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यह व्रत बहुत ही फलदायी होता है, इससे समस्त कामों में आपको सफलता मिलती है

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत अधिक महत्व है। हर एकादशी का अपना विशिष्ठ नाम व महत्व धर्म ग्रंथों में लिखा है। इसी क्रम में वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहते हैं। इस बार यह एकादशी 3 मई, मंगलवार को है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 02 May 2016 04:07 PM (IST)Updated: Tue, 03 May 2016 10:23 AM (IST)
यह व्रत बहुत ही फलदायी होता है, इससे समस्त कामों में आपको सफलता मिलती है

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत अधिक महत्व है। हर एकादशी का अपना विशिष्ठ नाम व महत्व धर्म ग्रंथों में लिखा है। इसी क्रम में वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहते हैं। इस बार यह एकादशी 3 मई, मंगलवार को है।

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ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी का फल सभी एकादशियों से बढ़कर है। इस दिन जो उपवास रखते हैं, उन्हें 10 हजार वर्षों की तपस्या के बराबर फल प्राप्त होता है व उनके सारे पापों का नाश हो जाता है। जीवन सुख-सौभाग्य से भर जाता है। मनुष्य को भौतिक सुख तो प्राप्त होते ही हैं, मृत्यु के बाद उसे मोक्ष भी प्राप्त हो जाता है। इस व्रत की विधि इस प्रकार है-


व्रत विधि

वरुथिनी एकादशी की सुबह स्नान आदि करने के बाद शुद्ध होकर संयमपूर्वक उपवास करना चाहिए। रात्रि जागरण करते हुए भगवान मधुसूदन यानी श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा भी पूरी विधि के साथ करते हुए विष्णु सहस्रनाम का जाप और उनकी कथा सुननी चाहिए।

व्रत के एक दिन पहले यानी दशमी तिथि (2 मई मंगलवार) को व्रती (व्रत करने वाला) को एक बार हविष्यान्न (यज्ञ में अर्पित अन्न) का भोजन करना फलदायी होता है। व्रत के अगले दिन यानी द्वादशी (4 मई, बुधवार) को ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए। उसके बाद स्वयं भोजन करना चाहिए।

ये है वरुथिनी एकादशी व्रत की कथा

प्राचीन काल में नर्मदा नदी के किनारे राजा मांधाता राज करते थे। एक बार वे जंगल में तपस्या कर रहे थे, उसी समय एक भालू आया और उनके पैर खाने लगा। मांधाता तपस्या करते रहे। उन्होंने भालू पर न तो क्रोध किया और न ही हिंसा का सहारा लिया। पीड़ा असहनीय होने पर उन्होंने भगवान विष्णु को स्मरण किया। तब भगवान विष्णु ने वहां उपस्थित हो उनकी रक्षा की।पर भालू द्वारा अपने पैर खा लिए जाने से राजा को बहुत दु:ख हुआ। भगवान ने उससे कहा- हे वत्स! दु:खी मत हो। भालू ने जो तुम्हें काटा था, वह तुम्हारे पूर्व जन्म के बुरे कर्मों का फल था। तुम मथुरा जाओ और वहां जाकर वरुथिनी एकादशी का व्रत रखो। तुम्हारे पैर फिर से वैसे ही हो जाएंगे। राजा ने आज्ञा का पालन किया और पुन: सुंदर अंगों वाला हो गया।

हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व है। शास्त्रों के के अनुसार माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से कई गुना अधिक फल मिलता है। इसी तरह इस माह वरुथिनी एकादशी है जिसके बारें में माना जाता है कि सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस बार वरुथिनी एकादशी 3 मई, मंगलवार हो है।

इस एकादशी के दिन जो व्यक्ति व्रत रखता है। वह इस दिन प्रात: स्नान करके भगवान को स्मरण करते हुए विधि के साथ पूजा करें और उनकी आरती करनी चाहिए साथ ही उन्हें भोग लगाना चाहिए। इस दिन भगवान नारायण की पूजा का विशेष महत्व होता है। साथ ही ब्राह्मणों तथा गरीबों को भोजन या फिर दान देना चाहिए। यह व्रत बहुत ही फलदायी होता है। इस व्रत को करने से समस्त कामों में आपको सफलता मिलती है।

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