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आज सफला एकादशी व्रत में क्या करें कि हो पुण्य की प्राप्ति

पौष मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी पर किया जाने वाला सफला एकादशी व्रत इस वर्ष आज 18 दिसंबर को है। एकादशी तिथि 17 दिसंबर को दिन में 11 बजकर 10 मिनट पर आरंभ हुई व 18 दिसंबर को 11 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगी।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 18 Dec 2014 09:48 AM (IST)Updated: Thu, 18 Dec 2014 09:52 AM (IST)
आज सफला एकादशी व्रत में क्या करें कि हो पुण्य की प्राप्ति

पौष मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी पर किया जाने वाला सफला एकादशी व्रत इस वर्ष आज 18 दिसंबर को है। एकादशी तिथि 17 दिसंबर को दिन में 11 बजकर 10 मिनट पर आरंभ हुई व 18 दिसंबर को 11 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगी।

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शास्त्रों के अनुसार यह नाम के अनुसार मनोकामना सफल करने वाली एकादशी है। पुराणों में बताया गया है कि जो व्यक्ति विधिवत रूप से एकादशी का व्रत और रात्रि जागरण करता है, उसे वषों तक तपस्या करने के समान पुण्य प्राप्त होता है। पद्म पुराण में सफला एकादशी के महात्म्य का वर्णन मिलता है। भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया है कि सफला एकादशी व्रत के देवता श्री नारायण हैं। जो व्यक्ति सफला एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करता है। रात्रि में जागरण करते हैं ईश्वर का ध्यान और श्री हरि के अवतार एवं उनकी लीला कथाओं का पाठ करता है, उनका व्रत सफल होता है। इस प्रकार से सफला एकादशी का व्रत करने वाले पर भगवान प्रसन्न होते हैं। व्यक्ति के जीवन में आने वाले दु:खों को पार करने में भगवान सहयोग करते हैं और जीवन में मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।

आचार्य शर्मा ने बताया कि सफला एकादशी के व्रत के दिन भगवान विष्णु का पूजन करें। सुबह उठकर व्रत का संकल्प करें। दिन भर निराहार रहकर शाम को भगवान को पीले वस्त्र, केले तथा लड्डुओं का भोग लगाएं। सत्यनारायण कथा पाठ कर आरती करें। एकादशी तिथि को चावल नहीं बनाएं न ही भगवान विष्णु को चावल चढ़ाएं। भगवान विष्णु को जौ अर्पित करें व दूसरे दिन सुबह सूर्य भगवान को अघ्र्य देकर व्रत का परायण करें।

पौष संक्रांति पर सूर्य धनु राशि में प्रवेश कर गया। पौष संक्रांति का आरंभ 16 दिसम्बर को हो गया है। पौष माह में गंगा-यमुना स्नान का शास्त्रों में महत्व बताया गया है। इसके अलावा सूर्य भगवान के पूजन अर्चन का भी विशेष महत्व है। तीर्थ पर स्नान के बाद सूर्य भगवान को अघ्र्य देने से बुद्धि तथा विवेक की प्राप्ति होती है। गायत्री महामंत्र के जाम करने से अनेक कष्टों से मुक्ति मिलती है। पौष महीने के संक्रांति के दिन मीठा बनाकर बनाकर भगवान को भोग लगाना चाहिए। यह भोग प्रसाद रुप में परिवार के सभी सदस्यों में बांटा जाता है। भगवान विष्णु की पूजा में केले का उपयोग महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महीने भगवान सत्यनारायण की कथा के बाद उनका पूजन किया जाता है और देवी लक्ष्मी की आरती की जाती है। इसके अलावा इस अवर पर दान पुण्य करने से भी अक्षय फल की प्राप्ति होती है।


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