Move to Jagran APP

नवरात्रि के सातवें दिन होती है सारे डर को दूर करने वाली मां कालरात्रि की पूजा

नवरात्र केे सातवें दिन कालरात्रि की पूजा की जाती है। बहुत फलदायी है मां। दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत हो भाग जाते हैं। ये ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 07 Oct 2016 03:42 PM (IST)Updated: Sat, 08 Oct 2016 09:58 AM (IST)
नवरात्रि के सातवें दिन होती है सारे डर को दूर करने वाली मां कालरात्रि की पूजा

नवरात्र केे सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां का यह रूप काफी विकराल और भयानक है लेकिन बहुत फलदायी है। आज के दिन साधक का मन 'सहस्रार' चक्र में प्रवेश कर जाता है। मां काली को 'शुभंकारी' भी कहते है। दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं। ये ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं।

loksabha election banner

ऐसे लोग जो किसी कृत्या प्रहार से पीड़ित हो एवं उन पर किसी अन्य तंत्र-मंत्र का प्रयोग हुआ हो, वे इनकी साधना कर समस्त कृत्याओं तथा शत्रुओं से निवृत्ति पा सकते हैं। दुर्गा के नौ रुपों में सातवां रुप है देवी कालरात्रि का इसलिए नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है। शास्त्रों में बताया गया है कि कालरात्रि का स्वरूप काल को भी भयभीत करने वाला है। स्याह रात्रि के समान माता का स्वरूप काला है। कालारात्रि माता गले में विद्युत की माला धारण करती हैं। इनके बाल खुले हुए हैं और गर्दभ की सवारी करती हैं।

माता के हाथ में कटा हुआ सिर है जिससे रक्त टपकता रहता है। भयंकर रूप होते हुए भी माता भक्तों के लिए कल्याणकारी है। देवी भाग्वत् में कालरात्रि को आदिशक्ति का तमोगुण स्वरूप बताया गया। कालरात्रि माता को काली और शुभंकरी भी कहा जाता है।

कालरात्रि माता भगवान विष्णु की योगनिद्रा भी कही जाती है। जीवों में मोह माया का कारण भी मां कालरात्रि देवी हैं। दुर्गासप्तशती के प्रथम चरित्र में बताया गया है कि भगवान विष्णु जब सो रहे थे तब उनके कान के मैल से दो भयंकर असुर मधु और कैटभ उत्पन्न हुए। ये दोनों असुर ब्रह्मा जी को मारना चाहते थे। ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु की योगनिद्रा की आराधना की। ब्रह्मा जी भगवान विष्णु की योगनिद्रा को कालरात्रि, मोहरात्रि के रूप में ध्यान किया। ब्रह्मा जी की वंदना से देवी कालरात्रि ने भगवान विष्णु को निद्रा से जगाया। भगवान विष्णु ने मधु-कैटभ का वध करके ब्रह्मा जी की रक्षा की।

कालरात्रि की पूजा से लाभ

जो व्यक्ति देवी कालरात्रि अपने भक्त के लिए संसार का सब सुख सुलभ कर देती है। माता के भक्त संसार में रहते हुए भी मोहमाया से मुक्त हो जाते हैं और मृत्यु के बाद इन्हें उत्तम लोक में स्थान प्राप्त होता है।

देवी कालरात्रि का ध्यान मंत्र:

करालवंदना धोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।

कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युतमाला विभूषिताम॥

दिव्यं लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम्।

अभयं वरदां चैव दक्षिणोध्वाघः पार्णिकाम् मम॥

महामेघ प्रभां श्यामां तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।

घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥

सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।

एवं सचियन्तयेत् कालरात्रिं सर्वकाम् समृध्दिदाम्।।

माँ काली के इस पूजा और मंत्र से समस्त दुर्भाग्य दूर हो जाते हैं

इस बार दीपावली से पहले 15 घंटे का है अद्भुत महासंयोग, जो अति शुभ होगा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.