अपने दायित्वों को निष्काम रहकर निभाना मानवता के लिए आवश्यक है
एक वृद्ध सज्जन के अंगूठे में चोट लग गई थी। वे ड्रेसिंग कराने अस्पताल पहुंचे। लेकिन डॉक्टर के पास बड़ी भीड़ थी। वे भीड़ को चीरते हुए डॉक्टर के पास पहुंचे और उनसे निवेदन किया, च्मुझे बहुत जल्दी है, कृपया मुझे पहले देख लें।ज् वे बार-बार घड़ी की ओर देख
एक वृद्ध सज्जन के अंगूठे में चोट लग गई थी। वे ड्रेसिंग कराने अस्पताल पहुंचे। लेकिन डॉक्टर के पास बड़ी भीड़ थी। वे भीड़ को चीरते हुए डॉक्टर के पास पहुंचे और उनसे निवेदन किया, च्मुझे बहुत जल्दी है, कृपया मुझे पहले देख लें। वे बार-बार घड़ी की ओर देख रहे थे।
आप इतनी जल्दी में क्यों हैं, क्या किसी अन्य डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लिया है? डॉक्टर ने पूछा। वृद्ध ने बताया
कि कुछ दूर स्थित नर्र्सिंग होम में लंबे समय से उनकी पत्नी भर्ती हैं। वे रोज उनके साथ नाश्ता करते हैं। डॉक्टर मुस्कुराते हुए बोला, अच्छा। इसीलिए आप जल्दी कर रहे हैं, क्योंकि देर से पहुंचने पर पत्नी आपसे नाराज
हो जाएंगी।
वृद्ध ने कहा, च्वह अल्जाइमर की मरीज हैं। वह किसी को भी नहीं पहचानतीं। पिछले पांच साल से उन्होंने मुझे भी नहीं पहचाना। डॉक्टर ने आश्चर्य से पूछा, च्फिर भी आप रोज उनके साथ नाश्ता करने जाते हैं, जबकि वे आपको पहचानतीं तक नहीं। वृद्ध मुस्कुराए और डॉक्टर से बोले, च्वह मुझे नहीं पहचानतीं तो क्या हुआ, मैं तो यह जानता हूं न कि वह कौन हैं।
कथा मर्म : अपने दायित्वों को निष्काम रहकर निभाना मानवता के लिए भी आवश्यक है।