शिवलिंग का पूजन करने से मनुष्य संतान, धन, विद्या, ज्ञान, व मोक्ष की प्राप्ति करता है
शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि जिस स्थान पर शिवलिंग का पूजन होता है,वह तीर्थ नहीं होते हुआ भी तीर्थ बन जाता है।
महाभारत में उल्लेख मिलता है कि 'जब पाण्ड़व वनवास में थे, तब दुर्योधन पाण्ड़वों को कष्ट देता था। कभी वह दुर्वासा ऋषि को भेजकर तो कभी मूक नामक राक्षस को भेजकर तब पाण्ड़वों ने श्री कृष्ण से दुर्योधन के दुर्व्यवहार के लिए कहा और उससे राहत पाने का उपाय पूछा।'
तब श्री कृष्ण ने उन सभी को भगवान की पूजा के लिए सलाह दी और कहा 'मैंने सभी मनोरथों को प्राप्त करने के लिए प्रभू शिव की पूजा की है और आज भी कर रहा हूं। तुम लोग भी करो। वेदव्यासजी ने भी पाण्ड़वों को भगवान् शिव की पूजा का उपदेश दिया है।
शिवमहापुराण में वर्णित है कि शिव-पूजा से प्राप्त होने वाले सुखों का वर्णन निम्न प्रकार से है दरिद्रता, रोग सम्बन्धी कष्ट, शत्रु द्वारा होने वाली पीड़ा एवं चारों प्रकार का पाप तभी तक कष्ट देता है, जब तक शिव की पूजा नहीं की जाती। महादेव का पूजन कर लेने पर सभी प्रकार का दु:ख नष्ट हो जाता है, सभी प्रकार के सुख प्राप्त हो जाते है और अन्त में मुक्ति लाभ होता है। जो मनुष्य जीवन पाकर उसके मुख्य सुख संतान को प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें सब सुखों को देने वाले महादेव की पूजा करनी चाहिए। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र विद्यिवत शिवजी का पूजन करें। इससे सभी मनोकामनाएं सिद्द्ध हो जाती है।
कहते हैं जो लोग किसी तीर्थ में मिट्टी के शिवलिंग बनाकर उनका विधि पूजन करते हैं वे शिव स्वरूप हो जाते हैं। जो मनुष्य तीर्थ में मिटटी,भस्म ,गोबर अथवा बालू का शिवलिंग बनाकर एक बार भी उसका विधि पूजन करता है।वह दस हजार कल्प तक स्वर्ग में निवास करता है। शिवलिंग का विधि पूर्वक पूजन करने से मनुष्य संतान,धन,धन्य,विद्या,ज्ञान, सद्बुधी, दीर्घायु, और मोक्ष की प्राप्ति करता है।
शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि जिस स्थान पर शिवलिंग का पूजन होता है,वह तीर्थ नहीं होते हुआ भी तीर्थ बन जाता है। जिस स्थान पर शिवलिंग का पूजन होता है,उस स्थान पर जिस मनुष्य की मृत्यु होती है। वह शिवलोक को प्रप्त करता है।