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यह भूत प्रेत है या कोई मानसिक रोग

मंदिरों में देवी-देवताओं का निर्माण कुछ खास तरीके से किया जाता है, उन देवताओं का, जिन्हें हम कुल-देवता कहते हैं। कुल का मतलब खानदान या घराना होता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 08 Mar 2017 02:30 PM (IST)Updated: Wed, 08 Mar 2017 02:40 PM (IST)
यह भूत प्रेत है या कोई मानसिक रोग
यह भूत प्रेत है या कोई मानसिक रोग

सद्‌गुरुकभी कभी कुछ मंदिरों में लोग अजीब सी शारीरिक हरकतें करते हुए मिलते हैं। कहा जाता है कि उन्हें भूत प्रेत ने वश में कर लिया है। लेकिन ऐसा मानसिक रोग होने पर भी हो सकता है। कैसे पता लगा सकते हैं इन दोनों के अंतर के बारे में ?

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प्रश्न : सद्‌गुरु, मंगलौर के पास एक मंदिर में मैंने एक कार्यक्रम में भाग लिया था। वहां मैंने देखा कि लोग कुछ अजीब सी हरकतें कर रहें हैं, मानो वे किसी और के वश में हों। क्या ऐसा कुछ होता है या फिर यह एक मनोवैज्ञानिक अवस्था है?

सद्‌गुरु : अगर आप भारत में कुछ खास तरह की देवी या देवताओं के मंदिरों में जाएंगे, तो आप देखेंगे कि कुछ खास त्यौहारों या कुछ खास दिनों में ऐसा होता है। उस दिन ये देवी या देवता किसी को अपने अधिकार में ले लेते हैं, या कहें कि उस पर सवार हो जाते हैं और फिर बोलना शुरू कर देते हैं। कभी-कभी कुछ काफी अजीबोगरीब चीजें बोलने लगते हैं।

कुल देवता एक ख़ास डी. एन. ए. के लिए काम करते हैं

मंदिरों में देवी-देवताओं का निर्माण कुछ खास तरीके से किया जाता है, खास कर उन देवताओं का, जिन्हें हम कुल-देवता कहते हैं। कुल का मतलब खानदान या घराना होता है।

अगर आप इसमें मिश्रण कर देंगे, अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति से शादी करते हैं, जो आपके कुल का नहीं होता, तो आप बिना देवता के रह जाएंगे। हर कुल का अपना एक खास देवी या देवता होता है, केवल उसी कुल के लोग उस मंदिर में जाते हैं। आप दो कुलों को मिलाते नहीं हैं, क्योंकि माना जाता है कि अनुवांशिक शुद्धता बनी रहनी चाहिए। वर्ना आपका अपना कोई देवता नहीं रह जाएगा, जो आपके डीएनए के अनुसार आपके लिए काम करे। यह अपने आप में एक विस्तृत विज्ञान है, जिसमें उस देवता को इस तरह से तैयार किया जाता है, जो केवल उसी डीएनए वालों के लिए काम करेगा। इसलिए लोग अपने कुल की शुद्धता बनाए रखते हैं। अगर आप इसमें मिश्रण कर देंगे, अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति से शादी करते हैं, जो आपके कुल का नहीं होता, तो आप बिना देवता के रह जाएंगे। तब आपके पास ऐसा कोई देवता नहीं होगा, जो आपकी प्रार्थना सुनेगा, आपकी रक्षा करेगा, आपको प्रतिक्रिया देगा, जो जीवन में आपके लिए द्वार खोलगा।

आजकल कुलों का महत्व कम हो गया है

गांवों में लोग आज भी इसे बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन आज के आधुनिक दौर में लोग प्रेम में पड़ जाते हैं, कुछ और करते हैं जिससे सारी चीजें आपस में मिल रही हैं।

हालांकि छोटे-छोटे समुदायों में लोग इसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अब इसे और नहीं बचाया जा सकता। यह चीज अब खत्म हो चुकी है। हालांकि छोटे-छोटे समुदायों में लोग इसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अब इसे और नहीं बचाया जा सकता। यह चीज अब खत्म हो चुकी है।

हजारों साल तक लोगों ने इन जेनेटिक अंतरों को बचाए रखा। आप उस कुल के हैं, मैं इस कुल का हूं, आपस में मिलने का सवाल ही नहीं उठता। इसे हमेशा एक खास तरीके से रखा जाता रहा है, जिससे आपका अपना एक अलग देवता हो, मेरा अलग। ये कोई दो अलग-अलग धर्म नहीं होते हैं, बल्कि यह दो अलग-अलग उपकरण होते हैं। अगर आपका जेनेटिक्स एक तरह का है तो आपको एक खास तरह का उपकरण चाहिए। अगर आपका जेनेटिक्स दूसरी तरह का है तो आपको दूसरे तरह के उपकरण चाहिए। तो इसी तरह से ये देवी-देवता तैयार किए गए थे।

ये ऊर्जा का उच्च स्तर हो सकता है

तो आपको यही चीज गांवों में दिखाई देगी। आजकल जब ये चीजें काम नहीं करतीं या कहें कि देवता ठीक तरह से काम नहीं करते तो वो लोग थोडी़ बहुत शराब का सहारा लेते हैं, लेकिन आमतौर पर ये चीजें होती हैं।

यह ऊर्जा की बहुत उच्च अवस्था होती है। ऊर्जा अचानक बढ़ जाती है और फिर बिलकुल एक अलग स्तर की बोध-क्षमता आ जाती है।मैं ऐसी चीजों और घटनाओं का साक्षी रहा हूं, जहां साधारण से लोगों ने ऐसी चीजों के बारे में बोलना शुरू कर दिया, जिसके बारे में वे जानते तक नहीं थे और वो भी काफी समझदारी और सूझबूझ वाले अंदाज में। वे बातें उनकी अपनी समझदारी और बुद्धिमानी से कहीं आगे की थीं। मैंने कई बार ऐसी घटनाएं देखी हैं, जब उन्हें सामने वाले इंसान के बारे में हर चीज पता होता है। लोग उछलने-कूदने लगते हैं, चिल्लाने लगते हैं, आपे से बाहर हो जाते हैं। फिर उन्हें काबू में लाने के लिए उनके सिर पर या तो ठंडा पानी डाला है या फिर नींबू निचोड़ा जाता है। तब जाकर कहीं वे शांत होते हैं, अगर उन्हें शांत न किया जाए तो वे लंबे समय तक ऊर्जा से आवेशित रहेंगे। यह ऊर्जा की बहुत उच्च अवस्था होती है। ऊर्जा अचानक बढ़ जाती है और फिर बिलकुल एक अलग स्तर की बोध-क्षमता आ जाती है।

मानसिक रोग होना संभव है

क्या यह एक मनोवैज्ञानिक अवस्था है? संभव है। कई बार यह सिर्फ एक मनोवैज्ञानिक घटना ही होती है। कई बार मानसिक उलझनों और बीमारियों को ये समझ लिया जाता है कि कोई आत्मा या भूत-प्रेत ने वश में कर लिया है।

इनके बारे में कोई फैसला करना बहुत मुश्किल है, जब तक कि वहां कोई ऐसा व्यक्ति न हो जो इन चीज़ों के बारे में जागरूक हो।दरअसल मन के कई अजीबोगरीब स्तर होते हैं। कई बार लोग एक अलग मानसिक अवस्था में पंहुचकर बात करना शुरू कर सकते हैं, जिसके बारे में वे आमतौर पर जागरूक नहीं होते। ऐसे कई लोग जिन्हें मानसिक रोग होता है, वे कई बार ऐसे काम कर जाते हैं, जो देखने में काफी अजीब लगता है, क्योंकि वे अचानक एक ऐसी अलग मानसिक अवस्था में प्रवेश कर जाते हैं जहां अब तक उनकी कोई पहुंच नहीं थी और अचानक वे ऐसे लगने लगते हैं जैसे कि कोई परामानवीय चीज हो रही है। साथ ही कुछ ऐसे भी आयाम होते हैं, जहां किसी मानसिक रोग या मनोवैज्ञानिक असंतुलन का सवाल ही नहीं आता। दरअसल, वहां ऊर्जा का एक अन्य आयाम इंसान को अपने प्रभाव में ले लेता है और कुछ खास तरह की चीजें होती हैं। मैं ऐसी कई स्थितियों का गवाह हूं, जहां मैंने यह देखा है। ऐसी चीजें होती हैं, लेकिन साथ ही मैं यह भी कहूंगा कि इनमें से साठ से सत्तर प्रतिशत घटनाएं सिर्फ मानसिक उलझनों के चलते होती हैं। कई परिवारों में जब ऐसी घटनाएं होती हैं तो उन्हें देख कर आप किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकते कि यह सब किसी बीमारी की वजह से हो रहा है या किसी और वजह से या फिर यह सब कोई नाटक है। इनके बारे में कोई फैसला करना बहुत मुश्किल है, जब तक कि वहां कोई ऐसा व्यक्ति न हो जो इन चीज़ों के बारे में जागरूक हो।

सद्‌गुरु 


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