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शुभ मुहूर्त: इस दिन ऐसे कई शुभ योग रहेंगे, जो खरीद-फरोख्त के लिए समृद्धिकारक होंगे

इस दिन कुबेर व यमदेव को दीपदान किया जाता। एक मान्यता है कि इस दिन यमदेव की पूजा करने से घर में असमय मृ्त्यु का भय नहीं रहता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 15 Oct 2016 01:17 PM (IST)Updated: Sat, 15 Oct 2016 04:34 PM (IST)
शुभ मुहूर्त: इस दिन ऐसे कई शुभ योग रहेंगे, जो खरीद-फरोख्त के लिए समृद्धिकारक होंगे

कार्तिक कृष्णपक्ष त्रयोदशी के दिन अमृत कलश लेकर भगवान धनवंतरी समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे। इस कारण धनतेरस को अबुझ मुहूर्त भी कहा जाता है। इस वर्ष धनतेरस 28 अक्टूबर के दिन है।

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इस दिन जो भी शुभ कार्य या खरीदी कि जाए वह अमृत के समान अमर व स्थाई रहती है। धनतेरस के दिन शुक्रवार को अमृत योग वष्षिव चतुर्दषी व ऐसे कई शुभ योग रहेंगे, जो खरीद-फरोख्त के लिए समृद्धिकारक होंगे।

इस दिन प्रदोष काल में की गई खरीदी शुभ व लाभकारी मानी जाती है। इसकी वजह यह है कि धन के देवता कुबेर का प्राकट्य प्रदोष काल में शाम के वक्त होना माना गया है। शास्त्रों में भी प्रदोष व्यापिनी धनतेरस का खास महत्व बताया गया है। इस दिन शुभ-अमृत योग का संयोग भी पर्व को शुभता प्रदान करेगा।

पंडित बताते हैं धनतेरस पर शाम के समय लक्ष्मी और कुबेर की पूजा व यम दीपदान के साथ ही खरीदी के लिए भी श्रेष्ठ समय रहेगा। वैसे धनतेरस अबूझ मुहूर्त वाला दिन होता है। पुरे दिन खरीदी की जा सकती है। इस दिन चांदी और पीतल के बर्तन, चांदी के सिक्के व चांदी के गणेश व लक्ष्मी प्रतिमाओं की खरीदी करना शुभ व समृद्धिकारक होता है।

धनतेरस पर बर्तन धनतेरस के दिन ही भगवान धनवंतरी समुद्र से कलश लेकर प्रकट हुए थे। कलश को बर्तन का प्रतीक मानकर तभी से बर्तन का संबंध पर्व से जुड़ गया। देव धनवंतरी के अलावा इस दिन, देवी लक्ष्मी जी और धन के देवता कुबेर के पूजन की परम्परा है।

इस दिन कुबेर के अलावा यमदेव को भी दीपदान किया जाता है। इस दिन यमदेव की पूजा करने के विषय में एक मान्यता है कि इस दिन यमदेव की पूजा करने से घर में असमय मृ्त्यु का भय नहीं रहता है।

धन त्रयोदशी के दिन यमदेव की पूजा करने के बाद घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर मुख वाला दीपक पूरी रात्रि जलाना चाहिए। इस दीपक में कुछ पैसा व कौडी भी डाली जाती है। साथ ही इस दिन नये उपहार, सिक्का, बर्तन व गहनों की खरीदारी करना शुभ रहता है।

शुभ मुहूर्त समय में पूजन करने के साथ सात धान्यों की पूजा की जाती है। सात धान्य गेहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर है। सात धान्यों के साथ ही पूजन सामग्री में विशेष रुप से स्वर्णपुष्पा के पुष्प से भगवती का पूजन करना लाभकारी रहता है।

इस दिन पूजा में भोग लगाने के लिए नैवेद्ध के रुप में श्वेत मिष्ठान्न का प्रयोग किया जाता है। साथ ही इस दिन स्थिर लक्ष्मी का पूजन करने का विशेष महत्व है। धन त्रयोदशी के दिन देव धनवंतरी देव का जन्म हुआ था। धनवंतरी देव, देवताओं के चिकित्सकों के देव है। यही कारण है कि इस दिन चिकित्सा जगत में बडी-बडी योजनाएं प्रारम्भ की जाती है।

धन तेरस के शुभ मुहूर्त

सूर्यास्त के बाद के 2 घण्टे 24 मिनिट की अवधि को प्रदोषकाल के नाम से जाना जाता है। प्रदोषकाल में दीपदान व लक्ष्मी पूजन करना शुभ रहता है। स्थिर लग्न 6.46 से लेकर 8.45 के मध्य वृषभ लग्न रहेगा। मुहुर्त समय में होने के कारण घर-परिवार में स्थायी लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

प्रातः6 से 10.30 -चर, लाभ,अमृत

दोपहर 12 से 1.30-शुभ 4. 30 से 6 चर

रात्रि 9 से 10. 30 लाभ

शुभ 10.30 से लेकर 12.00 तक

शरद पूर्णिमा से दीपावली तक खरीदी के होंगे ये 11 दिन संयोग

15 अक्टूबर शरद पूर्णिमा

17 तुला संक्रान्ति

18 अक्टूबर सर्वार्थ सिद्धि योग

19 अक्टूबर सर्वार्थ सिद्धि योग

20 अक्टूबर रवियोग

21 अक्टूबर रवियोग

22 अक्टूबर त्रिपुष्कर योग

23 अक्टूबर रवि पुष्य महासंयोग

28 अक्टूबर धनतेरस, अमृत योग

29 अक्टूबर रूपचौदस, सर्वार्थ सिद्धि योग

30 अक्टूबर दीपावली महालक्ष्मीपद्मयोग


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