सूरदास ने श्रीकृष्ण की बाललीलाओं का बड़ा ही मर्मस्पर्शी और अद्भुत वर्णन किया है
मान्यता है कि संतकवि सूरदास जन्मांध थे लेकिन श्रीकृष्ण की बाललीलाओं और राधाकृष्णप्रेम का जितना सजीव चित्रण किया वैसा आंखवाले के लिए भी संभव नहीं।
सूरदास जी भक्ति काव्य के महत्वपूर्ण कवि हैं। वह वात्सल्य रस के सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने श्रीकृष्ण की बाललीलाओं का बड़ा ही मर्मस्पर्शी और अद्भुत वर्णन किया है। हालांकि सूरदास की जन्मतिथि एवं जन्मस्थान के विषय में विद्वानों में मतभेद है। अधिकतर लोग सूरदास की जन्मतिथि वैशाख शुक्ल पंचमी मानते हैं।
सूरदास के गुरु वल्लभाचार्य माने जाते हैं। ‘साहित्य लहरी’ सूरदास की लिखी रचना मानी जाती है। मान्यता है कि संतकवि सूरदास जन्मांध थे, लेकिन श्रीकृष्ण की बाललीलाओं और राधाकृष्ण के प्रेम का जितना सजीव चित्रण उन्होंने किया है, वैसा वर्णन करना किसी आंख वाले के लिए भी संभव नहीं है। ऐसा वर्णन साहित्य में कहीं और नहीं मिलता है। सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य-लहरी, नल-दमयंती, ब्याहलो आदि उनके प्रमुख ग्रंथ माने जाते हैं, जिनमें अंतिम दो ग्रंथ अप्राप्य हैं।