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नवरात्र में माँ काली के इस पूजा और मंत्र से समस्त दुर्भाग्य दूर हो जाते हैं

यह मां काली का एकाक्षरी मंत्र है। इसका जप मां के सभी रूपों की आराधना, उपासना और साधना में किया जाता है। मां काली के इस एकाक्षरी मंत्र को मां चिंतामणि काली का विशेष मंत्र भी कहा जाता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 05 Oct 2016 01:04 PM (IST)Updated: Fri, 07 Oct 2016 10:16 AM (IST)
नवरात्र में माँ काली के इस पूजा और मंत्र से समस्त दुर्भाग्य दूर हो जाते हैं

मंत्र एक छोटा रास्ता है जिससे हम भगवान् का आशीर्वाद पा सकते है और अपनी इच्छा पूरी कर सकते है। नवरात्र में हम मंत्रो के द्वारा हम दैविक शक्तियों को जगा सकते है। नवरात्र में मंत्र के नियम और पालन का अच्छे से ध्यान रखकर ही मंत्र को सिद्ध किया जा सकता है ।

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कुछ नियम मंत्र उच्चारण के लिए

सूर्य उदय से पहले नहा ले । स्वच्छ सफेद या नारंगी कपड़े पहनें। पूजा शुरू करने से पहले आसन पे बैठे।

एक दीया जलाये। फूल और मिठाई भगवान् को चढ़ाये। अब गहरा और सच्चे दिल से रुद्राक्ष की माला से मंत्र का जाप करे।

काली माँ सर्व सिद्धि प्रभावशाली मंत्र

ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै:

पाठ : सवा लाख, पांच लाख अथवा नौ लाख जाप ;

क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं स्वाहा

नम: ऐं क्रीं क्रीं कालिकायै स्वाहा

ऐं नम: क्रीं क्रीं कालिकायै स्वाहा

इन मंत्रो का सटीक और गुरु सानिध्य में ही सही नियमो से जाप करे । काली मां दुर्गा का ही एक स्वरुप है। मां दुर्गा के इस महाकाली स्वरुप को देवी के सभी रुपों में सबसे शक्तिशाली माना जाता है। दसमहाविद्याओं में काली का पहला स्थान माना जाता है। दुष्ट, अभिमानी राक्षसों के संहार के लिए मां काली को जाना जाता है। अक्सर काली की साधना सन्यासी या तांत्रिक करते ही करते हैं लेकिन मां काली के कुछ मंत्र ऐसे भी हैं जिनका जाप कर कोई भी साधक अपने जीवन के संकटों को दूर कर सकता है।

22 अक्षरी श्री दक्षिण काली मंत्र

क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं स्वाहा॥

इस मंत्र के जरिये दक्षिण काली का आह्वान किया जाता है। शत्रुओं के विनाश के लिए साधक इस मंत्र के जरिये मां काली की साधना करते हैं व सिद्धि प्राप्त करते हैं। तंत्र विद्या में मां काली की साधना के लिए यह मंत्र काफी लोकप्रिय है। इस मंत्र का तात्पर्य है अर्थ है कि परमेश्वरी स्वरुप जगत जननी महाकाली महामाया मां मेरे दुखों को दूर करें। शत्रुओं का नाश कर मां अज्ञानता का अंधकार मिटाकर ज्ञान का प्रकाश हो। वैसे भी मां काली ज्ञान, मोक्ष तथा शत्रु नाश करने की अधिष्ठात्री देवी हैं। इनकी कृपा से समस्त दुर्भाग्य दूर हो जाते हैं

एकाक्षरी काली मंत्र

क्रीं

यह मां काली का एकाक्षरी मंत्र है। इसका जप मां के सभी रूपों की आराधना, उपासना और साधना में किया जा सकता है। मां काली के इस एकाक्षरी मंत्र को मां चिंतामणि काली का विशेष मंत्र भी कहा जाता है।

तीन अक्षरी काली मंत्र

क्रीं ह्रुं ह्रीं॥

मां काली की साधना व उनके प्रचंड रुपों की आराधना के लिए यह तीन अक्षरी मंत्र एक विशिष्ट मंत्र है। एकाक्षरी व त्रयाक्षरी मंत्रों को तांत्रिक साधना के मंत्र के पहले और बाद में संपुट की तरह भी लगाया जा सकता है।

पांच अक्षरी काली मंत्र

क्रीं ह्रुं ह्रीं हूँ फट्॥

माना जाता है कि इस पंचाक्षरी मंत्र का जाप प्रतिदिन प्रात:काल में 108 बार किया जाये तो मां काली साधक के सभी दुखों का निवारण करके उसके यहां धन-धान्य की वृद्धि करती हैं। पारिवारिक शांति के लिए भी इस मंत्र का जप किया जाता है।

षडाक्षरी काली मंत्र

क्रीं कालिके स्वाहा॥

इस षडाक्षरी मंत्र का जप सम्मोहन आदि तांत्रिक सिद्धियों के लिए किया जाता है। यह मंत्र तीनों लोकों को मोहित करने वाला है।

सप्ताक्षरी काली मंत्र

हूँ ह्रीं हूँ फट् स्वाहा॥

यह मंत्र भी धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति के लिए यह मंत्र कारगर माना जाता है।

श्री दक्षिणकाली मंत्र

ह्रीं ह्रीं ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणकालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं॥

तांत्रिक इस मंत्र के जरिये दक्षिण काली की साधना कर सिद्धि प्राप्ति की कामना करते हैं। यदि आपको शत्रुओं का भय सता रहा है तो आप भी अपने गुरु के मार्गदर्शन में इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।

श्री दक्षिणकाली मंत्र

क्रीं ह्रुं ह्रीं दक्षिणेकालिके क्रीं ह्रुं ह्रीं स्वाहा॥

यह भी दक्षिण काली का एक प्रचलित मंत्र है। रोग दोष आदि को दूर करने के लिए इस मंत्र से साधना करें। मां काली शीघ्र कृपा करती हैं।

भद्रकाली मंत्र

ह्रौं काली महाकाली किलिकिले फट् स्वाहा॥

मां भद्रकाली के इस मंत्र का प्रयोग शत्रुओं को वश में करने के लिये किया जाता है। शत्रुओं के तीव्र विनाश के लिये मां भद्रकाली की साधना की जाती है। मां भद्रकाली को धर्म, कर्म और अर्थ की सिद्धी देने वाली माना जाता है। साधक जिस भी कामना से भद्रकाली की साधना करता है, उनकी उपासना करता है, वह पूर्ण होती है।

श्री शमशान काली मंत्र

ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं कालिके क्लीं श्रीं ह्रीं ऐं॥

यह माना जाता है कि शमशान काली शमशान में वास करती हैं व शव की सवारी करती हैं। तंत्र विद्या के अनुसार शमशान काली की साधना शवारुढ़ यानि शव पर बैठकर की जाती है। इसलिए यह बहुत ही जटिल एवं अमानवीय साधना भी मानी जाती है जो कि सामाजिक व कानूनी रुप से लगभग प्रतिबंधित है। फिर भी लकड़ी आदि के टुकड़ों में प्राण प्रतिष्ठा कर उसे शव का रुप देकर भी तांत्रिक शमशान काली की साधना करते हैं। भूत-प्रेत, पिशाचादि को वश में करने के लिए शमशान काली की साधना की जाती है।

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