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गेरुआ कपड़े: क्यों पहनते हैं साधु, संन्यासी?

आइये पढ़ते हैं सन्यासियों द्वारा पहने जाने वाले गेरुए रंग के बारे में आध्यात्मिक मार्ग में गेरूआ या भगवा रंग देखने को खूब मिलता है। क्या यह रंग सिर्फ एक प्रतीक है या फिर इसका हमारे मन और शरीर पर भी कोई असर पड़ता है?

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 21 Apr 2015 12:21 PM (IST)Updated: Tue, 21 Apr 2015 12:24 PM (IST)
गेरुआ कपड़े: क्यों पहनते हैं साधु, संन्यासी?
गेरुआ कपड़े: क्यों पहनते हैं साधु, संन्यासी?

आइये पढ़ते हैं सन्यासियों द्वारा पहने जाने वाले गेरुए रंग के बारे में

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आध्यात्मिक मार्ग में गेरूआ या भगवा रंग देखने को खूब मिलता है। क्या यह रंग सिर्फ एक प्रतीक है या फिर इसका हमारे मन और शरीर पर भी कोई असर पड़ता है?

पहली चीज तो यह कि यह रंग एक प्रतीक है। गेरुआ रंग आप यह बताने के लिए पहनते हैं कि आपके जीवन में एक नया प्रकाश आ गया है। सुबह-सुबह जब सूर्य निकलता है, तो उसकी किरणों का रंग केसरिया होता है। आप केसरिया या जिसे भगवा, गेरुआ या नारंगी रंग भी कह सकते हैं, यही दिखाने के लिए पहनते हैं कि आपके जीवन में एक नया सवेरा हो गया है। दूसरी चीज है बाहरी दुनिया। जब आप यह रंग पहनते हैं तो लोग जान जाते हैं कि यह सन्यासी है। ऐसे में कम से कम वे अपना सिगरेट का डिब्बा खोलकर आपके सामने पेश तो नहीं करेंगे।

हमारे शरीर में मौजूद सातों चक्रों का अपना एक अलग रंग है। भगवा या गेरुआ रंग आज्ञा चक्र का रंग है और आज्ञा ज्ञान-प्राप्ति का सूचक है। तो जो लोग आध्यात्मिक पथ पर होते हैं, वे उच्चतम चक्र तक पहुंचना चाहते हैं इसलिए वे इस रंग को पहनते हैं।हो सकता है कि पिछले 15 सालों से आप धूम्रपान करते रहे हों और अभी आपने यह प्रण लिया हो कि आप एक सप्ताह तक धूम्रपान नहीं करेंगे। एक सप्ताह आपने धूम्रपान नहीं किया। अचानक आपके सामने कोई आपके मनपसंद ब्रांड का सिगरेट ला कर पीने लगा। अब आप खुद को रोक नहीं पा रहे। आपने कश मार लिया। लेकिन जब कोई ये देखेगा कि ओह यह तो सन्यासी है, तो उसे अगर सिगरेट पीना होगा तो कहीं पेड़ की ओट में छिप कर पी लेगा, आपके सामने नहीं पियेगा। दुनिया एक खास तरीके से आपकी मदद करने लगती है और इस मदद की जरूरत भी है।

कोई व्यक्ति सिर्फ इसी वजह से सर्व-गुण-संपन्न या कहें दोषरहित नहीं हो सकता कि उसने संन्यास ले लिया है। वह ऐसा बनने की कोशिश कर रहा है, लेकिन वह संपूर्ण नहीं है। उसकी अपनी कमजोरियां हैं, उसकी अपनी समस्याएं भी हैं। तो जब वह एक खास किस्म के वस्त्र पहनता है तो उसके आसपास के लोग उसे समझते हैं और उसकी मदद करते हैं। उन्हें आप से क्या बात करनी है और क्या बात नहीं करनी है, इसे लेकर भी वे थोड़े सावधान रहते हैं, नहीं तो वे आपसे आकर थोड़ी बहुत फिल्मों की बातें कर सकते हैं, संबंधों की बातें कर सकते हैं, आपके पास बैठ कर शराब पी सकते हैं। चूंकि आप एक खास किस्म के वस्त्र पहने हैं, इसलिए उन्हें पता है कि उस तरह की बातें आपसे नहीं करनी हैं। तो इस तरह दुनिया से आपको मदद मिलती है।

एक और बात है और वह यह कि हर चक्र का एक रंग होता है। हमारे शरीर में मौजूद सातों चक्रों का अपना एक अलग रंग है। भगवा या गेरुआ रंग आज्ञा चक्र का रंग है और आज्ञा ज्ञान-प्राप्ति का सूचक है। चूंकि आप एक खास किस्म के वस्त्र पहने हैं, इसलिए उन्हें पता है कि उस तरह की बातें आपसे नहीं करनी हैं। तो इस तरह दुनिया से आपको मदद मिलती है।तो जो लोग आध्यात्मिक पथ पर होते हैं, वे उच्चतम चक्र तक पहुंचना चाहते हैं इसलिए वे इस रंग को पहनते हैं। साथ ही आपके आभमंडल का जो काला हिस्सा होता है, उसका भी इस रंग से शु़द्धीकरण हो जाता है।

नारंगी रंग पकने का भी सूचक है। प्रकृति में जो भी चीज पकती है, वह आमतौर पर नारंगी रंग की हो जाती है। यानी अगर कोई व्यक्ति परिपक्वता और समझदारी के एक खास स्तर तक पहुंच गया है तो उसका मतलब है कि उसका रंग नारंगी हो गया। नारंगी रंग एक नई शुरुआत और परिपक्वता का सूचक है। यह आपके आभामंडल और आज्ञा चक्र से भी जुड़ा है, यह ज्ञान का भी सूचक है और यह भी बताता है कि इस इंसान ने एक नई दृष्टि विकसित कर ली है। जिसने नई दृष्टि विकसित कर ली, उसके लिए भी और जो विकसित करना चाहता है, उसके लिए भी नारंगी रंग पहनना अच्छा है।

साभार: सद्गुरु (ईशा हिंदी ब्लॉग)


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