सावन माह आशाओं की पूर्ति का समय होता है
जिस महीने में शिवजी ने विष पीया और उनका जलाभिषेक देवताओं ने किया वह सावन का महीना था। इसलिए सावन में महादेव का जलाभिषेक उत्तम माना जाता है।
भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सावन का सोमवार खास होता है। जिन लोगों के एक भी सोमवार छुुट जाते है वे दूसरे सोमवार से लगातार तीन सोमवार का व्रत कर सकते हैं। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तीन सोमवार व्रत करने का विधान होता है। इससे त्रिदेव प्रसन्न होते हैं और व्रत करने वाले की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
सावन मास मासोत्तम मास
जिस महीने में शिवजी ने विष पीया और उनका जलाभिषेक देवताओं ने किया वह सावन का महीना था। इसलिए सावन में महादेव का जलाभिषेक उत्तम माना जाता है। भगवान शिव को भक्त प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र और शमी पत्र चढ़ाते हैं। सावन मास को मासोत्तम मास कहा जाता है। श्राावण नक्षत्र तथा सोमवार से भगवान शिव शंकर का गहरा संबंध है। श्रावण मास को भगवान शिवजी के साथ देखा जाता है। इस समय शिव आराधना का विशेष महत्व होता है। यह माह आशाओं की पूर्ति का समय होता है। श्रावण में शिव भक्तों के लिए भगवान शिव का दर्शन एवं जलाभिषेक करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त करता है तथा शिवलोक को पाता है।
अनंत विशेषताओं वाले हैं शिव
वैसे भी भारत में जितने देवी और देवता हैं उतने शायद ही अन्य देशों में होंगे। वैसे तो भारत में सभी देवी-देवताओं की महिमा गाई जाती है, लेकिन भगवान शिव की बात कुछ अलग ही है। यद्यपि सभी भारतीय किसी न किसी देव-देवियों की पूजा आराधना करते ही हैं, सबके मन्दिर हैं, लेकिन सर्वाधिक मन्दिर भगवान शिव के हैं, क्योंकि सर्वाधिक भक्त उन्हीं के हैं। क्यों? क्योंकि कहा जाता है भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। इसीलिए उन्हें आशुतोष भी कहते हैं। शिवजी की अनन्त महिमा बताई जाती हैं। उनके अनेक नाम हैं। जैसे-रुद्र, यानि दुखों का नाश करने वाला। पशुपति, यानि समस्त प्राणी जगत, पशु पक्षियों के अधिपति और पालक हैं वे। महादेव माने देवों के भी देव। इसी तरह सबको समान न्याय दिलाने वाला होने से शंकर, कोमल हृदय, दयालु व सहज स्वभाव होने से भोले, माया के अधीश्वर होने से महेश्वर, अपने आपका जन्मदाता होने से स्वयम्भू, सबके जन्म-मृत्यु के नियन्त्रक होने से शम्भू, विष्णुजी के अत्यन्त प्रिय होने से विष्णुवल्लभ, भक्तों पर अनुग्रह दृष्टि रखने से भक्तवत्सल, तीनों लोकों के स्वामी होने से त्रिलोकेश, कामशक्ति को नष्ट करने से कामारि, अन्धकासुर का नाश करने से अन्धकासूदन, गंगा को जटा में धारण करने से गंगाधर, तीन आंख होने से त्रिनेत्र, उनका और कोई ईश्वर न होने से अनीश्वर, समस्त भूतों के अधीपति होने से भूतपति आदि उनकी अनन्त विशेषताएं हैं।
कहते हैं वे सामान्य बेलपत्र से संतुष्ट हो जाते हैं। बेलपत्र शुद्ध सात्विकता का प्रतीक है। जिसमें शुद्धता, सात्विकता, अनन्य भक्ति, श्रद्धा, निष्ठा होगी, वह अवश्य शिवजी का आशीर्वाद प्राप्त करेगा। शिवजी के आशीर्वाद चाहने वालों को अपने अन्दर श्रद्धा भक्ति भरा पवित्र भाव का विकास करना चाहिए। अनंत विशेषताओं वाले हैं शिव।