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माँ दुर्गा की द्वितीय शक्ति का रूप है ब्रह्मचारिणी, इस मंत्र का करें ध्यान

माँ के दिव्य स्वरूप का ध्यान हमें अलौकिक तेज व कांति से सुसंपन्न करके कर्मयोगी जीवन जीने की कला सिखाता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 22 Mar 2017 01:28 PM (IST)Updated: Wed, 29 Mar 2017 12:29 PM (IST)
माँ दुर्गा की द्वितीय शक्ति का रूप है ब्रह्मचारिणी, इस मंत्र का करें ध्यान
माँ दुर्गा की द्वितीय शक्ति का रूप है ब्रह्मचारिणी, इस मंत्र का करें ध्यान

माँ दुर्गा की द्वितीय शक्ति का रूप ब्रह्मचारिणी का है। नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी का आवाहन ध्यान व पूजा की जाती है। ब्रह्म में लीन होकर तप करने के कारण इस महाशक्ति को ब्रह्मचारिणी की संज्ञा दी गई है। यह देवी ज्योतिर्मयी एवं अत्यन्त भव्य हैं। इनके दाहिने हाथ में जप की माला तथा बायें हाथ में कमण्डल रहता है। माता सदैव आनन्दमय रहती है।

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पूर्व जन्म में ये हिमालय की पुत्री थीं, तब नारद जी के उपदेश से भगवान शिव जी को पति के रूप में प्राप्त करन के लिये घोर तपस्या में लीन हो गईं। तप करने के कारण इनका नाम तपश्चारिणी भी पड़ा। कठोर तपस्या के पश्चात् इनका विवाह भगवान शिव जी के साथ हुआ।
माँ के दिव्य स्वरूप का ध्यान हमें अलौकिक तेज व कांति से सुसंपन्न करके कर्मयोगी जीवन जीने की कला सिखाता है। यह हमें प्रज्ञा व तेज प्रदान करके हमारी सुषुप्त शक्तियों को जागृत करता है।
माँ के कल्याणकारी स्वरूप का ध्यान हममें आत्मोत्थान व आत्मकल्याण की जिज्ञासा जागृत करके हमारी चेतना को ऊध्र्वगामी बनाता है। यह हमें स्वाध्याय व चिंतन मनन में लगाकर हमारी अन्तरात्मा को दिव्य पवित्रता से परिपूर्ण करता है। माँ के तेजोमय स्वरूप का ध्यान हमें स्वयं पर नियंत्रण करने की सामथ्र्य प्रदान करके हममे सकारात्मक दृष्टिकोण की अभिवृद्धि करता है। यह हमारी तृष्णा व वासना पर लगाम लगाकर हमारे जीवन को श्रेष्ठ व समृद्ध बनाता है। माँ के देदीप्यमान स्वरूप का ध्यान हमें विपश्रियों व कठिनाइयों से जूझने की क्षमता प्रदान करता है। यह हमारी मानसिक वृश्रियों को परिष्कृत करके हमें शांति व समृद्धि प्रदान करता है। 
ध्यान मंत्र
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुश्रमा।।
इस दिन साधक का मन स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित होता है।
- पं अजय कुमार द्विवेदी

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