नवरात्रि के पावन त्यौहार के प्रथम दिन पर माँ शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है। माँ शैलपुत्री का स्वरूप ऐसा है कि उनके बाएँ हाथ में कमल का फूल सुशोभित है, जबकि दाएँ हाथ में त्रिशूल है एवं उनकी सवारी नंदी हैं। चैत्र प्रतिपदा के दिन घटस्थापना की जाती है और इसी दिन से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ होती है। चैत्र नवरात्र पूजन का आरंभ घट स्थापना से शुरू हो जाता है।
शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन प्रात: स्नानादि से निवृत हो कर संकल्प किया जाता है। व्रत का संकल्प लेने के पश्चात मिटटी की वेदी बनाकर जौ बौया जाता है। इसी वेदी पर घट स्थापित किया जाता है। घट के ऊपर कुल देवी की प्रतिमा स्थापित कर उसका पूजन किया जाता है। तथा "दुर्गा सप्तशती" का पाठ किया जाता है।पाठ पूजन के समय दीप अखंड जलता रहना चाहिए।
दुर्गा पूजा के साथ इन दिनों में तंत्र और मंत्र के कार्य भी किये जाते है। बिना मंत्र के कोई भी साधाना अपूर्ण मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार हर व्यक्ति को सुख -शान्ति पाने के लिये किसी न किसी ग्रह की उपासना करनी ही चाहिए। माता के इन नौ दिनों में ग्रहों की शान्ति करना विशेष लाभ देता है। इन दिनों में मंत्र जाप करने से मनोकामना शीघ्र पूरी होती है। नवरात्रे के पहले दिन माता दुर्गा के कलश की स्थापना कर पूजा प्रारम्भ की जाती है।
तंत्र-मंत्र में रुचि रखने वाले व्यक्तियों के लिये यह समय ओर भी अधिक उपयुक्त रहता है। गृहस्थ व्यक्ति भी इन दिनों में माता की पूजा आराधना कर अपनी आन्तरिक शक्तियों को जाग्रत करते है। इन दिनों में साधकों के साधन का फल व्यर्थ नहीं जाता है। मां अपने भक्तों को उनकी साधना के अनुसार फल देती है। इन दिनों में दान पुण्य का भी बहुत महत्व कहा गया है।
चैत्र नवरात्र तिथि
पहला नवरात्र, प्रथमा तिथि, 28 मार्च 2017, दिन मंगलवार
दूसरा नवरात्र, द्वितीया तिथि 29 मार्च 2017, दिन बुधवार
तीसरा नवरात्रा, तृतीया तिथि, 30 मार्च 2017, दिन बृहस्पतिवार
चौथा नवरात्र , चतुर्थी तिथि, 31 मार्च 2017, दिन शुक्रवार
पांचवां नवरात्र , पंचमी तिथि , 1 अप्रैल 2017, दिन शनिवार
छठा नवरात्रा, षष्ठी तिथि, 2 अप्रैल 2017, दिन रविवार
सातवां नवरात्र, सप्तमी तिथि , 3 अप्रैल 2017, दिन सोमवार
आठवां नवरात्रा , अष्टमी तिथि, 4 अप्रैल 2017, दिन मंगलवार
नौवां नवरात्र नवमी तिथि 5 अप्रैल, दिन बुधवार