समस्या से भागें नहीं, जीवंतता के साथ जिएं
जीवन एक ऐसी नदी है, जिसे कुशलता से पार करने वाला ही विजेता बनता है। इसके लिए उसे समस्याओं के मगरमच्छों का सामना तो करना ही होगा...
जीवन एक ऐसी नदी है, जिसे कुशलता से पार करने वाला ही विजेता बनता है। इसके लिए उसे समस्याओं के मगरमच्छों का सामना तो करना ही होगा...
एक रोमांच पसंद अमीर आदमी ने अपने फॉर्म हाउस में पार्टी रखी। काफी मेहमान आए। पार्टी लॉन में स्वीमिंग
पूल था, जिसमें मगरमच्छ तैर रहे थे। तभी अमीर आदमी ने स्टेज पर खड़े होकर ऐलान किया कि जो भी इस
स्वीमिंग पूल को तैरकर पार करेगा, उसे एक करोड़ रुपये इनाम मिलेगा। किसी की हिम्मत नहीं हुई।
लोग पैसे तो चाहते थे, पर सबको अपनी जान प्यारी थी। तभी एक व्यक्ति के स्वीमिंग पूल में कूदने की आवाज आई। लोगों ने देखा, एक युवक मगरमच्छों से बचता हुआ पूल के दूसरे छोर पर पहुंच गया। लोगों ने उसके साहस की बहुत प्रशंसा की। युवक बोला, यह सब तो ठीक है, परंतु पहले यह बताओ कि मुझे धक्का किसने दिया था?
हमारी जिंदगी पूल की तरह है।
समस्यायें मगरमच्छ हैं और हम उन मेहमानों की तरह हैं, जो किनारे पर खड़े हुए पूल में उतरने का साहस नहीं कर पाते। हम हमेशा समस्याओं से बचने का प्रयास करते रहते हैं और यही कारण है कि हम जिंदगी को जीतने में कामयाब नहींहो पाते। किसी भी क्षेत्र में, किसी भी संस्थान में, किसी भी कॉलेज में हजार लोगों में पांच-सात लोग ही ऐसे होते हैं, जो अलग नजर आते हैं। उनकी दुनिया के लोग उन्हें विजेता मानते हैं।
विजेता सभी नहीं बन पाते, क्योंकि ज्यादातर लोगों में समस्याओं से मुठभेड़ करने का साहस नहींहोता। हजार लोगों में इक्का-दुक्का लोग ऐसे होते हैं, जो समस्याओं से बचने के बजाय उनसे जूझना अपना कर्तव्य समझते हैं। वही विजेता होते हैं।
समस्याओं से ज्यादातर बचना चाहते हैं, लेकिन समस्याएं किसी को नहींछोड़तीं। यदि हम स्वीमिंग पूल में उतरने से इंकार भी कर दें, तो ईश्वर खुद हमें स्वीमिंग पूल में धक्का दे देता है, तब हम हाथ-पैर मारते हैं। समस्या से जूझते हैं। यहां हमारा अपना कौशल काम आता है। कई लोग समस्याओं के आगे अपना हौसला गंवा देते हैं और समस्याएं उन्हें निगल लेती हैं। वहींजो व्यक्ति अपने हौसले को बरकरार रखते हुए समस्याओं से पार पाने को अपना उद्देश्य बना लेता है, वह सारी समस्याओं को पीछे छोड़ दुनिया की नजरों में विजेता बन जाता है।
समस्याओं से घबराने की वजह क्या है? सिर्फ एक कि हम कर्तव्य मानकर अपना कर्म करने से बचना चाहते हैं। अपने शरीर को, अपने मन को एक ही सुख की अवस्था में रखना चाहते हैं। लेकिन क्या एक अवस्था में रहना हमारा स्वभाव है? नहीं। हमारे मन, शरीर, हमारी प्रकृति सबका स्वभाव बदलते रहना है। फिर जब हम सेफ जोन से चुनौतियों की ओर जाने से क्यों बचें? कहा गया है कि समय की सबसे अच्छी बात यह है कि वह हमेशा एक सा नहीं रहता, बदलता रहता है। अगर हमारा बुरा वक्त चल रहा है, तो वह इस बात का सूचक है अब अच्छा समय आने वाला है। जब समय की निरंतर बदलने, निरंतर कर्मरत रहने की प्रकृति है, तो फिर हम क्यों एक जैसी अवस्था (सुख की) में रहने का प्रयास करना चाहते हैं? हमें भी जीतने के लिए समस्याओं से जूझना होगा, दुखों को झेलना होगा, तभी हमारे भीतर आत्मविश्वास आएगा और हम विजेता बन सकेेंगे।