प्राचीन मंदिर अक्सर पहाड़ों पर ही क्यों मौजूद होते हैं
सबसे बडा कारण एक यह भी है कि यह जगहें आत्मा को सुख प्रदान करती है, प्रकृति का यह रूप हमारी आत्मा को परमात्मा से मिलाने में सहायक सिद्ध होता है।
कभी घूमने-फिरने का मन करता है तो अधिकतर लोग छुट्टियां मिलते ही किसी पर्वतीय क्षेत्र में जाना पसंद करते हैं। जहां आसपास हरियाली हो, सुंदर पहाड़ हो और आसपास ऐसी जगहें बनी हों जहां रुक कर प्रकृति का आनंद उठाया जाए। और जब भारत जैसे देश में हम पर्वतीय क्षेत्र की बात करते हैं हिमाचल प्रदेश जैसा अच्छा स्थान नहीं हो सकता। धार्मिक स्थल कुछ तो ऐतिहासिक होंगे, लेकिन कुछ ऐतिहासिक ना होकर भी लोगों की मान्यता एवं श्रद्धा के अनुसार बनाए गए हैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि हिमालय जैसे इलाके में ही यह मंदिर-पीठ इत्यादि क्यों बनाए जाते हैं? भारी मात्रा में धार्मिक स्थल इन्हीं क्षेत्रों में क्यों पाए जाते हैं? शायद आपको यह बात अजीब लग रही हो लेकिन यह सच है कि भारत में यदि किसी जगह अधिकतम धार्मिक स्थल हैं तो वह हिमालय में ही हैं।
परंतु ऐसा क्यों! किसी भी अन्य राज्य की तुलना में पर्वतीय क्षेत्र में ही सबसे अधिक मंदिर-पीठ होने का क्या महत्व है? प्रसिद्ध कवि रविंद्र नाथ टैगोर ने अपनी एक पुस्तक ‘साधना- दि रियलायज़ेशन ऑफ लाइफ’ में इसी मुद्दे को उठाया है। उन्होंने बताया कि भारत में जब-जब साधना एवं भक्ति के लिए जगह की खोज की जाती है, तो किसी शांत, हरियाली से भरे माहौल को ही चुना जाता है। ऐसे स्थान को चुनाा जाता है जहां आसपास का शांत पर्यावरण मन एवं दिमाग को शांति पहुंचाए। लेकिन टैगोर ने यह भी बताया कि यह बात केवल भारतीय सीमा तक ही लागू नहीं होती। उन्होंने बताया कि क्रिश्चियनिटी में भी गिरिजाघर एवं मोनास्ट्री के लिए ऐसी ही हरी-भरी जगहों का चयन किया जाता है।
सबसे बडा कारण एक यह भी है कि यह जगहें आत्मा को सुख प्रदान करती है, प्रकृति का यह रूप हमारी आत्मा को परमात्मा से मिलाने में सहायक सिद्ध होता है। शायद इसीलिए प्राचील काल से अब तक जब-जब ऋषि-मुनियों के मन में तपस्या का ख्याल आया है उन्होंने हिमालय की सुंदर वादियों की ओर ही रुख किया है। ऐसा नहीं है कि केवल ऋषि-मुनि ही ऐसी वादियों पर जाकर परमात्मा से मिलने वाले सुख को प्राप्त करते हैं। स्वयं हम भी जब इन सुंदर वादियों में प्रवेश करते हैं तो अपने दिमाग को शांत पाते हैं। हमारी आंखें एक अजब-सी ठंडक को महसूस करती हैं और यही ठंडक हमारी आत्मा को शांत करती है। शायद इन्हीं सब कारणों से अधिकतर मंदिर पहाडों पर ही बनाए गए हैं ।
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