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राम नवमी पर इस तरह करें पूजा तो पूरे होंगे हर काम, ये है पूजा का शुभ मुहूर्त

सी वजह से इस दिन खुद सिद्ध मुर्हुत में शुभ मंगल कार्य करना अति श्रेष्ठ फलदायी और सिद्धि प्राप्त कराने वाला है। व्यावसायिक कामों की शुरुआत के लिए यह दिन बहुत ही शुभ माना जाता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 04 Apr 2017 03:33 PM (IST)Updated: Wed, 05 Apr 2017 09:02 AM (IST)
राम नवमी पर इस तरह करें पूजा तो पूरे होंगे हर काम, ये है पूजा का शुभ मुहूर्त
राम नवमी पर इस तरह करें पूजा तो पूरे होंगे हर काम, ये है पूजा का शुभ मुहूर्त

ऐसा माना जाता है कि भगवान राम का जन्म मध्यान्ह काल में व्याप्त नवमी तिथि को पुष्य नक्षत्र में हुआ था। 

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मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में रामनवमी मनाई जाती है जो कि भगवान विष्णु के 7वें अवतार थे। प्रत्येक साल हिन्दू कैंलेडर के अनुसार चैत्र मास की नवमी तिथि को श्रीराम नवमी के रूप मनाया जाता है। चैत्र मास की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक नवरात्रि भी मनाई जाती है। देशभर में नौ दिनों तक चले नवरात्र महोत्सव का 5 अप्रैल को समापन हो जाएगा। इस दिन को रामनवमी के नाम से जाना जाता है।

रामनवमी का मुहूर्त

रामनवमी मुहूर्त : 11:09:22 से 13:39:46 तक

अवधि :2 घंटे 30 मिनट

रामनवमी मध्याह्न समय :12:24:34

इसी दिन सभी भक्त कन्या पूजन करके अपने व्रत को खोलेंगे। बसंत ऋतु में आने वाले इस त्योहार को भगवान राम के जन्मदिन के तौर पर देशभर में मनाया जाता है। नवरात्री चैत्र मास की शुक्ल पक्ष में आती है। इस दिन राम की कथा पढ़ी और सुनाई जाती है। इस साल राम नवमी का शुभ समय सुबह 10.3 मिनट से शुरू हो जाएगा।

ऐसा माना जाता है कि भगवान राम का जन्म मध्यान्ह काल में व्याप्त नवमी तिथि को पुष्य नक्षत्र में हुआ था। महाभारत वनपर्व के अनुसार पुनर्वसु नक्षत्र में राम का जन्म होना लिखा है। इस साल चार अप्रैल को सूर्योदय काल से रात्रि के 11:12 बजे तक पुनर्वसु नक्षत्र रहेगा। मंगलवार को पुनर्वसु नक्षत्र के आने से बना स्थिर योग कार्यसिद्धि प्रदायक माना जाता है। इसी वजह से इस दिन खुद सिद्ध मुर्हुत में शुभ मंगल कार्य करना अति श्रेष्ठ फलदायी और सिद्धि प्राप्त कराने वाला है। व्यावसायिक कामों की शुरुआत के लिए यह दिन बहुत ही शुभ माना जाता है।

रामनवमी के दिन बहुत से लोग राम जन्म भूमि अयोध्या जाते हैं और ब्रह्म मुहूर्त में सरयू नदी में स्नान करने के बाद भगवान राम के मंदिर जाकर भक्तिभाव से पूजा-पाठ करते हैं। इस दिन जगह-जगह रामायण का पाठ करवाया जाता है। कई स्थानों में राम, सीता, लक्ष्मण और हुमान की झाकियां या पालकी निकाली जाती है। इसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं।

राम नवमी की पूजा विधि

 प्रातः काल स्नान आदि से निवृत्त होकर सबसे पहले राम दरबार की पूजा में भगवान श्री राम का पूजन, आह्वान और आरती करें। इसके बाद पुष्पांजलि अर्पित करके क्षमा प्रार्थना करे। सबसे पहले स्नान करके पवित्र होकर पूजा स्थल पर पूजन सामग्री के साथ बैठें। पूजा में तुलसी पत्ता और कमल का फूल अवश्य होना चाहिए। उसके बाद श्रीराम नवमी की पूजा षोडशोपचार करें। खीर और फल-मूल को प्रसाद के रूप में तैयार करें। पूजा के बाद घर की सबसे छोटी महिला सभी लोगों के माथे पर तिलक लगाए। आखिर में इस मंत्र का जाप करते हुए समर्पण करें। कृतेनानेन पूजनेन श्री सीतारामाय समर्पयामि। वहीं नारद पुराण के अनुसार राम नवमी के दिन सभी भक्तों को उपवास करने का सुझाव दिया गया है। भगवा राम की पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए। उसके बाद उन्हें गाय, जमीन, कपड़े और दक्षिणा देकर दोनों हाथ जोड़कर विदा करना चाहिए। जिसके बाद ही राम की पूजा खत्म होती है।

मान्यताएँ

श्री रामनवमी की कहानी लंकाधिराज रावण से शुरू होती है। रावण अपने राज्यकाल में बहुत अत्याचार करता था। उसके अत्याचार से पूरी जनता त्रस्त थी, यहाँ तक की देवतागण भी, क्योंकि रावण ने ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान ले लिया था। उसके अत्याचार से तंग होकर देवतागण भगवान विष्णु के पास गए और प्रार्थना करने लगे। फलस्वरूप प्रतापी राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या की कोख से भगवान विष्णु ने राम के रूप में रावण को परास्त करने हेतु जन्म लिया। तब से चैत्र की नवमी तिथि को रामनवमी के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई। ऐसा भी कहा जाता है कि नवमी के दिन ही स्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना शुरू की थी। 


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