जानें कौन से रुद्राक्ष का धारण से क्या प्रभाव पडता है
जहां रुद्राक्ष की पूजा होती है, वहां से लक्ष्मी दूर नहीं जातीं। उस स्थान के सारे उपद्रव नष्ट हो जाते हैं तथा वहां रहने वाले लोगों की सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं।
रुद्राक्ष अनेक प्रकार के बताये गये हैं। ये भेद भोग और मोक्षरूपी फल देने वाले हैं।
एक मुखी : एक मुखवाला रुद्राक्ष साक्षात् शिव का स्वरूप है। वह भोग और मोक्षरूपी फल प्रदान करता है। जहां रुद्राक्ष की पूजा होती है, वहां से लक्ष्मी दूर नहीं जातीं। उस स्थान के सारे उपद्रव नष्ट हो जाते हैं तथा वहां रहने वाले लोगों की सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं।
दो मुखी : दो मुखवाला रुद्राक्ष देवदेवेश्वर कहा गया है। वह सम्पूर्ण कामनाओं और फलों को देने वाला है।
तीन मुखी : तीन मुखवाला रुद्राक्ष सदा साक्षात् साधना का फल देने वाला है, उसके प्रभाव से सारी विद्याएं प्रतिष्ठित होती हैं।
चार मुखी : चार मुखवाला रुद्राक्ष साक्षात् ब्रह्मा का रूप है। वह दर्शन और स्पर्श से शीघ्र ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष - इन चारों पुरुषार्थों को देने वाला है।
पंच मुखी : पांच मुख वाला रुद्राक्ष साक्षात कालाग्निरुद्ररूप है। वह सब कुछ करने में समर्थ है। सबको मुक्ति देनेवाला तथा सम्पूर्ण मनोवांछित फल प्रदान करने वाला है। पंचमुख रुद्राक्ष समस्त पापों को दूर कर देता है।
षड् मुखी : छह मुखवाला रुद्राक्ष भगवान कार्तिकेय का स्वरूप है। यदि दाहिनी बांह में उसे धारण किया जाए तो धारण करने वाला मनुष्य ब्रह्महत्या आदि पापों से मुक्त हो जाता है।
सप्त मुखी : सात मुखवाला रुद्राक्ष अनंगस्वरूप और अनंग नाम से ही प्रसिद्ध है। उसको धारण करने से दरिद्र भी ऐश्वर्यशाली हो जाता है।
अष्ट मुखी : आठ मुखवाला रुद्राक्ष अष्टमूर्ति भैरवरूप है, उसको धारण करने से मनुष्य पूर्णायु होता है और मृत्यु के पश्चात शूलधारी शंकर हो जाता है।
नौ मुखी : नौ मुख वाले रुद्राक्ष को भैरव तथा कपिल-मुनि का प्रतीक माना गया है। साथ ही नौ रूप धारण करने वाली महेश्वरी दुर्गा उसकी अधिष्ठात्री देवी मानी गयी हैं। शिव कहते हैं, ''जो मनुष्य भक्तिपरायण हो अपने बायें हाथ में नौ मुख रुद्राक्ष को धारण करता है, वह निश्चय ही मेरे समान सर्वेश्वर हो जाता है - इसमें संशय नहीं है।''
दश मुखी : दस मुखवाला रुद्राक्ष साक्षात् भगवान विष्णु का रूप है। उसको धरण करने से मनुष्य की सम्पूर्ण कामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
ग्यारह मुखी : ग्यारह मुख वाला जो रुद्राक्ष है, वह रुद्ररूप है। उसको धारण करने से मनुष्य सर्वत्र विजयी होता है।
बारह मुखी : बारह मुखवाले रुद्राक्ष को केश प्रदेश में धरण करें। उसके धरण करने से मानो मस्तकपर बारहों आदित्य विराजमान हो जाते हैं।
तेरह मुखी : तेरह मुखवाला रुद्राक्ष विश्वेदेवों का स्वरूप है। उसको धारण करके मनुष्य सम्पूर्ण अभीष्टों को प्राप्त तथा सौभाग्य और मंगल लाभ करता है।
चौदह मुखी : चौदह मुखवाला जो रुद्राक्ष है, वह परम शिवरूप है। उसे भक्ति पूर्वक मस्तक पर धरण करें। इससे समस्त पापों का नाश हो जाता है।
रुद्राक्षों को धारण करने के मंत्र
एक मुखी - ॐ ह्रीं नम:
दो मुखी - ॐ नम:
तीन मुखी - ॐ क्लीं नम:
चार मुखी - ॐ ह्रीं नम:
पांच मुखी - ॐ ह्रीं नम:
छह मुखी -ॐ ह्रीं हुं नम:
सात मुखी - ॐ हुं नम:
आठ मुखी - ॐ हुं नम:
नौ मुखी - ॐ ह्रीं हुं नम:
दस मुखी - ॐ ह्रीं नम :
ग्यारह मुखी - ॐ ह्रीं हुं नम:
बारह मुखी - ॐ क्रौं क्षौं रौं नम:
तेरह मुखी - ॐ ह्रीं नम:
चौदह मुखी - ॐ नम:
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इन चौदह मंत्रों द्वारा क्रमश: एक से लेकर चौदह मुखों वाले रुद्राक्ष को धरण करने का विधान है।
नहीं सताती बुरी ताकतें
शिव महापुराण के अनुसार साधक को चाहिये कि वह निद्रा और आलस्य का त्याग करके श्रद्धा-भक्ति से सम्पन्?न हो, सम्पूर्ण मनोरथों की सिद्धि के लिये ऊपर लिखे मंत्रों द्वारा रुद्राक्षों को धारण करे। रुद्राक्ष की माला धरण करने वाले पुरुषों को देखकर भूत, प्रेत, पिशाच, डाकिनी, शाकिनी तथा जो अन्य द्रोहकारी राक्षस आदि हैं, वे सब के सब दूर भाग जाते हैं। रुद्राक्ष मालाधारी पुरुष को देखकर मैं शिव, भगवान् विष्णु, देवी दुर्गा, गणेश, सूर्य तथा अन्य देवता भी प्रसन्न हो जाते हैं।
पापों का नाश करने के लिए रुद्राक्ष धारण आवश्यक बताया गया है। वह निश्चय ही सम्पूर्ण अभीष्ट मनोरथों का साधक है। अत: अवश्य ही उसे धारण करना चाहिए। भगवान शिव कहते हैं, ''हे परमेश्वरी, लोक में मंगलमय रुद्राक्ष जैसा फलदायी दूसरी कोई माला नहीं है।