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बेटी पर बरसता है राजा का नेह

विदाई पथ से राजजात अपने चौथे पड़ाव सेम की ओर बढ़ती है। यहां आतिथ्य ही आतिथ्य है। समुद्रतल से 1530 मीटर की ऊंचाई पर अवस्थित यह बारह थोकी ब्राह्मणों का गांव है। कांसुवा से सेम की दूरी भी 10 किलोमीटर है। गांव में ही स्थित महादेव घाट मंदिर में विधि-विधान पूर्वक नंदा की पवित्र राजछंतौली ड्यूंडी ब्राह्मणों

By Edited By: Published: Fri, 22 Aug 2014 01:45 PM (IST)Updated: Fri, 22 Aug 2014 01:47 PM (IST)
बेटी पर बरसता है राजा का नेह

देहरादून, जागरण संवाददाता। विदाई पथ से राजजात अपने चौथे पड़ाव सेम की ओर बढ़ती है। यहां आतिथ्य ही आतिथ्य है। समुद्रतल से 1530 मीटर की ऊंचाई पर अवस्थित यह बारह थोकी ब्राह्मणों का गांव है। कांसुवा से सेम की दूरी भी 10 किलोमीटर है। गांव में ही स्थित महादेव घाट मंदिर में विधि-विधान पूर्वक नंदा की पवित्र राजछंतौली ड्यूंडी ब्राह्मणों को सौंप दी जाती है।

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यात्रा आटागाड को पार कर गढ़वाल की प्राचीन राजधानी चांदपुरगढ़ी पहुंचती है। यहां राजवंशी कुंवर परंपरागत ढंग से राजजात की आगवानी करते हैं। फिर होती है शाही पूजा, जिसके दर्शनों को श्रद्धालुओं की उत्सुकता देखते ही बनती है। यहां पर कैलापीर में कालिका देवी का भव्य मंदिर एवं चांदपुरगढ़ी में राजमहल के अवशेष मौजूद हैं। आगे चलकर उज्जवलपुर एवं तोप होते हुए यात्रा सेम पहुंचती है। यहां पारंपरिक स्वागत के साथ गैरोली व चमोली की छंतौलियां जात का हिस्सा बन जाती हैं। इस स्थान पर नंदा देवी का प्राचीन मंदिर स्थित होने से जात के यहां पहुंचने का विशेष महत्व माना गया है। यहां के पुजारी सेमवाल ब्राह्मण हैं। सेमवालों का मूल गांव भी सेम ही है। गांव वालों की नंदा के प्रति आस्था इतनी है कि वह जात में शामिल हर यात्री को नंदा के रूप में देखते हैं। सुबह उठते ही ओखल में कुंवारी कन्या खेत से लाई कौणी व धान कूटकर उनसे नंदा के लिए खाजा व चूड़ा बनाने लगती हैं। आतिथ्य का यही भाव इस पथ को आतिथ्य पथ में तब्दील कर देता है।

अल्मोड़ा में राजजात की तैयारियां शुरू

अल्मोड़ा। सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में हिमालयी क्षेत्र के महाकुंभ के रूप में विख्यात नंदा राजजात की तैयारियां जोरों पर हैं। इसी क्रम में बुधवार को श्रद्धालुओं ने नगर में कलश यात्रा निकाली, जबकि चंद वंशीय राजाओं के वंशज नैनीताल के पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा ने देर सायं नंदा देवी मंदिर में विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना की। इससे पूर्व अपराह्न तीन बजे केसी सिंह बाबा ने मंदिर परिसर से कलश यात्रा का शुभारंभ किया। कलश यात्र लाला बाजार, कारखाना बाजार, कचहरी बाजार, जौहरी बाजार, थाना बाजार, पलटन बाजार होते हुए सिद्धनौला पहुंची। सिद्धनौला से कलश में शुद्ध जल लेकर कलश यात्रा रामप्रसाद टम्टा मार्ग से चौघानपाटा, माल रोड, शिखर तिराहा व मिलन चौक होते वापस नंदा देवी मंदिर पहुंची। यात्रा में काफी संख्या में नगर की धर्मप्रेमी जनता शरीक हुई। कलश यात्रा में शिशु मंदिर का बैंड भी शामिल था।

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कोमल भावनाओं की अभिव्यक्ति नंदा की जात

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