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बसंत पंचमी पर क्यों दिया जाता है पीले रंग को अधिक महत्व

वसंत ऋतु यानी पेड़ पौधों के झूमने, गाने, इठलाने और खिलखिलाने का वक्त। जब प्रकृति चारों तरफ अपने रंग बिखेर डालती है शायद ही कोई ऐसा हो जो इस ऋतु का स्वागत न करता होगा। चटख पीला रंग तो है ही वसंत का । इस दिन पीले रंग की साड़ी,

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 12 Feb 2016 12:59 PM (IST)Updated: Sat, 13 Feb 2016 10:40 AM (IST)
बसंत पंचमी पर क्यों दिया जाता है पीले रंग को अधिक महत्व

वसंत ऋतु यानी पेड़ पौधों के झूमने, गाने, इठलाने और खिलखिलाने का वक्त। जब प्रकृति चारों तरफ अपने रंग बिखेर डालती है शायद ही कोई ऐसा हो जो इस ऋतु का स्वागत न करता होगा। चटख पीला रंग तो है ही वसंत का । इस दिन पीले रंग की साड़ी, सलवार सूट या नीली जींस के साथ पीले रंग का कुर्ता आपके तन-मन दोनों को प्रफुल्लित कर डालेगा। सोचो अगर दुनिया में रंग न होते तो दुनिया कैसी होती। पीला रंग हमारे दिमाग को अधिक सक्रिय करता है। जो महिलाएं महीने में कई बार पीले परिधान धारण करती थीं, उनका आत्मविश्वास ऐसा न करने वाली महिलाओं की तुलना में अधिक सक्रिय होता…

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मनोवैज्ञानिकों के अनुसार रंगों का हमारे जीवन से गहरा नाता है। इस बात को वैज्ञानिक भी मानते हैं। पीला रंग उमंग बढ़ाने में सहायक है। पीला रंग हमारे दिमाग को अधिक सक्रिय करता है। जो महिलाएं महीने में कई बार पीले परिधान धारण करती थीं, उनका आत्मविश्वास ऐसा न करने वाली महिलाओं की तुलना में करीब चालीस फीसदी अधिक था।

इस संदर्भ में फेंगशुई विशेषज्ञ कहना है कि पीले रंग के परिधान हमारे दिमाग के उस हिस्से को अधिक अलर्ट करते हैं, जो हमें सोचने-समझने में मदद करता है। यही नहीं, पीला रंग खुशी का एहसास कराने में भी मददगार होता है। पीले रंग के परिधान पहनने के साथ ही हमें सप्ताह में दो-तीन बार पीले रंग के खाद्य पदार्थ जैसे पीले फल, पीली सब्जियां और पीले अनाज का भी सेवन करना चाहिए। इससे हमारे शरीर में मौजूद हानिकारक तत्त्व बाहर निकल जाते हैं। ये हानिकारक तत्त्व शरीर के अंदर बने रहने पर नर्वस सिस्टम को प्रभावित करते हैं। नतीजतन दिमाग में उठने वाली तरंगें खुशी का एहसास कराती हैं।

बसंत पंचमी अर्थात बासंती रंग

बसंत पंचमी का अर्थ है शुक्ल पक्ष का पांचवां दिन अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार यह पर्व जनवरी-फरवरी तथा हिन्दू तिथि के अनुसार माघ के महीने में मनाया जाता है। बसंत को ऋतुओं का राजा अर्थात सर्वश्रेष्ठ ऋतु माना गया है। इस समय पंचतत्त्व अपना प्रकोप छोड़कर सुहावने रूप में प्रकट होते हैं। पंचतत्त्व, जल, वायु, धरती, आकाश और अग्नि सभी अपना मोहक रूप दिखाते हैं।

बसंत ऋतु का आगमन प्रकृति को बासंती रंग से सराबोर कर जाता है। बसंत पंचमी पर सब कुछ पीला दिखाई देता है। पीला रंग हिन्दुओं में शुभ माना जाता है। पीला रंग शुद्ध और सात्विक प्रवृत्ति का प्रतीक माना जाता है। यह सादगी और निर्मलता को भी दर्शाता है।

बसंत ऋतु पर सरसों की फसलें खेतों में लहराती हैं,फसल पकती है और पेड़-पौधों में नई कोपलें फूटती हैं। प्रकृति खेतों को पीले-सुनहरे रंगों से सजा देती है। जिससे पृथ्वी पीली दिखती है। बसंत का स्वागत करने के लिए पहनावा भी विशेष होना चाहिए इसलिए लोग पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं। पीला रंग उत्फुल्लता, हल्केपन खुलेपन और गर्माहट का आभास देता है।

केवल पहनावा ही नहीं खाद्य पदार्थों में भी पीले चावल, पीले लड्डू व केसर युक्त खीर का उपयोग किया जाता है। मन्दिरों में बसंती भोग रखे जाते हैं और बसंत के राग गाए जाते हैं। बसंत ऋतु में मुख्य रूप से रंगों का त्योहार होली मनाया जाता है। बसंत पंचमी से ही होली गाना भी शुरू हो जाता है। इस दिन पितृ तर्पण किया जाता है।

सरस्वती पूजन के अवसर पर माता सरस्वती को पीले रंग का फल चढ़ाएं जाते। प्रसाद के रूप में मौसमी फलों के अलावा बूंदियां अर्पित की जाती।


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