इस दिन देवताओं के जगने पर फिर से मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे
11 नवंबर को देवउठनी एकादशी के बाद लोगों का इंतजार खत्म होगा। इस दिन देवताओं के जगने पर फिर से मांगलिक कार्यों शुरू हो जाएंगे।
विवाह संस्कार का अंतिम मुहूर्त होने की वजह से शुक्रवार को जगह-जगह शादियां हुई। इस विवाह सीजन का अंतिम मुहूर्त शुक्रवार को था।
इसके बाद विवाह कारक ग्रहों के अस्त होने से विवाह कार्यों में रोक लग जाएगी। लोगों को 6 महीने के बाद मिलने वाले मुहूर्त का लंबा इंतजार करना पड़ेगा। इस वजह से शुक्रवार को शहर व आसपास बड़ी संख्या में मांगलिक कार्य हुए। शहर के लगभग सभी मांगलिक भवन बुक रहे। सभी ओर शादियों की धूम रही। देर रात तक शाहनाईयों की गूंज के साथ विवाह समारोह होते रहे।
विवाह संस्कार के लिए देवगुरु बृहस्पति और शुक्र ग्रह का उदयमान होना जरूरी है। उनके अस्त होने के बाद विवाह कार्यों पर भी रोक लग गई है। शनिवार से विवाह कारक ग्रह बृहस्पति और शुक्र अस्त हो गए। इस वजह से विवाह कार्य भी शनिवार से बंद हो गए हैं । इससे मई और जून में कोई भी विवाह मुहूर्त नहीं मिलेगा। इसके बाद देवशयनी एकादशी आने पर सभी तरह के मांगलिक कार्य भी बंद हो जाएंगे।
अक्षय तृतीया पर भी ग्रहण विवाह कारक ग्रहों के अस्त होने की वजह से अक्षय तृतीया में भी विवाह संस्कार नहीं हो सकेंगे। इस वजह से बड़ी संख्या में विवाह कार्य अक्षय तृतीया से पहले मिलने वाले विवाह मुहूर्त में संपन्न हुए हैं। लगभग 100 सालों बाद इस वर्ष 9 मई को पड़ने वाली अक्षय तृतीया में विवाह नहीं हो सकेगा।
11 नवंबर को खत्म होगा इंतजार विवाह कारक ग्रहों के अस्त होने और देवताओं के शयन में जाने के बाद लगभग 6 महीनों तक विवाह संस्कार पूरी तरह से बंद रहेंगे। 11 नवंबर को देवउठनी एकादशी के बाद लोगों का इंतजार खत्म होगा। इस दिन देवताओं के जगने पर फिर से मांगलिक कार्यों शुरू हो जाएंगे।