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अदृश्य ग्रंथ

सबसे बड़ा धर्म मानवता का होता है। बेसहारा लोगों की मदद और सेवा सभी धर्र्मों का सार है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 27 Jan 2015 03:06 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jan 2015 03:12 PM (IST)
अदृश्य ग्रंथ

जापान में एक जेन शिष्य तेत्सुगन दोको ने सोचा कि जेन धर्म के सूत्रों के महत्वपूर्ण ग्रंथ चीनी भाषा में होने के कारण ज्यादातर जापानी उन्हें समझ नहींपाते, इसलिए उन्हें अपनी भाषा में छपवाना चाहिए। दरअसल, जेन की नींव चीन में पड़ी थी, जो बौद्ध धर्म का ही एक अंग है, जो जापान में जाकर विकसित हुआ। ग्रंथ के प्रकाशन के लिए तेत्सुगन घूम-घूम कर धन इकट्ठा करने लगा। लोगों ने दिल खोलकर उसे धन दिया। कई सालों तक धन इकट्ठा करने के बाद जब ग्रंथ प्रकाशन के लिए पर्याप्त धन इकट्ठा हो गया, तो एक नदी में बाढ़ आ गई, जिससे लोग बेघर हो गए और भुखमरी की समस्या हो गई। तेत्सुगन ने इकट्ठा किया गया पूरा पैसा सहायता में खर्च कर दिया। जब सब सामान्य हुआ, तो फिर शिष्य पैसा इकट्ठा करने निकला, लेकिन फिर बीच में ही फैली एक महामारी में उसने पूरा पैसा खर्च कर लोगों को मरने से बचा लिया। तीसरी बार धन इकट्ठा कर वह सभी ग्रंथ प्रकाशित करवा सका। बीस साल बाद जाकर उसकी ग्रंथ प्रकाशित करने की इच्छा पूरी हो पाई। इन ग्रंथों के संकलन का पहला संस्करण आज भी क्योटो ओबाकू विहार में रखा हुआ है। जापान में लोग कहते हैं कि शिष्य ने तीन बार सूत्रों के ग्रंथ प्रकाशित करवाए। तीसरा ग्रंथ हमें दिखता है, जबकि पहले दो ग्रंथ जो ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, हमें दिखलाई नहीं पड़ते।

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कथा मर्म : सबसे बड़ा धर्म मानवता का होता है। बेसहारा लोगों की मदद और सेवा सभी धर्र्मों का सार है।


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