकारों के मुताबिक पितृपक्ष में पंचमी और षष्ठी तिथि एक साथ होने के कारण एक दिन की कमी आई है। पितृपक्ष 16 सितंबर को भाद्रपद की पूर्णिमा तिथि से प्रारम्भ हो रहा है। 17 सितंबर को प्रतिपदा का तर्पण एवं श्राद्ध होगा। 30 सितंबर को पितृमोक्षनी अमावस्या के साथ ही पितृपक्ष का समापन होगा। वहीं नवरात्रे 9 दिन की बजाय 10 दिन के होंगे।
क्या है पितृपक्ष का महत्व-
ऐसी मान्यता है कि इन दिनों पितर यानी परिवार में जिनकी मृत्यु हो चुकी है उनकी आत्मा पृथ्वी पर आती है और अपने परिवार के लोगों के बीच रहती है। इसलिए पितृपक्ष में शुभ काम करना अच्छा नहीं माना जाता है। इन दिनों कई ऐसे काम हैं जिन्हें करने से लोग बचते हैं।
कौए को पितरों का रूप माना जाता है। मान्यता है कि श्राद्ध ग्रहण करने के लिए हमारे पितर कौए का रूप धारण कर नियत तिथि पर हमारे घर आते हैं। अगर उन्हें श्राद्ध नहीं मिलता तो वह रुष्ट हो जाते हैं। इस कारण श्राद्ध का प्रथम अंश कौओं को दिए जाने की प्रथा है।
रखें इन बातों का ध्यान-
* मान्यता है कि इन दिनों में पितर किसी भी रूप में आपके घर पर आ सकते हैं। पितृ पक्ष में पशु पक्षियों को अन्न- जल देने से विशेष लाभ होता है। भूलकर भी अपने दरवाजे पर आने वाले किसी भी जीव का निरादर ना करें।
* जो व्यक्ति पितरों का श्राद्ध करता है उसे पितृ पक्ष में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। खान-पान में मांस-मछली को शामिल नहीं करना चाहिए। चना, मसूर, सरसों का साग, सत्तू, जीरा, मूली, काला नमक, लौकी, खीरा एवं बांसी भोजन नहीं खाना चाहिए।
* श्राद्ध एवं तर्पण क्रिया में काले तिल का बड़ा महत्त्व है। श्राद्ध करने वालो को पितृ कर्म में काले तिल का इस्तेमाल करना चाहिए।
* पितृ पक्ष में पितरों को प्रसन्न करने के लिए ब्राह्मणों को भोजन करवाने का नियम है।
* मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान नए वस्त्र भी नहीं पहनने चाहिए।