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मान्यता है कि जो लोग सावन माह में ऐसा करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं

ये भक्ति का महीना है, इस कारण इन दिनों के लिए शास्त्रों में कुछ ऐसे काम बताए गए हैं जो हमें नहीं करना चाहिए। जो लोग ये काम करते हैं, उन्हें शिवजी की कृपा प्राप्त नहीं हो पाती है ।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 15 Jul 2016 03:34 PM (IST)Updated: Sat, 16 Jul 2016 11:03 AM (IST)
मान्यता है कि जो लोग सावन माह में ऐसा करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं

सावन शिवजी की भक्ति का महीना है । हिन्दी पंचांग के सभी बारह महीनों में श्रावण मास का विशेष महत्व माना जाता है, क्योंकि ये शिवजी की भक्ति का महीना है। श्रावण मास को सावन माह भी कहते है। मान्यता है कि जो लोग इस माह में शिवजी की पूजा करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं। कार्यों में आ रही मुश्किलें खत्म हो जाती हैं और देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। इसी वजह से देशभर के सभी शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहेगी। ये भक्ति का महीना है, इस कारण इन दिनों के लिए शास्त्रों में कुछ ऐसे काम बताए गए हैं जो हमें नहीं करना चाहिए। जो लोग ये काम करते हैं, उन्हें शिवजी की कृपा प्राप्त नहीं हो पाती है और परेशानियां बनी रहती हैं।

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शिवजी की पूजा करते समय ध्यान रखें कि शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ानी चाहिए। हल्दी जलाधारी पर चढ़ानी चाहिए। हल्दी स्त्री से संबंधित वस्तु है। शिवलिंग पुरुष तत्व से संबंधित है और ये शिवजी का प्रतीक है। इस कारण शिवलिंग पर नहीं, बल्कि जलाधारी पर हल्दी चढ़ानी चाहिए। जलाधारी स्त्री तत्व से संबंधित है और ये माता पार्वती की प्रतीक है।

सावन में संभव हो तो दूध का सेवन न करें। यही बात बताने के लिए सावन में शिव जी का दूध से अभिषेक करने की परंपरा शुरू हुई होगी। वैज्ञानिक मत के अनुसार इन दिनों दूध वात बढ़ाने का काम करता है। अगर दूध का सेवन करना हो तब खूब उबालकर प्रयोग में लाएं। कच्चा दूध प्रयोग में नहीं लाएं। सावन में दूध से दही बनाकर सेवन कर सकते हैं। लेकिन भाद्र मास में दही से परहेज रखना चाहिए क्योंकि भाद्र मास में दही सेहत के लिए हानिकारक होता है।

स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सावन में कुछ चीजों को खाना वर्जित बताया गया है। ऐसी चीजों में पहला नाम साग का आता है। जबकि साग को सेहत के लिए गुणकारी माना गया है। लेकिन सावन में साग में वात बढ़ाने वाले तत्व की मात्रा बढ़ जाती है। इसलिए साग गुणकारी नहीं रह जाता है। यही कारण है कि सावन में साग खाना वर्जित माना गया है। दूसरा कारण यह भी है कि इन दिनों कीट पतंगों की संख्या बढ़ जाती है और साग के साथ घास-फूस भी उग आते हैं जो सेहत के लिए हानिकाक होते हैं। साग के साथ मिलकर हानिकारक तत्व हमारे शरीर में नहीं पहुंचे इसलिए सावन में साग खाने की मनाही की गई।

सावन में महीने में साग के बाद बैंगन भी ऐसी सब्जी है जिसे खाना वर्जित माना गया है। इसका धार्मिक कारण यह है कि बैंगन को शास्त्रों में अशुद्घ कहा गया है। यही वजह है कि कार्तिक महीने में भी कार्तिक मास का व्रत रखने वाले व्यक्ति बैंगन नहीं खाते हैं। वैज्ञानिक कारण यह है कि सावन में बैंगन में कीड़े अधिक लगते हैं। ऐसे में बैंगन का स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए सावन में बैंगन खाने की मनाही है।

सावन माह में किसी भी प्रकार के बुरे विचार से बचना चाहिए। बुरे विचार जैसे दूसरों को नुकसान पहुंचाने के लिए योजना बनाना, अधार्मिक काम करने के लिए सोचना, स्त्रियों के लिए गलत सोचना आदि। इस प्रकार के विचारों से बचना चाहिए, अन्यथा शिवजी की पूजा में मन नहीं लग पाएगा। मन बेकार की बातों में ही उलझा रहेगा। शास्त्रों में स्त्रियों के लिए गलत बातें सोचना महापाप बताया गया है। सावन माह में अच्छे साहित्य या धर्म संबंधी किताबों का अध्ययन करना चाहिए, इससे बुरे विचार दूर हो सकते हैं।

सावन माह में इस बात का ध्यान रखें कि बुजुर्ग व्यक्ति, गुरु, भाई-बहन, जीवन साथी, माता-पिता, मित्र और ज्ञानी लोगों का अपमान न करें। शिवजी के माह में इस बात का पालन जरूर होना चाहिए, अन्यथा शिवजी की कृपा प्राप्त नहीं हो पाती है। शिवजी ऐसे लोगों से प्रसन्न नहीं होते हैं जो यहां बताए गए लोगों का अपमान करते हैं। ये सभी लोग हर स्थिति में सम्मान के पात्र हैं, हमेशा इनका सम्मान करें।

पूजा के लिए सुबह-सुबह का समय सबसे अच्छा रहता है, इस कारण यदि आप शिवजी की कृपा पाना चाहते हैं तो सुबह बिस्तर जल्दी छोड़ देना चाहिए। जल्दी जागें और स्नान आदि कार्यों के बाद शिवजी की पूजा करें। यदि देर तक सोते रहेंगे तो इससे आलस्य बढ़ेगा। सुबह जल्दी उठने से वातावरण से स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं। सुबह के समय मन शांत रहता है और इस वजह से पूजा पूरी एकाग्रता से हो पाती है। एकाग्रता से की गई पूजा बहुत जल्दी शुभ फल प्रदान करती है।

सावन माह में मांसाहार यानी नॉनवेज खाने से बचना चाहिए। नॉनवेज खाना बनाने के लिए जीव हत्या की जाती है। जीव हत्या पाप है। मांसाहार को छोड़कर इस पाप से बचें। सावन में वर्षा ऋतु रहती है और आसमान में बादल छाए रहते हैं, इस कारण कई बार सूर्य और चंद्रमा दिखाई नहीं देते हैं। सूर्य और चंद्र की रोशनी हम तक नहीं पहुंचती है तो हमारी पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। इन दोनों ग्रहों की रोशनी से पाचन शक्ति मजबूत होती है। नॉनवेज खाने को पचाने के लिए पाचन शक्ति मजबूत होना जरूरी है। यदि ये खाना ठीक से पचेगा नहीं तो स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं।

अधिकतर परिवारों में पति-पत्नी के बीच वाद-विवाद, छोटी-छोटी लड़ाइयां अक्सर होती रहती हैं। ये आम बात है, लेकिन जब छोटी-छोटी बातें बढ़ जाती हैं तो पूरा घर अशांत हो जाता है। सावन माह में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि घर में क्लेश ना हो। जिन घरों में क्लेश होता है, अशांति रहती है, वहां देवी-देवता निवास नहीं करते हैं। सावन माह में शिवजी की कृपा चाहते हैं तो घर में प्रेम बनाए रखें और एक-दूसरे की गलतियों को भूलकर आगे बढ़ें। घर में शांति रहेगी तो जीवन भी सुखद बना रहेगा। मन प्रसन्न रहेगा। प्रसन्न मन से पूजा करेंगे तो मनोकामनाएं भी जल्दी पूरी हो सकती हैं।

क्रोध से मन की एकाग्रता और सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो जाती है। इस आवेश में लिए गए फैसले भी अधिकतर नुकसानदायक ही होते हैं। ये एक बुराई है और इससे बचना चाहिए। शिवजी के कृपा पाने के लिए खुद को शांत रखना बहुत जरूरी है। क्रोध से मन अशांत हो जाता है और ऐसे में पूजा नहीं की जा सकती है।


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